भारत के टॉप-10 गैंगस्टर, एक को खुद हाजी मस्तान कहता था 'असली डॉन'; लिस्ट में दाऊद इब्राहिम और वरदराजन भी शामिल
मुंबई ने हाजी मस्तान से लेकर दाऊद इब्राहिम तक कई अंडरवर्ल्ड डॉन देखे हैं। इनमें से कुछ ने पैसा कमाने की चाहत में तो कुछ ने गर्लफ्रेंड की जरूरतों को पूरा करने के लिए जरायम की दुनिया में कदम रखा। आइए देश के टॉप-10 गैंगस्टर के बारे में जानते हैं...

Top 10 Gangsters in India: मुंबई में एक से बढ़कर एक डॉन, माफिया और गैंगस्टर हुए हैं, जिनके काले कारनामों के किस्से सुनकर लोगों की आज भी रूह कांप जाती है। इनमें करीम लाला, हाजी मस्तान, वरदराजन मुदलियार, करीम लाला और दाऊद इब्राहिम का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। आइए, आज हम आपको भारत के टॉप-10 गैंगस्टर और उनके आपराधिक किस्सों के बारे में बताते हैं...
भारत के टॉप-10 गैंगस्टर
- हाजी मस्तान
- करीम लाला
- वरदराजन मुदलियार
- दाऊद इब्राहिम
- बड़ा राजन
- छोटा राजन
- अरुण गवली
- अबू सलेम
- छोटा शकील
- रवि पुजारी
हाजी मस्तान
अगर अंडरवर्ल्ड डॉन की बात करें तो सबसे पहला नाम हाजी मस्तान का आता है। मस्तान मुंबई का पहला अंडरवर्ल्ड डॉन था। उसे बाहुबली माफिया तस्कर हाजी मस्तान भी कहते थे। कहा जाता है कि मस्तान ने वरदराजन मुदलियार और करीम लाला को आगे बढ़ाया था।
हाजी मस्तान का जन्म तमिलनाडु के कुड्डालोर में एक मार्च 1926 को हुआ था। उसने 1970 तक मुंबई में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था। कहा जाता है कि मस्तान को सूट पहने और मर्सिडीज की सवारी करने का बहुत शौक था। उसे विदेशी सिगार और सिगरेट पीने का भी शौक था। उसके हाथ में हमेशा सिगरेट और सिगार दिखाई देता था।
करीम लाला
अब बात करते हैं करीम लाला की, जिसका जन्म अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में 1921 में हुआ था। करीम लाला तस्करी समेत कई गैरकानूनी धंधे करता था। उसको हाजी मस्तान असली डॉन कहते थे। जरायम की दुनिया में उसकी तूती बोलती थी। वह केवल 21 साल की उम्र में पेशावर के रास्ते मुंबई पहुंचा था। उसने 1940 तक तस्करी के कामों में अपना दबदबा बना लिया। इसके बाद उसने जुएं और दारू के अड्डे भी खोल दिए।
कहा जाता है कि करीम लाला, वरदराजन मुदलियार और हाजी मस्तान के इलाके बंटे हुए थे, जिसकी वजह से तीनों के बीच कभी खून खराबा नहीं होता था। करीम लाला का निधन अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में 2011 में हुआ।
वरदराजन मुदलियार
वरदराजन मुदलियार को जल्द अमीर बनने की चाहत ने अंडरवर्ल्ड की दुनिया का बेताज बादशाह बना डाला। उसका जन्म मद्रास प्रेसीडेंसी के थूटूकुडी में 1926 में हुआ था वरदराजन पहले छोटी नौकरियां करता था, लेकिन बाद में वह मुंबई चला गया और रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने लगा। उस समय उसकी उम्र 34 साल थी। कुली का काम करने के दौरान ही वह अवैध शराब के कारोबार से जुड़ा। जब वह मुंबई आया तो उस समय हाजी मस्तान और करीम लाला का सिक्का अंडरवर्ल्ड में चलता था।
वरदराजन ने भी अपना धंधा शुरू कर दिया। वह अपने कारोबार को बढ़ाना चाहता था, जिसे लेकर वह हाजी मस्तान से मिला। हाजी मस्तान भी उससे प्रभावित हुए और उसे अपने साथ ले लिया। दोनों मिलकर काम करने लगे। इसी दौरान हाजी मस्तान ने उसकी मुलाकात करीम लाला से करवाई। कुछ ही दिनों में वरदराजन ने मुंबई अंडरवर्ल्ड में अपनी पहचान बना ली। वह हत्या की सुपारी लेने से लेकर तस्करी जैसे कामों को संभालता था। दिल का दौरा पड़ने की वजह से चेन्नई में दो जनवरी 1988 को उसकी मौत हो गई
दाऊद इब्राहिम
- मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया की बात हो और दाऊद इब्राहिम का नाम सामने ना आए, ऐसा कैसे हो सकता है।
- दाऊद इब्राहिम भारत के मोस्टवांटेड अपराधियों की लिस्ट में पहले नंबर पर है।
- दाऊद कई आतंकी संगठनों से भी जुड़ा हुआ है।
- कहा जाता है कि उसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई एस आई का संरक्षण मिला हुआ है।
- दाऊद 1993 में मुंबई ब्लास्ट का मुख्य मास्टरमाइंड है।
- उसने अपनी बेटी की शादी पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियांदाद के बेटे से की है।
- दाऊद के पिता मुंबई पुलिस में हेड कांस्टेबल थे।
- दाऊद ने अपराध की दुनिया में कदम अपने भाई शब्बीर के साथ मिलकर तस्करी के काम से शुरू किया था। यहीं से मुंबई में खूनी जंग शुरू हुई।
- अब तक अंडरवर्ल्ड की दुनिया में अपनी बादशाहत कायम कर चुके करीम लाला दाऊद के अपराध की दुनिया में कदम रखते ही अपने काम में दखल महसूस करने लगा। उसने दाऊद के भाई शब्बीर की हत्या करवा दी, जिसके बाद दोनों गुटों के बीच खूनी गैंगवार शुरू हो गया।
- दाऊद के सिर पर खून सवार था। वह करीम लाला से अपने भाई की मौत का बदला लेना चाहता था। इसीलिए उसने करीम लाला के भाई रहीम खान की अपने साथियों के साथ मिलकर हत्या कर दी।
- भाई की मौत से करीम लाला पूरी तरह टूट गया, जिसके बाद उसने दाऊद से दोस्ती कर ली और जुर्म की दुनिया को छोड़ दिया।
- करीम लाला के साथ ही मुंबई अंडरवर्ल्ड का पहला डॉन हाजी मस्तान और वरदराजन ने भी 1980 में अपराध की दुनिया को अलविदा कह दिया।
- हाजी मस्तान ने 1970 में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से प्रभावित होकर राजनीति की दुनिया में कदम रखा।
- कहा जाता है कि 1993 के मुंबई धमाकों से पहले दाऊद भारत से दुबई चला गया था।
अरुण गवली
अरुण गवली का जन्म 17 जुलाई 1955 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के कोपरगांव में हुआ था। उसके पिता का नाम गुलाबराव था, जो मजदूरी करके घर का खर्चा चलाते थे। जब दाऊद इब्राहिम ने मुंबई छोड़ा तो केवल दो ही खिलाड़ी अपराध की दुनिया में बचे थे- एक अरुण गवली और दूसरा अमर नाइक। अमर नाइक को एक एनकाउंटर में पुलिस ने मार गिराया, जबकि उसके भाई को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद मुंबई में अंडरवर्ल्ड की दुनिया में केवल गवली ही बचा था।
गवली को डैडी के नाम से भी जाना जाता था। वह अंडरवर्ल्ड की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया था। ऐसा कहा जाता है कि उसके नाम से मुंबई के बड़े-बड़े लोग खौफ खाते थे। एक दशक में उसके कई दुश्मन पैदा हो गए, जिसके बाद उसने उसने राजनीति में कदम रखा और अखिल भारतीय सेना नाम से खुद की पार्टी बनाई और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों को खड़ा कर दिया।
गवली को लगता था कि वह विधायक बनकर पुलिस की नजरों से बच जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गवली ने 2008 में शिवसेना के पार्षद कमलाकर जामसंडेकर की सुपारी लेकर हत्या कर दी। इस केस में उसको उम्रकैद की सजा सुनाई गई। उसके जेल में जाते ही पुलिस ने उसके पूरे गैंग को साफ कर दिया।
बड़ा राजन
- मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया में बड़ा राजन का भी नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
- बड़ा राजन का असली नाम राजन नायर है। उसे छोटा राजन का गुरु कहा जाता है।
- बड़ा राजन पहले मुंबई में दर्जी का काम करता था।
- कहा जाता है कि उसने अपराध की दुनिया में कदम अपनी प्रेमिका के लिए किया था। राजन जो काम करता था, उसमें उससे बहुत कम पैसे मिलते थे। उसकी प्रेमिका के शौक बड़े-बड़े थे, जिसको पूरा करने के लिए उसने महंगे टाइपराइटर की चोरी करनी शुरू कर दी।
- एक दिन वह पकड़ा गया तो चोरी के जुर्म में उसे तीन साल के लिए जेल भेज दिया गया। जेल से बाहर निकलने के बाद उसने एक गैंग बनाया, जिसका नाम रखा गया- गोल्डन गैंग।
- गोल्डन गैंग का नाम 1970 के बाद राजन गैंग हो गया।
- रंगदारी, जबरन वसूली, तस्करी, फिल्मों के टिकट ब्लैक करना और पैसे लेकर कब्जा दिलाना बड़ा राजन का मुख्य धंधा हो गया।
- 1979 में जब आपातकाल हटा तो पुलिस ने अपराधियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। एक दिन एक सिनेमा हाल के बाहर पुलिस टिकट ब्लैक करने वालों पर कार्रवाई करने पहुंची तो उसकी बदमाशों से झड़प हो गई। पुलिस ने लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया। इसी दौरान एक लड़का सामने आया और उसने पुलिस की लाठी लेकर उन्हें ही मारना शुरू कर दिया, जिससे भीड़ तितर-बितर हो गई।
- इस लड़के से बड़ा राजन बहुत प्रभावित हुआ और उसे अपने गैग में शामिल कर लिया। आगे चलकर इसी लड़के यानी राजेंद्र को उसने अपने गैंग की कमान दे दी। राजेंद्र ही आगे चलकर छोटा राजन के नाम से जाना गया।
- दोनों ने मिलकर पूरी मुंबई में अपने धंधे को आगे बढ़ाया। कहा जाता है कि तस्करी करके दोनों ने खूब पैसा कमाया। 1980 में जब वरदराजन मुंबई से चेन्नई चला गया तो बड़ा राजन ने उसके धंधे को जारी रखा।
- एक समय ऐसा आया जब बड़ा राजन ने करीम लाला और हाजी मस्तान को तस्करी के धंधे में पीछे छोड़ दिया।
- इसके बाद 1980 के अंत में बड़ा राजन ने अब्दुल कुंजू नाम के एक अपराधी को अपनी गैंग में जगह दी, जिसने कुछ समय बाद बड़ा राजन की प्रेमिका से ही शादी कर ली।
- इससे बड़ा राजन का खून खौल उठा और उसने कुंजू से दुश्मनी कर ली। एक साल बाद ही अब्दुल कुंजू ने बड़ा राजन की हत्या कर दी।
छोटा राजन
बड़ा राजन की 1982 में हत्या के बाद उसके धंधों को छोटा राजन ने आगे बढ़ाया। उसने बड़ा राजन के हत्यारों को जान से मारने की कसम खाई। अब्दुल कुंजू को छोटा राजन का इतना खौफ था कि उसने एक साल बाद नौ अक्टूबर 1983 को पुलिस थाने में सरेंडर कर दिया, लेकिन छोटा राजन ने कई बार उसकी हत्या की कोशिश की, लेकिन वह हर बार बच जाता था।
एक बार तो भरे अस्पताल में छोटा राजन ने उसको मारने की कोशिश की, जिससे प्रभावित होकर दाऊद ने उसे अपनी गैंग में शामिल कर लिया। 1984 तक छोटा राजन दाऊद का खास बन गया। इसी दौरान छोटा राजन को पता चला कि अब्दुल खेल के मैदान में देखा गया है तो छोटा राजन वहां पहुंचा और अब्दुल को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया।
अबू सलेम
अबू सलेम मूल रूप से आजमगढ़ का रहने वाला है। वह दाऊद इब्राहिम के लिए काम करता था। वह आजमगढ़ से युवकों को मुंबई लाकर उनसे शूट आउट को अंजाम दिलवाता था। अबू सलेम फिल्म निर्माताओं से जबरन पैसा वसूलता था। वह फिल्म निर्माता गुलशन कुमार, राकेश रोशन, सुभाष घई और राजीव राय को धमकी देने से भी पीछे नहीं हटा। इस समय वह सलाखों के पीछे है।
गुलशन कुमार की हत्या के पीछे भी सलेम का ही हाथ होने की बात कही जाती है। उसे 2002 में पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद 2015 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वह 1984 में काम की तलाश में मुंबई पहुंचा था। उसका जन्म 1962 में हुआ था।
छोटा शकील
छोटा शकील को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का दायां हाथ कहा जाता है। मुंबई बम धमाकों में वह आरोपी था। वह दक्षिणी मुंबई के नागपाड़ा में रहता था। उसका असली नाम मोहम्मद शकील बाबू शेख था। अपराध की दुनिया में कदम रखने से पहले वह ट्रैवेल एजेंसी चलाता था।
छोटा शकील 1988 में दाऊद गैंग में शामिल हुआ। कहा जाता है कि 2017 में उसकी हत्या कर दी गई, लेकिन इसकी पुष्टि आज तक नहीं हुई।
रवि पुजारी
गैंगस्टर रवि पुजारी को सेनेगल पुलिस ने तीन साल पहले ड्रग तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। हालांकि, कुछ दिन के बाद उसे जमानत मिल गई। वह जाली पासपोर्ट बनाकर दक्षिण अफ्रीका चला गया। सेनेगल पुलिस और दक्षिण अफ्रीकी पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में उसे गिरफ्तार किया गया। बाद में, पुजारी को भारत को सौंप दिया गया। वह 15 साल से फरार चल रहा था।
पुजारी ने भी दाऊद इब्राहिम के लिए काम किया था। वह छोटा राजन के साथ भी जुड़ा। हालांकि, बाद में वह इन दोनों से अलग होकर अकेले जरायम की दुनिया में कूद पड़ा। वह रियल एस्टेट व्यापारियों और बॉलीवुड अभिनेताओं को धमकी देकर उनसे फिरौती वसूलता था।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
दाऊद इब्राहिम से पहले मुंबई का डॉन हाजी मस्तान, करीम लाला और वरदराजन मुदलियार थे। इन्हीं तीनों की हुकूमत मुंबई पर चलती थी।
दाऊद की पत्नी का नाम माइजाबीन है। उसकी तीन बेटियां भी हैं।
दाऊद ने भारत 1986 के आसपास छोड़ दिया था। इसके बाद ही उसने 1993 में मुंबई बम धमाकों को अंजाम दिया।
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