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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का बड़ा फैसला, डब्ल्यूएचओ से तोड़ा रिश्ता; चीन पर लगाई पाबंदियां

डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से अमेरिका का रिश्ता तोड़ने का एलान करते हुए चीन पर कई पाबंदियां लगा दी हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 01:33 AM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 09:54 AM (IST)
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का बड़ा फैसला, डब्ल्यूएचओ से तोड़ा रिश्ता; चीन पर लगाई पाबंदियां

नई दिल्ली, जेएनएन। अमेरिका में कोरोना के सर्वाधिक कहर से खिन्न अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से अमेरिका का रिश्ता तोड़ने का एलान करते हुए चीन पर कई पाबंदियां लगा दी हैं।

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ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि वे विश्व स्वास्थ्य संगठन से संबंध खत्म करने के साथ ही कोरोना महामारी मामले में धोखा देने और हांगकांग मामले में ज्यादती करने पर चीन के खिलाफ पाबंदिया लगा रहे हैं।

व्हाइट हाउस में ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा कि वे अमेरिका में अध्ययन कर रहे चीनी शोधकर्ताओं पर प्रतिबंध लगाने भी जा रहे हैं। ये लोग अमेरिका की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं। इसके साथ वे अमेरिकी स्टाक एक्सचेंज में सूचीबद्ध उन चीनी कंपनियों पर कार्रवाई करने भी जा रहे हैं जो अमेरिकी कानूनों का पालन नहीं कर रही हैं।

अमेरिका इसके साथ ही व्यापार और पर्यटन के क्षेत्र में हांगकांग को मिले विशेष दर्जे को वापस लेने जा रहा है। ट्रंप ने इसके साथ ही चीन को अमेरिकी हितों से खेलने की छूट देने के लिए अपने पूर्ववर्ती शासकों की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि मैं इस बात की छूट नहीं दूंगा।

हालांकि ट्रंप द्वारा चीन पर लगाए गए प्रतिबंधों को डेमोक्रेटिक व रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने बहुत मामूली बाताया है। ट्रंप ने इस दौरान भारत चीन के बीच जारी तनाव पर कुछ नहीं कहा।

WHO को कई बार घेर चुके हैं ट्रंप

कोरोना महामारी को लेकर ट्रंप ने इससे पहले भी डब्ल्यूएचअो को कई बार घेरा था। ट्रंप ने हाल ही में कोरोना वायरस संकट पर गैर जिम्मेदार तरीके से काम करने का आरोप लगाते हुए WHO को दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर रोक लगा दी थी। ट्रंप ने कहा था कि जब तक कोरोना के प्रसार को कम करने को लेकर WHO की भूमिका की समीक्षा नहीं हो जाती, तब तक यह रोक जारी रहेगी। ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका के करदाता डब्ल्यूएचओ को सालाना 40 से 50 करोड़ डॉलर देते हैं जबकि चीन सालाना तकरीबन 4 करोड़ डॉलर या उससे भी कम राशि देता है। ट्रंप ने WHO को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा था कि कोरोना के प्रकोप में अपना कर्तव्य निभाने में वह पूरी तरह नाकाम हुआ रहा।


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