मिशन मार्स के एक हजार दिन पूरे, नासा अगले चरण की तैयारी में
नवंबर 2013 में श्रीहरिकोटा से भेजा था पीएसएलवी राकेट...
बेंगलुरु, प्रेट्र। मंगल ग्रह पर भेजे गए मिशन मार्स के एक हजार दिन पूरे हो गए हैं। इसरो का कहना है कि अभी अंतरिक्ष यान में ईधन पर्याप्त मात्रा में है और यह आगे भी मंगल की कक्षा में रहने वाला है।आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पांच नवंबर 2013 को पीएसएलवी राकेट मंगल ग्रह पर रवाना किया गया था। एक दिसंबर को इसने पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को पार कर लिया।
24 सितंबर 2014 को यह लाल ग्रह की कक्षा में पहुंच गया। उसके बाद से यह लगातार परिक्रमा कर रहा है। इसरो के लिए यह बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि यह भारत का अपना मिशन था। 450 करोड़ रुपये की लागत का यह मिशन फिलहाल भारत को उस क्लब में ले आया है जिसमें विश्व के चुनिंदा दिग्गज देश शामिल हैं। मिशन मार्स के जरिये इसरो मंगल की सतह के साथ खनिज संरचना का अध्ययन कर रहा है। वहां के वातावरण को भी इसके माध्यम से देखा जा रहा है, जिससे लाल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं का पता चल सके।
हालांकि मिशन मार्स में कुछ समय के लिए उस समय अवरोध उत्पन्न हुआ था जब 2015 में दो जून से लेकर दो जुलाई तक संचार प्रक्रिया ठप हो गई थी। सौर संयोजन के चलते यह घटना हुई थी। इसरो के चेयरमैन एएस किरन कुमार का कहना है कि मिशन मार्स शोध में भी काफी सहायक सिद्ध हो रहा है। अंतरिक्ष यान में लगे कैमरे से 715 चित्र मिले हैं, जिनका अध्ययन किया जा रहा है। उनका कहना है कि मिशन मार्स की सफलता के बाद इसरो मिशन मार्स 2 की तैयारी में है।
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