Move to Jagran APP

आइये जानते हैं मुंबई हमले से लेकर कसाब की फांसी तक की पूरी दास्‍तां

मुंबई के लिए वह काली रात थी जब दस आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर 166 मासूम लोगों की हत्‍या कर दी थी। कसाब को फांसी दिए जाने के बाद इसके पीडि़तों को कुछ राहत जरूर मिली थी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 25 Nov 2018 10:36 PM (IST)Updated: Sun, 25 Nov 2018 10:36 PM (IST)
आइये जानते हैं मुंबई हमले से लेकर कसाब की फांसी तक की पूरी दास्‍तां
आइये जानते हैं मुंबई हमले से लेकर कसाब की फांसी तक की पूरी दास्‍तां

नई दिल्‍ली, जागरण स्‍पेशल। 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में पाकिस्‍तान से आए दस आतंकियों ने मासूमों की हत्‍या कर आतंक का नंगा नाच दिखाया था। आज इस आतंकवादी हमले की 10वीं बरसी है। मुंबई की सड़कें और वीटी स्‍टेशन और ताज होटल समेत दूसरी जगहें आज भी इस हमले की कहानी बयां करती दिखाई देती हैं। मुंबई के लिए वह काली रात थी। दस आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर 166 मासूम लोगों की हत्‍या कर दी थी। इस हमले को अंजाम देने वालों में से महज एक को ही जिंदा पकड़ा जा सका, जिसका नाम था अजमल कसाब।

loksabha election banner

पाकिस्‍तान में बैठे आतंकियों के आकाओं ने इस हमले को अंजाम देने के लिए पहले इन सभी आतंकियों को पूरी ट्रेनिंग दी थी। हमले के करीब चार वर्ष बाद 21 नवंबर, 2012 को पुणे के यरवडा जेल में सुबह साढ़े सात बजे आतंकी अहमल कसाब को फांसी दे दी गई। लेकिन इस हमले की साजिश रचने वाले आतंकी आज भी पाकिस्‍तान में खुले घूम रहे हैं। इनका सबसे बड़ा चेहरा आतंकी हाफिज सईद है जिसको पाकिस्‍तान की जेल से एक दिन पहले ही रिहा किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात के जरिए इस दिन को याद किया और आतंकवाद को न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चुनौती बताया है।

आईये टाइमलाइन के जरिए जानते हैं इसकी पूरी दास्तां :-

26 नवंबर, 2008: अजमल कसाब और नौ आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया। हमले में 166 लोग मारे गए।
27 नवंबर, 2008: अजमल कसाब गिरफ्तार।
30 नवंबर, 2008: कसाब ने पुलिस हिरासत में गुनाह कबूल किया।
27-28 दिसंबर, 2008: कसाब की पहचान परेड हुई।
13 जनवरी, 2009: एमएल तहलियानी को 26/11 मामले में विशेष जज नियुक्त किया गया।
16 जनवरी, 2009: ऑर्थर रोड जेल को कसाब का ट्रायल के लिए चुना गया।
22 फरवरी, 2009: उज्जवल निकम को सरकारी वकील नियुक्त किया गया।
25 फरवरी, 2009: मेट्रोपॉलिटिन कोर्ट में कसाब के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल।
1 अप्रैल, 2009: विशेष अदालत ने अंजलि वाघमारे को कसाब का वकील नियुक्त किया गया।
20 अप्रैल, 2009: कसाब को 312 मामलों में आरोपी बनाया गया।
29 अप्रैल, 2009: विशेषज्ञों की राय पर अदालत का फैसला, कसाब नबालिग नहीं है।
6 मई, 2009: कसाब पर 86 आरोप तय किए गए, कसाब का आरोपों से इंकार।
23 जून, 2009: हाफिज सईद, जकी-उर-रहमान लखवी समेत 22 लोगों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी।


16 दिसंबर, 2009: अभियोजन पक्ष ने 26/11 मामले में जिरह पूरी की।
9 मार्च, 2010: अंतिम बहस शुरू हुई।
31 मार्च, 2010: फैसला 3 मई के लिए सुरक्षित रखा गया।
3 मई, 2010: कोर्ट ने कसाब को दोषी ठहराया, सबाउद्दीन अहमद और फहीम अंसारी आरोपों से बरी।
6 मई, 2010: कसाब को विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई।
18 अक्टूबर, 2010: बॉम्बे हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू। कसाब की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेशी।
19 अक्टूबर, 2010: कसाब ने निजी तौर पर अदालत में हिस्सा लेने की मांग की।
21 अक्टूबर, 2010: कसाब ने निजी तौर पर अदालत में हिस्सा लेने की बात अपने वकील से दोहराई।
25 अक्टूबर, 2010: हाई कोर्ट के न्यायाधीशों ने सीसीटीवी फुटेज देखी।
27 अक्टूबर, 2010: वकील उज्जवल निकम ने निचली अदालत द्वारा दी गई कसाब की मौत की सजा को सही ठहराया।
29 अक्टूबर, 2010: उज्जवल निकम के मुताबिक कसाब ने अदालत को गुमराह करने की कोशिश की।
19 नवंबर, 2010: निकम ने अदालत को बताया कि 26/11 के हमलावर देश में मुसलमानों के लिए अलग राज्य चाहते थे।


22 नवंबर, 2010: निकम ने कसाब को झूठा और साजिशकर्ता बताया।
23 नवंबर, 2010: हाई कोर्ट के न्यायाधीशों ने एक बार फिर सीसीटीवी फुटेज देखी।
24 नवंबर, 2010: निकम का हाईकोर्ट में तर्क- निचली अदालत ने कसाब के इकबालिया बयान को स्वीकर करने में गलती की थी।
25 नवंबर, 2010: कसाब के वकील अमील सोलकर ने जिरह शुरू की। निचली अदालत की कार्यवाही को गलत ठहराते हुए दोबारा ट्रायल की मांग की।
30 नवंबर 2010: सोलकर ने तर्क दिया कि कसबा के खिलाफ “देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप नहीं बनते।
6 दिसंबर 2010: सोलकर ने फुटेज में दिखी तस्वीरों को गलत बताया।
7 दिसंबर 2010: कसाब ने पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे और दो अन्य पुलिस अधिकारियों की हत्या से इंकार किया। उसके वकील का तर्क था कि मारे गए पुलिस अधिकारियों के शरीर में मिली गोलियां कसाब की राइफल से मैच नहीं होती।
8 दिसंबर 2010: सोलकर का कहना था कि पुलिस ने गिरगाम चौपाटी में 26 नवंबर 2008 को झूठी मुठभेड़ का नाटक करके कसाब को फंसाया है। साथ ही मौके पर कसाब की मौजूदगी से इंकार करते हुए उसकी गिरफ्तारी को गलत बताया।
9 दिसंबर 2010: कसाब के वकील ने उसके खिलाफ पेश किए गए सबूतों को कमजोर बताते हुए पुलिस अधिकारी करकरे को मारे जाने से इंकार किया।
10 दिसंबर 2010: कसाब के वकील ने निचली अदालत में रखी कश्ती का निरीक्षण किया और उस कश्ती को 10 व्यक्तियों के आने के लिए नाकाफी बताया और दावा किया कि अभियोजन पक्ष का दावा गलत है।
13 दिसंबर 2010: कसाब ने खुद को किशोर होने की दलील देते हुए अदालत से अपने मानसिक हालत के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों के एक पैनल की नियुक्ति करने का आग्रह किया।
14 दिसंबर 2010: अदलात ने कसाब की मांग को खारिज कर दिया।
21 दिसंबर 2010: अदालत ने 26/ 11 के मामले में फहीम अंसारी को बरी किए जाने के खिलाफ राज्य की अपील सुनी।
22 दिसंबर 2010: सरकारी वकील निकम ने तर्क दिया कि निचली अदालत ने फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी करने में गलती की थी।
21 फ़रवरी 2011: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कसाब पर निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया और उसकी अपील खारिज कर दी। मुंबई हमलों के मामले में फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी कर दिया गया।
29 जुलाई 2011: कसाब ने फांसी की सज़ा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
10 अक्तूबर 2011: सुप्रीम कोर्ट ने कसाब की फांसी की सजा पर रोक लगाई।
31 जनवरी 2012: सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरु हुई। कसाब का पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन को अदालत का मित्र यानी एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया।
25 अप्रैल 2012: कसाब की अपील पर कोर्ट ने सुनवाई पूरी की और फैसला सुरक्षित रखा।
28 अगस्त 2012: मुंबई हमले के दोषी आमिर अजमल कसाब को फांसी की सज़ा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। फ़हीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद के बॉम्बे हाईकोर्ट की रिहाई के फैसले को भी बरकरार रखा है। इन दोंनो पर भारत से मुंबई हमलावरों को मदद करने का आरोप था।
16 अक्तूबर 2012: राष्ट्रपति के सामने दया के लिए भेजी गई कसाब की अर्ज़ी गृहमंत्रालय ने खारिज की और अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी।
5 नवंबर 2012: राष्ट्रपति ने कसाब की दया याचिका खारिज की।
7 नवंबर 2012: केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने फाइल पर दस्तखत किए।
8 नवंबर 2012: कसाब को मौत की सज़ा दिए जाने की फ़ाइल महाराष्ट्र सरकार को भेजी गई। इसी दिन महाराष्ट्र सरकार ने 21 नवंबर को मौत की सजा देने का फ़ैसला किया।
21 नवंबर 2012: कसाब को सुबह 7:30 बजे फांसी दी गई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.