भारत में दूध की खपत के परंपरागत तरीकों में आ रहा बदलाव, स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा
एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत में दूध और डेयरी उत्पादों की खपत के तरीके बदल रहे हैं, लेकिन अभी भी 70% भारतीय नियमित रूप से इनका सेवन करते हैं। लोग अब स्मूदी और फ्लेवर्ड मिल्क जैसे विकल्पों को पसंद कर रहे हैं, लेकिन चाय और कॉफी अभी भी दूध के सबसे बड़े माध्यम हैं। अभिभावक बच्चों में दूध की खपत घटने से चिंतित हैं। ब्रांडेड दूध का बाजार बढ़ रहा है।

भारत में दूध की खपत को लेकर शोध। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में दूध और डेरी उत्पादों की खपत के बदलते रुझानों के बावजूद हर 10 में से सात भारतीय अब भी इनका नियमित रूप से इस्तेमाल करते हैं। गोदरेज जर्सी की तरफ से जारी 'भारत दूध-उपभोग निष्कर्ष 25-26' अध्ययन को शोध फर्म यूगोव ने आठ प्रमुख शहरों में सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किया है।
शोध में पाया गया कि दूध पीने की पारंपरिक आदतें अब स्मूदी, प्रोटीन शेक और फ्लेवर वाले दूध जैसे विकल्पों की ओर झुक रही हैं।अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, 58 प्रतिशत उपभोक्ता अब केसर या बादाम जैसे स्वाद वाले दूध को पसंद कर रहे हैं, जबकि 51 प्रतिशत लोग दूध को स्मूदी में मिलाकर पीते हैं। इसके बावजूद चाय और कॉफी दूध के सबसे बड़े माध्यम बने हुए हैं, जहां 59 प्रतिशत प्रतिभागियों ने बताया कि वे दूध की खपत इन पेयों के जरिये करते हैं।
गोदरेज जर्सी के मार्केटिंग हेड शांतनु राज ने बताया कि दूध कहीं जा नहीं रहा, बस उसका गिलास बदल रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए कंपनी प्रोटीन-युक्त दूध पेय और पोषक तत्वों से भरपूर डेरी उत्पादों में निवेश कर रही है।
अभिवावकों की चिंताएं भी आईं सामने
बचपन से जुड़ी यादों के कारण 52 प्रतिशत उपभोक्ता अभी भी सादा दूध पीना पसंद करते हैं। इस रिपोर्ट में दूध के सेवन के बदलते तरीकों को लेकर अभिभावकों की चिंताएं भी सामने आई हैं। सर्वे में शामिल 64 प्रतिशत माता-पिता का मानना है कि बच्चों की दूध खपत घटने से उनकी हड्डियों में उनके अपने बचपन की तुलना में कमी आ सकती है।
वहीं 54 प्रतिशत अभिभावकों को लगता है कि उनके बच्चों की शारीरिक वृद्धि पिछली पीढ़ी के मुकाबले धीमी है। जिन अभिभावकों ने बच्चों को दूध देना जारी रखा है, उनमें से 73 प्रतिशत ने कैल्शियम जरूरतों, 62 प्रतिशत ने प्रोटीन और ऊर्जा की वजह को प्राथमिकता बताया।
64 प्रतिशत परिवार पैकेट और ब्रांडेड दूध खरीद रहे
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि ब्रांडेड दूध का बाजार पर वर्चस्व बढ़ रहा है। अब 64 प्रतिशत परिवार पैकेट वाले एवं ब्रांडेड दूध खरीद रहे हैं, जबकि बिना ब्रांड वाला खुला दूध केवल 21 प्रतिशत घरों में जाता है। इसके अलावा, बादाम और सोया जैसे पौधा-आधारित दूध विकल्पों की हिस्सेदारी भी लगभग 12 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
ब्रांडेड दूध चुनने के प्रमुख कारणों में गुणवत्ता पर भरोसा (60 प्रतिशत), स्वाद और बनावट में निरंतरता (48 प्रतिशत) और सुविधा (46 प्रतिशत) शामिल रहे। सर्वेक्षण में शामिल 71 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने दूध की स्वच्छता को बेहद अहम बताया। अध्ययन के अनुसार, भारतीय घरों में दही (80 प्रतिशत), पनीर (76 प्रतिशत) और मक्खन (74 प्रतिशत) अब भी नियमित रूप से उपयोग किए जाते हैं।

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