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    तिरुपति बालाजी मंदिर में इस गाय के दूध से बने लड्डू का चढ़ता है भोग

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Mon, 30 Apr 2018 02:19 PM (IST)

    विशेष बात यह है कि ये लड्डू केवल और केवल पुंगनूर प्रजाति की गाय के दूध से बने मावे से बनाए जाते हैं। ऐसा सालों से होता आ रहा है।

    तिरुपति बालाजी मंदिर में इस गाय के दूध से बने लड्डू का चढ़ता है भोग

    बिलासपुर [राधाकिशन शर्मा]। आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू का भोग चढ़ाने की परंपरा है। इसे श्रीवारी कहते हैं। मान्यता है कि बिना यह भोग चढ़ाए दर्शन पूरे नहीं होते। प्रति दिन करीब दो लाख लड्डुओं का भोग तिरुपति को चढ़ता है। विशेष बात यह है कि ये लड्डू केवल और केवल पुंगनूर प्रजाति की गाय के दूध से बने मावे से बनाए जाते हैं। ऐसा सालों से होता आ रहा है। लेकिन अब जबकि इस प्रजाति की गायें गिनती की बची हैं, इस परंपरा को लेकर चिंता बढ़ गई है। आंध्रप्रदेश सरकार और तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की चिंता को छत्तीसगढ़ के युवा पशु चिकित्सक ने कम करने का प्रयास किया है।

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    सरोगेसी से निकली राह... : आंध्र प्रदेश सरकार के सामने ये संकट है कि विशेष नस्ल की इस गाय की वंशवृद्धि नहीं हो पा रही है। आंध्र में मात्र 130 गाय ही बची है। इधर, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के पशु चिकित्सक डॉ. प्रदीप कुमार तिवारी ने सरोगेसी तकनीक के जरिए पुंगनूर गाय की वंशवृद्धि करने में कामयाबी हासिल की है। इस युक्ति से वे अब तक इस प्रजाति की 20 गायें तैयार कर चुके हैं।

    जांजगीर जिले के गोपालनगर स्थित जेके ट्रस्ट की लैब में उन्होंने पहला और सफल प्रयोग किया था। इसकी जानकारी मिलने पर आंध्र प्रदेश सरकार ने डॉ. तिवारी से संपर्क किया और चित्तूर, आंध्रप्रदेश के पलमनेर स्थित अत्याधुनिक लैब में सरोगेसी के जरिए पुंगनूर गाय की वंशवृद्धि की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी। बता दें कि सरोगेसी युक्ति में नर-मादा (डोनर) के अंडाणु व शुक्राणुओं का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को अन्य कोख (सरोगेट मदर) में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। डॉ. तिवारी ने आंध्रप्रदेश पहुंच पलमनेर लैब में काम शुरू कर दिया है।

    ऐसे मिली सफलता... : डॉ. तिवारी ने सबसे पहले पुंगनूर के अलावा एक अन्य विशिष्ट नस्ल की गाय पोंगुल का चयन किया। पुंगनूर को डोनर के रूप में इस्तेमाल करते हुए पोंगुल गाय को सरोगेट मदर बनाया। पोंगुल गाय पुंगनूर नस्ल को न केवल आत्मसात कर रही है वरन स्वस्थ बच्चे को जन्म भी दे रही है। बच्चे में पुंगनूर (डोनर) के ही शतप्रतिशत गुणसूत्र होते हैं। इस विधि से पुंगनूर की अब तक 20 बछिया पैदा की जा चुकी हैं।

    ये है खासियत... : सरोगेसी के जरिए तैयार पुंगनूर नस्ल की गाय प्रतिदिन 18 लीटर दूध देती है। डॉ. तिवारी ने बताया कि विशिष्ट नस्ल की पुंगनूर से जन्मी छह महीने की बछिया की कीमत एक से डेढ़ लाख रुपये है। आंध्रप्रदेश में इस बछिया को हासिल करने के लिए लोगों को मिन्नतें करते हुए देखा जा सकता है। चित्तूर, आंध्र प्रदेश स्थित पलमनेर फार्म हाउस में कुल 130 पुंगनूर गाय हैं। यहीं से दूध रोजाना तिरुपति मंदिर को भेजा जाता है। अन्य गायों की अपेक्षा इसके दूध में वसा की मात्रा बहुत अधिक होती है।