TRAI की सिफारिश- खुद के डेटा पर ग्राहकों का अधिकार, कंपनियों का नहीं
ट्राई ने कहा कि मौजूदा नियम ग्राहकों की सुरक्षा के लिए काफी नहीं है। दूरसंचार उपभोक्ताओं को अपनी पसंद, सहमति और भूलने का अधिकार दिया जाना चाहिए।
दिल्ली [प्रेट्र]। यूजर के डाटा की सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण सिफारिश करते हुए ट्राई ने सोमवारको कहा कि डाटा एकत्र करने वाली कंपनी को उसके प्रयोग का अधिकार कतई नहीं है। प्रयोग के लिए ग्राहक की सहमति आवश्यक है। साथ ही ट्राई ने कहा कि यूजर को कंपनी से इंटरनेट पर मौजूद अपनी जानकारी हटाने को कहने का अधिकार भी होना चाहिए।
गौरतलब है कि ट्राई ने डाटा की निजता और सुरक्षा के लिए पिछले साल एक पत्र जारी कर सभी से सुझाव मांगे थे। जबकि इस साल फरवरी में इस पर खुली चर्चा की थी। ट्राई ने अपनी 77 पेज की सिफारिशों में मौजूदा डाटा प्रोटेक्शन नीति को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि प्रत्येक ग्राहक किसी न किसी कंपनी को अपना डाटा या सूचना देता है, लेकिन कंपनी को इसकी सिर्फ रखवाली का अधिकार है।
ट्राई ने सरकार से ऑपरेटिंग सिस्टम, ब्राउजर्स और एप्लीकेशन पर पॅालिसी बनाने को भी कहा है। ट्राई ने टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॅारिटी ऑफ इंडिया से सिफारिश की है कि ग्राहक के पास यह चुनने का अधिकार होना चाहिए कि वह अपना डाटा किसे दे।
ट्राई ने कहा कि जब तक सरकार डाटा प्रोटेक्शन पर कोई नीति नहीं लाती है तब तक टेलीकॉम ऑपरेटरों पर डाटा सुरक्षा से संबंधित मौजूदा कानून ही लागू होंगे। इस संबंध में जब ट्राई चेयरमैन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इन सिफारिशों में देश के लिए डाटा सुरक्षा संरचना पर काम करने वाले जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण कमेटी से मिले तथ्य भी शामिल किए गए हैं।
वहीं टेलीकॉम ऑपरेटरों को नियंत्रित करने वाली संस्था सीओएआइ के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यूज से इन सिफारिशों से पूरी तरह सहमति जताई है।