आधुनिक कैंसर उपचार के साथ जोड़ी जाएंगी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियां, WHO के कार्यक्रम में PM मोदी की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पारंपरिक चिकित्सा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि आयुष मंत्रालय और जामनगर स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के पार ...और पढ़ें
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डब्ल्यूएचओ के पारंपरिक चिकित्सा पर वैश्विक शिखर सम्मेलन के समापन पर बोले प्रधानमंत्री (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पारंपरिक चिकित्सा के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व भर के विशेषज्ञों के समक्ष इस बात को लेकर प्रसन्नता व्यक्त की कि आयुष मंत्रालय और जामनगर स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन के पारंपरिक चिकित्सा केंद्र ने भारत में कैंसर के उपचार को लेकर नई पहल की है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि जो संयुक्त प्रयास किए गए हैं, उसके तहत पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को आधुनिक चिकित्सा कैंसर उपचार के साथ जोड़ा जाएगा। यह पहल साक्ष्य आधारित दिशा-निर्देश तैयार करने में भी सहायक होगी।
डब्ल्यूएचओ के पारंपरिक चिकित्सा पर आयोजत वैश्विक शिखर सम्मेलन के समापन पर पीएम ने कहा कि तीन दिवसीय संवाद ने दिल्ली घोषणा-पत्र का मार्ग प्रशस्त किया है, जो आने वाले वर्षों के लिए एक साझा रोडमैप के रूप में कार्य करेगा।
भारत मंडपम में आयोजित हुआ कार्यक्रम
भारत मंडपम में आयोजित इस कार्यक्रम के समापन सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक समय यह धारणा थी कि पारंपरिक चिकित्सा केवल स्वास्थ्य या जीवनशैली तक ही सीमित थी, लेकिन आज यह धारणा तेजी से बदल रही है। पारंपरिक चिकित्सा गंभीर परिस्थितियों में भी प्रभावी भूमिका निभा सकती है और भारत इसी सोच के साथ आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन दिनों में पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में विश्व भर के विशेषज्ञों ने गंभीर और सार्थक चर्चाओं में भाग लिया है। भारत इस उद्देश्य के लिए एक सशक्त मंच प्रदान कर रहा है और डब्ल्यूएचओ की सक्रिय भूमिका है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारत का सौभाग्य और गौरव का विषय है कि जामनगर में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र स्थापित किया गया है।
याद दिलाया कि 2022 में पहले पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व ने भारत को इस जिम्मेदारी का पूर्ण विश्वास सौंपा था। यह सभी के लिए खुशी की बात है कि केंद्र की प्रतिष्ठा और प्रभाव वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण इस शिखर सम्मेलन की सफलता है।
उठाए गए महत्वपूर्ण कदम
उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन में पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक पद्धतियों का संगम देखने को मिल रहा है। यहां कई नई पहलें शुरू की गई हैं, जो चिकित्सा विज्ञान और समग्र स्वास्थ्य के भविष्य को बदल सकती हैं। इस शिखर सम्मेलन के परिणामों को स्थायी रूप देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
पीएम ने पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक पुस्तकालय के शुभारंभ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह एक वैश्विक मंच है और पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित वैज्ञानिक डाटा और नीतिगत दस्तावेजों को एक ही स्थान पर संरक्षित करेगा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत विश्व भर में स्वास्थ्य संबंधी साझेदारियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
दो महत्वपूर्ण सहयोगों का उल्लेख किया कि पहला सहयोग दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया को कवर करने वाले बिम्सटेक देशों के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना है और दूसरा सहयोग विज्ञान, पारंपरिक प्रथाओं और स्वास्थ्य को एकीकृत करने के उद्देश्य से जापान के साथ किया गया है।
पीएम ने भी की पुष्टि
उन्होंने आगाह किया कि 21वीं सदी में जीवन में संतुलन बनाए रखने की चुनौती और भी बड़ी होने वाली है। एआइ और रोबोटिक्स के साथ नए तकनीकी युग का आगमन मानव इतिहास का सबसे बड़ा परिवर्तन है और आने वाले वर्षों में जीवनशैली में अभूतपूर्व बदलाव आएंगे।
ऐसे में पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा को न केवल वर्तमान जरूरतों पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि भविष्य की जिम्मेदारियों को भी निभाना चाहिए, जो हम सभी का साझा दायित्व है। अश्वगंधा पर बढ़ते विश्वास का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने यह पुष्टि भी की कि भारत इस तरह की समय-परीक्षित जड़ी-बूटियों को वैश्विक जन स्वास्थ्य का हिस्सा बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

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