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इतिहास के पन्नों में आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण, आज ही के दिन गिराया गया था विवादित ढांचा; जानें और क्या खास

आज यानी 6 दिसंबर इतिहास में बेहद खास दिन है। आज ही के दिन विवादित ढ़ाचा गिराया गया था। इसके अलावा आज ही के दिन संविधान निर्मता ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। जानें इतिहास के पन्नों में आज के दिन और क्या हुआ था खास।

By Pooja SinghEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 09:03 AM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 09:38 AM (IST)
आज ही के दिन गिराया था बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा; जानें और क्या खास

नई दिल्ली, जेएनएन। आज यानी 6 दिसंबर देश के इतिहास में बेहद ही खास है। आज ही के दिन देश और दुनिया में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई थी। इसमें पहले तो विवादित ढाचा था। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में लाखों कारसेवकों ने विवादित ढांचा को गिराया दिया था। इसके अलावा आज देश के संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर का निधन हुआ था साथ ही देश-विदेश में कई महत्पपूर्ण घटनाएं हुई। तो आइये जानते हैं कि इतिहास के पन्नों में बाबरी मस्जिद को लेकर कैसे खास है।

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6 दिसंबर को गिराया गया था बाबरी मस्जिद

बता दें कि आज से 28 पहले 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद का विवादित ढ़ांचा गिरा दिया था। अयोध्या की बाबरी मस्जिद को लेकर सैकड़ों साल से विवाद चलता रहा है. भाजपा नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्णा आडवाणी ने राम मंदिर के लिए वर्ष 1990 में आंदोलन शुरू किया था। पांच दिसंबर की सुबह ही अयोध्या में विवादित ढांचे के पास कारसेवक पहुंचने शुरू हो गए थे। उसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने विवादित ढांचे के सामने सिर्फ भजन -कीर्तन करने की अनुमति दी थी, 6 दिसंबर को भीड़ उग्र हो गई औऱ बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचा गिरा दिया था। कहते हैं कि उस समय 1.5 लाख से ज्यादा कारसेवक वहां मौजूद थे और सिर्फ 5 घंटे में ही भीड़ ने बाबरी का ढ़ांचा गिरा दिया था। शाम को 5 बचकर पांच मिनट में बाबरी मस्जिद जमींदोज हो गई। 

इस घटना के तुरंत बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इन दगों में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। इस दौरान मामले की एफआइर दर्ज  थी 49 लोग आरोपी बन गए थे। आरोपियों में लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, चंपत राय, कमलेश त्रिपाठी जैसे भाजपा और विहिप के नेताओं के नाम भी सामने आए थे। यह मामला कम से कम 28 सालों तक कोर्ट में चला। इसके बाद इस साल यानी 2020 में सितंबर महीने में लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। फैसले के वक्त 49 में से कम 32 आरोपी ही बचे थे जबकि 17 आरोपियों का निधन हो गया था। 

इसके अलावा साल 2019 में नवंबर के महीने में सुप्रीम कोर्ट ने जमीन के मालिकाना हक को लेकर अपना फैसला सुनाया था। इस फैसले के तहत जमीन का मालिकाना राम जन्मभूमि  मंदिर के पक्ष में सुनाया गया। मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन अलग से देने के आदेश दिए गए गए। बता दें कि इसी साल  पांच अगस्त को पीएम मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन किया था। 


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