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    आवाज की गति से दौड़ेंगी ट्रेन, आईआईटी मद्रास ने तैयार किया पहला प्रोटोटाइप हाइपरलूप ट्रैक, क्या बोले रेल मंत्री?

    Updated: Tue, 25 Feb 2025 09:17 PM (IST)

    आईआईटी मद्रास ने देश का पहला प्रोटोटाइप हाइपरलूप ट्रैक तैयार किया है। इस ट्रैक पर आवाज की गति से ट्रेनें दौड़ेंगी। इनकी गति इतनी तेज होगी कि बुलेट ट्रेन भी पीछे रह जाएंगी। आईआईटी मद्रास ने देश का पहला प्रोटोटाइप हाइपरलूप ट्रैक तैयार किया है। इस बारे में देश के रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। जानिए उन्होंने इस संबंध में क्या कहा?

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    हाइपरलूप ट्रैक पर आवाज की गति से दौड़ेंगी ट्रेनें। फोटो: सोशल मीडिया

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रेल यात्रा के साधनों में आधुनिक और इनोवेटिव बदलावों की पृष्ठभूमि तैयार हो रही है। भविष्य में पटरियों पर नहीं, बल्कि ट्यूब के अंदर ट्रेनें दौड़ेंगी, जिसकी गति बुलेट ट्रेनों से भी अधिक होगी। लगभग आवाज की गति के बराबर। आईआईटी मद्रास ने देश का पहला प्रोटोटाइप हाइपरलूप ट्रैक तैयार किया है, जिसका वीडियो रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी साझा किया है।

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    उन्होंने इसे रेलवे एवं शिक्षा क्षेत्र के बीच मजबूत साझेदारी करार दिया है, जिससे दुनिया में भारतीय रेलवे इनोवेशन एवं अत्याधुनिक यात्रा तकनीकों को बढ़ावा देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। रेलवे के लिए यह बड़ी क्रांति साबित हो सकती है।

    कहां और कितना लंबा है हाइपरलूप ट्रैक?

    रेलवे के वित्तीय मदद से बनी देश की यह पहली हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक 422 मीटर लंबी है, जो आइआइटी मद्रास (चेन्नई) में स्थित है। हाइपरलूप ऐसी तकनीक है, जिसमें ट्रेन को एक खास ट्यूब में टाप स्पीड पर चलाया जा सकता है। यात्री ट्रेनों को विशेष प्रकार से तैयार किया जाएगा, जिसे लो-प्रेशर या निर्वात ट्यूब में इलेक्ट्रिक चुंबक पर चलाया जाएगा।

    ट्रेन की रफ्तार में बढ़ोतरी का क्या होगा तरीका?

    इसमें इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन (आगे की ओर धक्का) सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि ट्रेनें चुंबकीय प्रभाव में ट्रैक से कुछ ऊपर उठकर चलने लगेंगी और घर्षण न्यूनतम होगा, जिससे रफ्तार में वृद्धि होगी। इस तकनीक की मदद से ट्रेन की गति प्रतिघंटा लगभग 11 सौ किलोमीटर तक पहुंच सकती है। साथ ही पर्यावरण की क्षति भी न्यूनतम होगी।

    भारतीय रेलवे बढ़ाएगा हाइपरलूप तकनीक

    • दुनिया में इतनी रफ्तार से अभी किसी देश में ट्रेनें दौड़ाने की तकनीक नहीं है। हालांकि अमेरिका में चार वर्ष पहले हाइपरलूप ट्रैक का ट्रायल किया गया है। रेलवे ने हाइपरलूप तकनीक को आगे बढ़ाने पर गंभीरता से विचार करना प्रारंभ कर दिया है।
    • चेन्नई में एशिया की पहली ग्लोबल हाइपरलूप प्रतियोगिता के समापन समारोह में सोमवार को रेल मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिरकत कर युवा वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की विश्वस्तरीय क्षमताओं की सराहना की। इस दौरान हाइपरलूप ट्रैक का प्रदर्शन किया गया।

    इस रूट पर बनेगा पहला पूर्ण हाइपरलूप ट्रैक

    ट्रैक को भारतीय परिस्थितियों के लिहाज से तैयार किया गया है। फिलहाल इसे भविष्य की संभावनाओं को परखने के लिए एक प्रोटोटाइप के रूप में ही देखा जा रहा है। भारत में पहला पूर्ण हाइपरलूप ट्रैक मुंबई-पुणे मार्ग पर बनाने की तैयारी है। इसके माध्यम से यात्रा करने पर मुंबई-पुणे के बीच की दूरी को 20 मिनट में तय किया जा सकेगा, जबकि अभी लगभग तीन घंटे लगते हैं।

    हाइपलूप तकनीक लाएगी क्रांति: अश्विनी वैष्णव

    • रेलमंत्री ने कहा कि इस उपलब्धि के सहारे भविष्य की परिवहन क्रांति की ओर तेजी से बढ़ने में मदद मिल सकती है। इस तकनीक की मदद से लोगों को बहुत तेज और सुरक्षित यात्रा का अनुभव होगा।
    • यह भारत के पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को पूरी तरह से बदल सकती है। हालांकि इस तरह की संरचना, ट्यूब एवं स्टेशन जैसा ढांचा बनाना आसान नहीं होगा। इसमें लागत अत्यधिक आ सकती है। अभी इसे शोध की प्रक्रिया से गुजरना होगा।