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    यह चूर्ण है कमाल का, दिल को रखता है दुरुस्त; डायबिटीज में भी रामबाण से कम नहीं

    यदि आप भी उच्च रक्तचाप या मुधमेह के बढ़ते स्तर से परेशान हैं तो तीन से चार ग्राम त्रिफला के चूर्ण का सेवन प्रतिदिन रात को सोते समय दूध के साथ कर लें।

    By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Sat, 13 Oct 2018 04:49 PM (IST)
    यह चूर्ण है कमाल का, दिल को रखता है दुरुस्त; डायबिटीज में भी रामबाण से कम नहीं

    नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। त्रि‍फला ऐसी आयुर्वेदिक औषधी है जो शरीर का कायाकल्प कर सकती है। आयुर्वेद में त्रिफला चूर्ण को शरीर के लिए बहुत ही गुणकारी माना गया है। एम्ब्लिका ओफिशिनालिस त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक रासायनिक फ़ार्मुला है जिसमें अमलकी आंवला, बिभीतक बहेड़ा और हरीतकी हरड़ को बीज निकाल कर (1 भाग हरड, 2 भाग बेहड, 3 भाग आंवला) 1:2:3 मात्रा में लिया जाता है। त्रिफला शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'तीन फल'।

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    त्रिफला पाचन और भूख को बढ़ाने, लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि करने और शरीर में वसा की अवांछनीय मात्रा को हटाने में सहायता के लिए इस्तेमाल किया जाता है। मुंह में घुलने पर त्रि‍फला का उपयोग रक्त के जमाव और सिर दर्द को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके अन्य फ़ायदों में ब्लड शुगर के स्तरों को बनाए रखने में मदद करना और त्वचा के रंग और टोन में सुधार लाना शामिल हैं।

    त्रिफला का सेवन करने से हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है। यदि आप भी उच्च रक्तचाप या मुधमेह के बढ़ते स्तर से परेशान हैं तो तीन से चार ग्राम त्रिफला के चूर्ण का सेवन प्रतिदिन रात को सोते समय दूध के साथ कर लें। यह कोई 20 प्रकार के प्रमेह, विविध कुष्ठरोग, विषमज्वर व सूजन को नष्ट करता है। अस्थि, केश, दांत व पाचन-संस्थान को बलवान बनाता है। इसका नियमित सेवन शरीर को निरामय, सक्षम व फुर्तीला बनाता है।

    त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि
    त्रिफला चूर्ण बनाने के लिये आपको ठीक प्रकार से सूखी हुयी बड़ी हरड़, बहेड़ा और आंवला चाहिये होते हैं। तीनों ही फल स्वच्छ व बिना कीड़े लगे होने चाहिये। चूर्ण बनाने के लिये इनकी गुठली निकाल दें और फिर बचे हुये भाग का अलग-अलग चूर्ण बना लें। बारीक छने हुये तीनों प्रकार के चूर्णों को 1:2:3 के अनुपात में मिलायें। त्रिफला चूर्ण तैयार हो जाएगा।

    त्रि‍फला के फायदे:

    • त्रि‍फला के नियमित सेवन से शारीरिक कमजोरी दूर होती है।
    • त्रि‍फला के नियमित सेवन से लंबे समय तक रोगों से दूर रहा जा सकता है।
    • त्रि‍फला और इसका चूर्ण वात-पित्त व कफ को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • बालों के खराब होने और समय से पूर्व सफेद होने से भी त्रि‍फला के सेवन से बचा जा सकता है।
    • डेढ़ माह तक इसका सेवन करने से स्मृति, बुद्धि, बल में वृद्धि होती है।
    • त्रिफला पाचन और भूख को बढ़ाने वाला और लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि करने वाला है।
    • त्रिफला का काढ़ा बनाकर घाव धोने से घाव जल्दी भर जाते हैं।
    • शाम को एक गिलास पानी में एक चम्मच त्रिफला भिगो दें सुबह मसल कर नितार कर इस जल से आंखों को धोने से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है।
    • सुबह के समय तरोताजा होकर खाली पेट ताजे पानी के साथ त्रि‍फला का सेवन करें और इसके बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें।

    त्रि‍फला का सही रूप से नियमित सेवन करने से कुछ समय बाद ही आप अपने आपको एकदम चुस्त, निरोगी महसूस करेंगे। साथ ही आप पाएंगे कि आपकी याददाश्त पहले से कहीं अधिक तेज हो गई है और आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है। त्रि‍फला से न सिर्फ आप अपने बालों को खूबसूरत बना सकते हैं बल्कि आपकी त्वचा को भी आप निखरता हुआ पाएंगे और आप पहले से कहीं अधिक मजबूत अपने को महसूस करेंगे।