ट्रक मालिकों ने बजाया हड़ताल का बिगुल, महंगे डीजल के खिलाफ 18 से अनिश्चितकालीन चक्काजाम
हड़ताल का बिगुल एक बार फिर ट्रांसपोर्ट सेक्टर में सुनाई देने लगा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हड़ताल का बिगुल एक बार फिर ट्रांसपोर्ट सेक्टर में सुनाई देने लगा है। इस बार भी वही तीनों मुद्दे हैं जिन्हें लेकर हर बार ट्रक वाले चक्का जाम करते हैं। यानी डीजल की कीमतें, टोल दरें तथा थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम। इससे पहले इनमें से कोई एक या दो मुद्दे ही भारी होते थे। मगर इस बार तीनों मुद्दे एक साथ गरमा गए हैं। इसलिए सरकार के लिए इससे निपटना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
-डीजल दाम, टोल दरों में बढ़ोतरी से दैनिक लागत में 100 करोड़ का इजाफा
-भारी वाहनों पर 2002 से थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम 11 गुना तक बढ़ा
हड़ताल का आहवान ट्रकर ने किया है। ट्रकर यानी ऐसे ट्रक मालिक जिनके पास 1-10 ट्रकों को बेड़ा होता है और जो ट्रांसपोर्टरों यानि ढुलाई के लिए माल बुक कराने वाले गुड्स बुकिंग एजेंटों को किराये पर ट्रक उपलब्ध कराते हैं। इनका प्रतिनिधित्व आल इंडिया कंफेडरेशन आफ गुड्स वेहिकल ओनर्स एसोसिएशंस (अकोगोवा) के हाथ में है। यह ट्रांसपोर्टरों के संगठन आल इंडिया ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआइइएमटीसी) से अलग है।
अब तक हुई ज्यादातर हड़तालें एआइएमटीसी के आहवान पर हुई हैं। यही वजह है कि मौजूदा सरकार ने एआइएमटीसी को शुरू से साध कर रखा है, लेकिन इस बार अकोगोवा ने 18 जून से अनिश्चितकालीन चक्काजाम का अल्टीमेटम दिया है। थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम में बढ़ोतरी के खिलाफ अकोगोवा के आहवान पर दो वर्ष पहले हुई हड़ताल कामयाब रही थी और बीमा कंपनियों को प्रीमियम घटाने पर विवश होना पड़ा था।
इस वक्त अकोगोवा की कमान ऐसे लोगों के हाथों में है जो पहले एआइएमटीसी के पदाधिकारी रहे हैं। इसलिए एआइएमटीसी के ज्यादातर सदस्यों पर भी उनकी अच्छी पकड़ है। यही वजह है कि सरकार चिंतित है।
अकोगोवा के अध्यक्ष बी. चेन्ना रेड्डी और महासचिव राजिंदर सिंह की माने तो 2012 से 24 मई, 2018 के बीच डीजल के दामों में 13.74 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। जबकि दिसंबर, 2017 से जून, 2018 के बीच यह 16.82 रुपये यानी 23 फीसद महंगा हुआ है। यही नहीं, डीजल के दामों में दैनिक वृद्धि के परिणामस्वरूप ट्रकर्स की लागत में रोजाना 100 करोड़ रुपये का इजाफा होने के साथ-साथ अनिश्चितता का आलम है।
अकोगोवा के अनुसार डीजल मूल्यों पर पेट्रोलियम मंत्रालय के सारे तर्क खोखले हैं। सड़कों के विकास के नाम पर सरकार डीजल पर 8 रुपये प्रति लीटर की दर से रोड सेस ले रही है। इसके बावजूद मल्टी एक्सल ट्रकों से 8 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से टोल भी वसूला जा रहा है।
वर्ष 2002 से अब तक भारी वाहनों पर थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम में 910-1117 फीसद तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। इरडा की ये मनमानी अस्वीकार्य है। सरकार को थर्ड पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम को डीटैरिफ कर प्रीमियम को फिक्स करना चाहिए।