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    जनजाति नेताओं से मिले संघ प्रमुख मोहन भागवत, बोले- भारत का धर्म है भाईचारा

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 10:17 PM (IST)

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जनजाति समुदाय के नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि भारत का धर्म भाईचारा है और सभी को मिलकर देश को आगे बढ़ाना चाहिए। भागवत ने भारत की संस्कृति और परंपराओं को भाईचारे और एकता पर आधारित बताया और समाज में सद्भाव को बढ़ावा देने का आग्रह किया। उन्होंने देश की एकता और विकास पर जोर दिया।

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    आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (फाइल)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को मणिपुर की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन इंफाल में जनजाति नेताओं के साथ बातचीत की और क्षेत्र एवं राष्ट्र में स्थायी शांति, सद्भाव और प्रगति सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक एकता और चरित्र निर्माण पर जोर दिया।

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    भागवत की यात्रा के दौरान मणिपुर में आरएसएस के नए कार्यालय भास्कर प्रभा में पारंपरिक मणिपुरी भोज का आयोजन किया गया। इसमें मणिपुर के विभिन्न जनजाति समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले 200 से अधिक नेता शामिल हुए।

    कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने दोहराया कि आरएसएस विशुद्ध रूप से एक सामाजिक संगठन है, जो समाज को मजबूत बनाने के लिए समर्पित है। आरएसएस किसी के खिलाफ नहीं है। इसका गठन समाज को तोड़ने के लिए नहीं, बल्कि उसे जोड़ने के लिए हुआ है। नेता, राजनीति, सरकारें और यहां तक कि ईश्वरीय अवतार भी सहयोगी शक्तियां हैं, लेकिन समाज को वास्तव में एकता की जरूरत है।

    संघ न तो राजनीति करता है और न ही किसी संगठन को रिमोट कंट्रोल से चलाता है। आरएसएस केवल मैत्री, स्नेह और सामाजिक सद्भाव के माध्यम से कार्य करता है।

    पीटीआई के अनुसार, भागवत ने कहा कि हम अपनी साझा चेतना के कारण एकजुट हैं। अपनी विविधता के बावजूद, हम एक ही सभ्यतागत परिवार के सदस्य हैं। एकता के लिए एकरूपता की आवश्यकता नहीं होती। आरएसएस की स्थापना बाहरी ताकतों की प्रतिक्रिया के रूप में नहीं, बल्कि आंतरिक असमानता को दूर करने के लिए की गई थी।

    (समाचार एजेंसी एएनआइ के इनपुट के साथ)