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    ट्रेन का कंबल महीने में कम से कम एक बार जरूर धुलता है, अश्विनी वैष्णव ने संसद में दी जानकारी

    रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया कि रेल यात्रियों को बेडरोल किट में मिलने वाला कंबल महीने में कम से कम एक बार अवश्य धोया जाता है। इसके अलावा यात्रियों को एक अतिरिक्त चादर भी दी जाती है जो उसे कंबल के कवर के रूप में इस्तेमाल करते हैं। धुली हुई सफेद चादरों की सफाई निर्धारित करने के लिए व्हाइटो मीटर का उपयोग किया जाता है।

    By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 28 Nov 2024 05:15 AM (IST)
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    ट्रेन का कंबल महीने में कम से कम एक बार जरूर धुलता है: अश्विनी वैष्णव (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया कि रेल यात्रियों को बेडरोल किट में मिलने वाला कंबल महीने में कम से कम एक बार अवश्य धोया जाता है। इसके अलावा, यात्रियों को एक अतिरिक्त चादर भी दी जाती है जो उसे कंबल के कवर के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

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    चादरों के सेट की बेहतर गुणवत्ता की धुलाई होती

    कांग्रेस सदस्य कुलदीप इंदौरा के सवाल का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने बुधवार को बताया कि बेडिंग की मूलभूत स्वच्छता के मानक अपनाए जाते हैं। भारतीय रेलवे में इस्तेमाल होने वाले कंबल हल्के और धुलने में आसान होते हैं। इनके आरामदेह अनुभव के चलते यह यात्रियों को खासी गर्माहट देते हैं। लेनिन की चादरों के सेट की बेहतर गुणवत्ता की धुलाई होती है।

    मानकीकृत वाशिंग मशीनों में इन चादरों की धुलाई होती है

    मानकीकृत वाशिंग मशीनों में इन चादरों की धुलाई होती है। धुली हुई सफेद चादरों की सफाई निर्धारित करने के लिए व्हाइटो मीटर का उपयोग किया जाता है। अब पहले के मुकाबले उपयोग में आ रही चादरों को अपेक्षाकृत स्टाक से जल्दी हटाया जाता है और उनकी जगह एकदम नई चादरों का इस्तेमाल होता है।

    वंदे भारत से भी तेज दौड़ने वाली है ये ट्रेन, अश्विनी वैष्णव ने बताया पूरा प्लान

    केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को संसद को बताया कि इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (चेन्नई), बीईएमएल के साथ मिलकर हाई-स्पीड ट्रेन सेट का डिजाइन और निर्माण कर रही है। इस ट्रेन की स्पीड 280 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। वंदे भारत ट्रेनों की सफलता के बाद अब हाई-स्पीड ट्रेन सेट का डिजाइन और निर्माण शुरू कर दिया गया है।

    हाई-स्पीड ट्रेन सेटों का डिजाइन

    उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों सुधीर गुप्ता और अनंत नायक द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि इस रेल के निर्माण की लागत लगभग 28 करोड़ रुपये प्रति (करों को छोड़कर) है। इस हाई-स्पीड ट्रेन सेटों का डिजाइन और निर्माण एक जटिल और प्रौद्योगिकी-गहन प्रक्रिया है।

    ट्रेन में मिलेंगी ये सुविधाएं

    उन्होंने प्रमुख तकनीकी पहलुओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इसमें हाई स्पीड के लिए इलेक्ट्रिक्स का डिजाइन और निर्माण अलग से किया गया है। ट्रेन सेटों का भार अनुकूलन और ट्रेनों की हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग (एचवीएसी) पर अधिक फोकस रखा गया है। यात्रियों की सुविधा के लिए डिब्बों के अंदर अनुकूलतम परिस्थितियां, सीसीटीवी, मोबाइल चार्जिंग सुविधाएं, अनुकूलतम प्रकाश व्यवस्था और अग्नि सुरक्षा उपकरण उपलब्ध होंगे।