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    सरकार के दबाव के बाद देश में ही डाटा सेंटर बनाने की संभावना तलाश रही टिकटॉक

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Sun, 21 Jul 2019 09:15 PM (IST)

    सरकार की तरफ से बढ़ रहे दबाव के बाद अंतत टिकटॉक और हेलो नाम से सोशल मीडिया प्लेटफार्म चलाने वाली कंपनी बाइटडांस ने भारत में डाटा सेंटर बनाने की संभावन ...और पढ़ें

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    सरकार के दबाव के बाद देश में ही डाटा सेंटर बनाने की संभावना तलाश रही टिकटॉक

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार की तरफ से बढ़ रहे दबाव के बाद अंतत: टिकटॉक और हेलो नाम से सोशल मीडिया प्लेटफार्म चलाने वाली कंपनी बाइटडांस ने भारत में डाटा सेंटर बनाने की संभावनाएं तलाशने को राजी हो गई है। कंपनी अपने भारतीय यूजर्स का डाटा इसी सेंटर में रखेगी। सरकार ने हाल ही में कंपनी को एक नोटिस देकर 22 जुलाई तक जवाब देने को कहा था।

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    पिछले दिनों टिकटॉक और हेलो को लेकर काफी विवाद रहा। दोनों ही प्लेटफार्म पर भारत विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल को लेकर आरोप लगे। इसके बाद सरकार ने टिकटॉक और हेलो दोनों को ही नोटिस भेजकर उनसे सफाई मांगी थी। सरकार की तरफ से भेजे गये नोटिस में दोनों से ही 24 सवाल पूछे गये। केंद्र सरकार ने कंपनी को चेतावनी दी थी कि यदि 22 जुलाई तक नोटिस का जवाब नहीं मिला तो टिकटॉक और हेलो दोनो पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

    दैनिक जागरण को भेजे अपने बयान में बाइटडांस ने कहा है कि सरकार की तरफ से नये डाटा प्रोटेक्शन कानून के प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए कंपनी भारत में डाटा सेंटर बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। 'हम अपने भारतीय यूजर्स को भारत के ही भीतर सुरक्षित, सुदृढ़ और भरोसेमंद सेवा देने के विकल्प तलाशने की प्रक्रिया में हैं।' कंपनी ने कहा है कि जब से उसने भारत में अपने प्लेटफार्म की सेवाएं शुरू की हैं वह भारतीय यूजर्स के डेटा को अमेरिका और सिंगापुर में रखती है। इन दोनों स्थानों पर डेटा सेंटर का संचालन अन्य कंपनियों द्वारा किया जाता है।

    कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि भारत उसके मजबूत बाजारों में से एक है। 'हमारा मानना है कि अब समय आ गया है कि जब हम डिजिटल इंडिया के तहत 15 भारतीय भाषाओं का हिस्सा बनें।' कंपनी अब इस दिशा में आगे बढ़ते हुए सभी पक्षों के साथ बातचीत शुरू करेगी।

    कंपनी ने और अधिक ब्यौरा तो अपने बयान में नहीं दिया है लेकिन बताया जा रहा है कि डेटा स्टोरेज के लिए उसने स्थानीय कंपनियों से बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया में कंपनी को छह से आठ सप्ताह का समय लग सकता है।