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    फोन रखने पर तीन साल की कैद, कॉलर आईडी पहनाकर छुट्टी... जेल कानून के लिए तैयार हुआ मसौदा

    By AgencyEdited By: Manish Negi
    Updated: Tue, 14 Nov 2023 11:08 PM (IST)

    गृह मंत्रालय ने जेल कानून का मसौदा तैयार किया है। मसौदा में अहम कदमों का सुझाव दिया गया है। अगर कैदी के पास फोन पाया गया तो उसे तीन साल की जेल होगी। इ ...और पढ़ें

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    गृह मंत्रालय ने जेल कानून का मसौदा तैयार किया है (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से तैयार किया गया जेल कानून के मसौदे में एक अनूठे कदमों का सुझाव है। इस कानून के मसौदे में निगरानी के लिए तकनीक के उपयोग पर जोर दिया गया है। साथ ही जेल में कैदियों के पास गजेट्स मिलने पर उन्हें दंडित करने का प्रविधान है। जेल में कैदी के फोन रखने पर तीन साल की जेल होगी।

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    कॉलर आईडी का प्राविधान

    ड्रग एडिक्ट कैदी, पहली बार अपराधी बने कैदी, बड़े खतरे वाले कैदी और विदेशी कैदियों को जेल में अलग-अलग रखा जाएगा। कैदियों की निगरानी और गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कॉलर आईडी जैसे विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को पहनाकर उन्हें जेल से छुट्टी देने का भी प्रविधान होगा।

    निगरानी उपकरण पहनाकर मिलेगा अवकाश

    नए जेल कानून के मसौदे में तकनीक के जरिये निगरानी के साथ ही मोबाइल फोन जैसी प्रतिबंधित सामग्रियों के लिए कैदियों की नियमित तलाशी का नियम होगा। अगर कैदी चाहेंगे तो उन्हें निगरानी उपकरण पहनाकर उनकी गतिविधियों की निगरानी करते हुए उन्हें अवकाश दिया जा सकेगा। अगर कैदी नियम का उल्लंघन करेंगे तो उनका अवकाश रद किया जाएगा। तब भविष्य में उन्हें कभी भी कोई अवकाश नहीं दिया जाएगा। मोबाइल फोन रखने या इस्तेमाल करने या मोबाइल वॉच रखने पर दंड दिया जाएगा। जेल में कैदियों के लिए फोन समेत किसी भी तरह का इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निषिद्ध होगा।

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    केंद्रीय गृह सचिव ने लिखी थी राज्यों को चिट्ठी

    केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने मई में सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को इस आशय का पत्र भेजा था, लेकिन मसौदे की सिफारिशों को मंत्रालय की वेबसाइट पर अब अपलोड किया गया है। भल्ला का कहना है कि राज्य सरकारें को प्रस्तावित कानून का पालन करने से बहुत लाभ होगा।

    प्रस्ताव में कहा गया है कि जेलों को इस तरह से डिजाइन किया जाए कि विभिन्न प्रकार के कैदियों को अलग-अलग रखा जा सके और उनकी जरूरतों को भी पूरा किया जा सके। खासकर महिला, किन्नर और दिव्यांग कैदियों को भी अलग-अलग रखा जा सकेगा।

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