चीन से संबंध बढ़ाने पर तिब्बती नेता ने भारत को किया आगाह, कहा- उनकी विस्तारवादी नीति, वे सब हड़पना चाहते हैं
तिब्बत के पूर्व प्रधानमंत्री लोबसांग सांगेय ने कहा है कि विस्तारवादी चीन से संबंध बढ़ाना भारत के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि आपको नहीं पता कि चीनी व्यवस्था क्या है। वे हर चीज पर नियंत्रण चाहते हैं और हर जगह जाल बिछाकर रखते हैं। तिब्बती बेहतर तरीके से जानते हैं कि चीनी व्यवस्था क्या चीज है। उन्होंने तिब्बत पर कब्जा किया और तिब्बतियों को ही दरकिनार कर दिया।

एएनआई, नई दिल्ली। निर्वासन में रह रहे तिब्बत के पूर्व प्रधानमंत्री लोबसांग सांगेय ने कहा है कि विस्तारवादी चीन से संबंध बढ़ाना भारत के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि आपको नहीं पता कि चीनी व्यवस्था क्या है। वे हर चीज पर नियंत्रण चाहते हैं और हर जगह जाल बिछाकर रखते हैं।
चीन को हम तिब्बती बेहतर तरीके से जानते हैं
आप सोचते हैं कि आप उनसे संबंध रख सकते हैं और चीनियों से निपट सकते हैं, लेकिन हम तिब्बती बेहतर तरीके से जानते हैं कि चीनी व्यवस्था क्या चीज है। उन्होंने तिब्बत पर कब्जा किया और तिब्बतियों को ही दरकिनार कर दिया।
उन्होंने कहा कि चीन के लिए तिब्बत हथेली की तरह है, जिससे जुड़ी पांच उंगलियों, यानी आसपास के देशों की पांच सामरिक महत्व की जगहों पर चीन की नजर है। इनमें लद्दाख, नेपाल, भूटान, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं। सांगेय ने सीमांत इलाकों में चीनी घुसपैठ को रोकने में भारतीय सेना के प्रयासों की प्रशंसा की।
अरुणाचल में घुसपैठ का प्रयास कर रहा है चीन
उन्होंने कहा कि स्पष्ट तौर पर वे डोकलाम में हैं, आप जानते हैं। वे गलवन, लद्दाख, सिक्किम और भूटान में हैं। और अरुणाचल में हर हफ्ते वे घुसपैठ का प्रयास कर रहे हैं। वे लगातार हावी होने की कोशिश कर रहे हैं।
चीन बौद्ध धर्म पर भी नियंत्रण चाहता है
सांगेय ने कहा कि चीन बौद्ध धर्म पर भी नियंत्रण चाहता है। वे दलाई लामा के चुनाव पर भी नियंत्रण चाहते हैं। वे तिब्बती लामाओं को नियंत्रित करते हैं। चीन इस कोशिश में लगा है कि इसके जरिये वह श्रीलंका, लाओस, कंबोडिया और थाईलैंड में फैले बौद्ध धर्म पर अपना नियंत्रण कर ले। इस तरह वह हमारे धार्मिक मामलों में भी दखल दे सकेगा।
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