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    Corruption Perceptions Index: डेनमार्क में है सबसे कम भ्रष्टाचार, सोमालिया है सबसे भ्रष्ट देश; ये है पाकिस्तान का नंबर

    Updated: Tue, 30 Jan 2024 11:43 PM (IST)

    ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 180 भ्रष्ट देशों की सूची में सोमालिया सबसे नीचली पायदान है। यानी कि सोमालिया में सबसे अधिक भ्रष्टाचार है। वहीं इस सूची में डेनमार्क पहले नंबर पर है। इसके साथ ही चीन 76वें और पाकिस्तान 133वें नंबर पर है। ये रिपोर्ट प्रत्येक साल जारी की जाती है जिससे पता चलता है कि कौन सा देश कितना भ्रष्ट है।

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    ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल रिपोर्ट ने 180 भ्रष्ट देशों की सूची जारी की है।

    पीटीआई, नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के मामले में सोमालिया सबसे अधिक भ्रष्ट देश है। दुनिया के 180 देशों की सूची में सोमालिया आखिरी पायदान पर है। यानी कि सोमालिया में सबसे अधिक भ्रष्टचार है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।

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    सूची में डेनमार्क पहले नंबर पर

    ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, इस रैंकिंग में डेनमार्क पहले नंबर पर है, यानी कि दुनियाभर में डेनमार्क सबसे कम भ्रष्ट देश है। वहीं, चीन 76वें और पाकिस्तान 133वें नंबर पर है। ये रिपोर्ट प्रत्येक साल जारी की जाती है, जिससे पता चलता है कि कौन सा देश कितना भ्रष्ट है।

    इसके साथ ही भ्रष्टाचार के मोर्चे पर भारत की स्थिति में खास सुधार नहीं हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार 2023 में भारत का ओवरऑल स्कोर 39 रहा है, वहीं 2022 में भारत का स्कोर 40 था। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का 39 स्कोर मामूली बदलाव दिखाता है, लेकिन इससे किसी बड़े बदलाव के बारे में ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है।

    दुनिया के 180 देशों को किया गया शामिल

    भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2023 में भारत 93वें स्थान पर है। यह सूचकांक सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार की धारणा के आधार पर 180 देशों की 0 से 100 के पैमाने पर रैकिंग करता है। यहां 0 का मतलब है कि बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार है और 100 का मतलब है कि छवि साफ है। 2023 का भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक संकेत करता है कि दुनिया भर में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि दो तिहाई से ज्यादा देशों का स्कोर 50 से कम है। यह बढ़ते भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। वैश्विक स्तर पर देखें तो औसत स्कोर 43 पर अटका हुआ है। ज्यादातर देशों ने 21वीं सदी के दूसरे दशक में या तो कोई प्रगति नहीं की है उनके स्कोर में और गिरावट आ गई है। वहीं, 23 देश 2023 में अब तक के अपने न्यूनतम स्कोर पर आ गए हैं।