Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'पीएम मोदी ने मतुआ समुदाय की समस्याओं को किया नजरअंदाज', टीएमसी का गंभीर आरोप

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 02:11 AM (IST)

    टीएमसी के प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता कुणाल घोष ने पीएम पर मतुआ समुदाय की चिंताओं के प्रति पूरी तरह संवेदनहीन रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि एसआइआर के तह ...और पढ़ें

    Hero Image

    पीएम मोदी के भाषण में मतुआ समुदाय की नागरिकता को लेकर चिंता की कमी दिखी : टीएमसी

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को नदिया जिले के ताहेरपुर की रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण की आलोचना की और आरोप लगाया कि उनके संबोधन में मतुआ समुदाय की नागरिकता को लेकर चिंता की कमी दिखी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    टीएमसी के प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता कुणाल घोष ने पीएम पर मतुआ समुदाय की चिंताओं के प्रति पूरी तरह संवेदनहीन रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि एसआइआर के तहत जारी मतदाता सूची के मसौदे से भारी संख्या में नाम हटाए जाने के कारण यह शरणार्थी समुदाय अपनी नागरिकता और पहचान को लेकर गहरे अनिश्चितताओं का सामना कर रहे हैं।

    घोष ने यह भी दावा किया कि प्रधानमंत्री ने भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी लोगों के कथित उत्पीडऩ के बारे में एक भी शब्द नहीं कहा।

    घोष ने पत्रकारों से कहा कि मोदी के भाषण में दूरदर्शिता और जिम्मेदारी की कमी थी। उन्होंने मतुआ समुदाय की चिंताओं पर कोई ध्यान नहीं दिया। मतुआ समुदाय के बड़ी संख्या में लोग, जो एक दलित हिंदू शरणार्थी समुदाय से हैं, जो धार्मिक उत्पीड़न के कारण दशकों पहले बांग्लादेश से पलायन कर बंगाल के विभिन्न जिलों में आकर बस गए, 2002 के बाद पहली बार चल रहे राज्यव्यापी मतदात सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के कारण अपनी पहचान और नागरिकता को लेकर चिंतित हैं।

    एसआइआर के तहत हाल में प्रकाशित ड्राफ्ट मतदाता सूची से राज्य में 58 लाख से अधिक लोगों के नाम हटा दिए गए हैं, जिससे बंगाल के मतदाताओं की संख्या 7.66 करोड़ से घटकर 7.08 करोड़ हो गई है। उन्होंने दावाप किया कि हटाए गए नामों में एक बड़ा हिस्सा मतुआ समुदाय का है।

    घोष ने यह भी आरोप लगाया कि पीएम भाजपा शासित राज्यों की पुलिस बल द्वारा भारतीय नागरिकों को बांग्लादेश निर्वासित करने के मुद्दे पर चुप रहे, जो न्यायपालिका के हस्तक्षेप से अपनी मातृभूमि भारत लौट सके।

    उनका इशारा सोनाली खातून की ओर था, जो जून में बांग्लादेश वापस भेजे जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर छह दिसंबर को वापस भारत लौटी थीं। घोष ने केंद्र सरकार पर मनरेगा, आवास व अन्य केंद्रीय योजनाओं का बंगाल का फंड जानबूझकर रोकने का भी आरोप लगाया।

    केंद्र पर बंगाल का 1.97 लाख करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने का आरोप

    वहीं, पार्टी की वरिष्ठ नेता व राज्य की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने प्रधानमंत्री के बंगाली उच्चारण पर कटाक्ष करते हुए कहा कि चुनाव नजदीक आते ही उन्हें बंगाल के आध्यात्मिक महापुरुष याद आने लगते हैं। उन्होंने केंद्र पर राज्य का 1.97 लाख करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने का आरोप लगाया।

    वहीं, राज्यसभा सदस्य ममता बाला ठाकुर ने कहा कि मतुआ समुदाय को प्रधानमंत्री से नागरिकता पर स्पष्टता की उम्मीद थी, लेकिन उनके पुराने वादे अब तक अधूरे हैं। टीएमसी नेताओं ने पीएम की रैली में जाते समय ट्रेन से कटकर तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की हुई मौतों के लिए भी खराब भीड़ प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया।