Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Tribal Pride Day 2022: संस्कृति और प्रकृति के संरक्षण में जनजातीय समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान

    By Jagran NewsEdited By: Sanjay Pokhriyal
    Updated: Tue, 15 Nov 2022 11:01 AM (IST)

    Tribal Pride Day 2022 संस्कृति और प्रकृति के संरक्षण में जनजातीय समुदाय को उनके योगदान के बदले वह सम्मान और प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका जिसके वे हकदार हैं। जनजातीय गौरव दिवस उन्हें सम्मान दिलाने की दिशा में एक प्रयास है।

    Hero Image
    जनजातीय समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। फाइल

    डा. अमृत कुल्लू। जनजातीय समुदाय के नाम में ही जन का उल्लेख है। इस समुदाय ने प्रकृति, संस्कृति, स्वतंत्रता, समानता, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, आत्मनिर्भरता, जनतंत्र, जनसेवा इत्यादि के क्षेत्र में व्यावहारिक भूमिका का निर्वहन किया है। वास्तव में जिन भारतीय नैतिक मूल्यों पर प्रत्येक भारतीय गर्व का अनुभव करता है, उसे आज भी जनजातीय समुदाय की कार्यशैली में देखा जा सकता है। जनजातीय समुदाय और भारतीयता दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारतीय सांस्कृतिक-पारंपरिक मूल्यों के साथ जीना, उनका संरक्षण-संवर्धन करना या पूर्व में स्वतंत्रता की लड़ाई में योगदान की बात रही हो, प्रत्येक मामले में जनजातीय समुदाय अग्रिम पंक्ति में खड़ा रहा है। वैसे हमारे इतिहास लेखकों ने नगण्य संख्या में जनजातीय महापुरुष वीरों को प्रस्तुत किया, परंतु वर्ष 2014 में केंद्र में नई सरकार आने के बाद से अनसुने वीरों की वीरगाथाओं से जुड़े अनेक तथ्यों को नए सिरे से खंगाला जा रहा है। ऐसे में जनजातीय वीर राष्ट्रीय गौरव के रूप में स्थापित होने लगे हैं।

    प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन

    देश के विकास में प्रत्येक भारतीय समुदाय का योगदान है। योगदान देने वाले समुदायों को उनका उचित सम्मान एवं प्रतिनिधित्व भी मिलना चाहिए। परंतु जनजातीय समुदाय को उनके योगदान के बदले आज तक वह सम्मान और प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका जिसके वे वास्तविक हकदार हैं। भारतीय समाज प्राकृतिक संस्कृति, परस्पर सहयोग की भावना, ईमानदारी, सादगी, समानता, आत्मनिर्भरता, सर्वमत आधारित जनतंत्र के लिए जाना जाता है। ये सारे गुण आज भी इस समुदाय में मौजूद हैं। प्रकृति का संरक्षण व संवर्धन आज भी जनजातीय समुदाय ही व्यावहारिक रूप में कर रहा है।

    आज जिस खनिज संपदा ने देश के आर्थिक उन्नति तथा रोजगार में अहम भूमिका निभाई है, उस संपदा को संरक्षित रखने में जनजातियों ने अग्रणी भूमिका निभाई है। राष्ट्र के जिन स्थानों पर खनिज संपदा मिली है, वहां जनजाति समुदाय का निवास स्थान है। जनजातीय समुदाय का निवास जहां-जहां है वहां वन संपदा की अधिकता है। आर्थिक विपन्नता से उबरने के लिए जनजातियों ने कभी भी वन संपदा का व्यापार नहीं किया। वन को बचाए रखने के संकल्प ने आज जगत को बचाए रखा है। यह समुदाय सादगी पसंद है। कच्चे मकानों में रह लेता है, पहाड़ों को काटकर आवास बना लेता है, परंतु विकास के पश्चिमी मानकों को नहीं अपनाना जनजातियों को विशिष्ट बनाता है। अपनी संततियों को अपनी भाषा, संस्कृति व अपने रोजगार का ज्ञान देकर आत्मनिर्भर बनने का गुण विकसित करने की विशिष्टता के कारण यह समुदाय किसी की अधीनता नहीं स्वीकार करता तथा समानता एवं स्वतंत्रता के साथ जीना पसंद करता है।

    जनजातीय समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान

    जनतंत्र में आम तौर पर यह कहा जाता है कि यहां बहुमत का शासन होता है, लेकिन जनजाति जिस लोकतंत्र के पक्ष में है वहां सर्वमत आधारित निर्णय होते हैं। सारा समुदाय एकत्रित होता है और जब तक सभी लोग एक निर्णय पर न पहुंच जाएं, बैठक जारी रहती है। सर्वमत से जो निर्णय लिया जाता है उसे मनवाने की आवश्यकता नहीं होती, लोग स्वयं उसे मानने लगते हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जनजातीय समुदाय हमेशा प्राकृतिक अधिकारों के लिए लड़ा। जल, जंगल और जमीन बचाने के लिए लगातार संग्राम हुए। भारतीय भाषा, संस्कृति और प्रकृति के विरोध में किसी भी शासन को कभी भी जनजातियों ने स्वीकार नहीं किया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जनजातीय समुदाय के स्त्री-पुरुष, बच्चे-बुजुर्ग सभी लड़ाई में भाग लेते थे। ढोल-नगाड़े बजते थे, पारंपरिक हथियारों से आधुनिक हथियारों का मुकाबला करते थे।

    आदिवासी या तो जीतते थे या फिर बलिदान होते थे, पीठ दिखाकर कभी भागते नहीं थे। बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, सिदो, कान्हू, चांद, भैरव, फूलो, झानो मुर्मू, अल्लुरी सीतारमण राजू, सुरेंद्र साए, टंट्या भील, तेलंगा खड़िया जैसे वीरों के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। जनजातीय वीरों की याद में जनजातीय गौरव दिवस मनाना केवल एक दिवस के समान नहीं है। वास्तव में इस दिवस को मनाते हुए हम प्रत्येक उन भारतीय का सम्मान कर रहे हैं जिन्होंने भारतीय संस्कृति व स्वतंत्रता के लिए योगदान दिया, परंतु किन्हीं कारणों से अब तक उन्हें वह सम्मान प्राप्त नहीं हुआ था जिसके वे हकदार हैं। इसका एक परिणाम यह भी होगा कि अब जनजातीय समुदाय और गैर जनजातीय समुदाय एक दूसरे के समीप आएंगे। यह समीपता देश में संस्कृति, सम्मान, आत्मनिर्भरता के भारतीय गुणों के साथ एक सेतु का निर्माण भी करेगी।

    [सहायक प्रोफेसर, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, रांची]

    comedy show banner
    comedy show banner