'सांची दान' के जरिए स्तूपों पर लिखी लिपि समझ सकेंगे पर्यटक, प्रशासनिक अधिकारी ने लिखी पुस्तक
इसके माध्यम से सांची स्तूपों को ही नहीं सम्राट अशोक के काल या उत्तरेत्तर उत्कीर्ण अभिलेखों को आसानी से पढ़ा जा सकता है।
आकाश माथुर, सीहोर। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सांची के शिलालेख पर उत्कीर्ण वाक्यों को अब आसानी से समझा जा सकेगा। 'सांची दान' पुस्तक के जरिए एक प्रशासनिक अधिकारी ने धम्मलिपि का परिचय, वर्णमाला और ग्यारह खड़ी सहित स्तूप की वेदिकाओं पर उत्कीर्ण अभिलेखों का वर्णन किया है।
इस पुस्तक का प्रकाशन हाल ही में किया गया है। पुस्तक के जरिए धम्मलिपि सीखी जा सकेगी। पुस्तक में हिंदी, अंग्रेजी और धम्मलिपि लिखी गई है। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के श्यामपुर तहसीलदार और साहित्यकार मोतीलाल आलमचंद्र ने बताया कि यह पुस्तक भारत की प्रथम वैज्ञानिक लेखन शैली धम्मलिपि की पहली पुस्तक है। जो अलग-अलग स्वरूपों में उपलब्ध है। इसके माध्यम से सांची स्तूपों को ही नहीं, सम्राट अशोक के काल या उत्तरेत्तर उत्कीर्ण अभिलेखों को आसानी से पढ़ा जा सकता है।
धम्मलिपि का जाना जा सकता है इतिहास
मालूम हो, धम्मलिपि को साहित्यिक भाषा में ब्राह्मी लिपि भी कहा जाता है। आलमचंद्र का कहना है कि धम्मलिपि सीखकर इतिहास को जाना जा सकता है। किताब लिखने के पीछे मुख्य उद्देश्य धम्मलिपि को जनमानस तक पहुंचाना है। उन्होंने बताया कि सालों के शोध के बाद यह पुस्तक लिखी गई है। पुस्तक में धम्मलिपि की वर्णमाला से शुरआत है और आधी पुस्तक पढ़कर ही लोग धम्मलिपि के लेख आसानी से पढ़ सकेंगे। पुस्तक में विशेष इस पुस्तक में सांची, धम्मलिपि का परिचय, धम्मलिपि की वर्णमाला, मात्राएं, संयुक्त अक्षर, धम्मलिपि की ग्यारह खड़ी, अंक और सांची स्तूपों की वेदिकाओं पर उत्कीर्ण अभिलखों का वर्णन है।
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