जिन्हें जम्मू-कश्मीर के लोगों को समझाना था, उन्होंने गुमराह किया; केंद्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दो टूक
केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू है। मेहता ने कहा कि दो बड़े राजनीतिक दल (नेशनल कान्फ्रेंस और पीडीपी) कोर्ट के सामने हैं जो अनुच्छेद 370 का बचाव कर रहे हैं। 35-ए का भी बचाव कर रहे हैं। लेकिन जब कोर्ट उनसे पूछेगा कि आपका इसमें क्या नुकसान हुआ या क्या चला गया तो उनके पास कोई सूची नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को सही और वहां के लोगों की भलाई और प्रगति के रास्ते खोलने वाला बताते हुए इसका बचाव करने वाले राजनीतिक दलों को सुप्रीम कोर्ट में आड़े हाथों लिया। केंद्र सरकार ने कार्रवाई को संवैधानिक ठहराते हुए कहा कि कोर्ट को इस मामले को जम्मू-कश्मीर के लोगों के नजरिये से देखना चाहिए। यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि जिन लोगों को जम्मू-कश्मीर के लोगों का मार्गदर्शन करना चाहिए था, वे उन्हें अभी तक समझा रहे हैं कि यह तुम्हारी प्रगति में बाधा नहीं है। यह तुम्हारा विशेषाधिकार है। तुम इसके लिए लड़ो। कोई तुमसे अनुच्छेद 370 नहीं छीन सकता।
नेशनल कान्फ्रेंस और पीडीपी कोर्ट के सामने
केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू है। मेहता ने कहा कि दो बड़े राजनीतिक दल (नेशनल कान्फ्रेंस और पीडीपी) कोर्ट के सामने हैं, जो अनुच्छेद 370 का बचाव कर रहे हैं। 35-ए का भी बचाव कर रहे हैं। लेकिन जब कोर्ट उनसे पूछेगा कि आपका इसमें क्या नुकसान हुआ या क्या चला गया तो उनके पास कोई सूची नहीं है। मेहता ने कहा, वास्तव में लोगों ने क्या खोया? उन्हें तो 35-ए और 35-सी खत्म होने से मौलिक अधिकार मिले हैं।
मेहता ने कहा कि वह ऐसे बहुत से प्रविधान बता सकते हैं जो वहां के लोगों के खिलाफ थे, लेकिन उन्हें समझाया गया और वे सहमत हुए। अब वहां के लोगों ने अहसास किया है कि 35-ए नहीं होने के कारण वहां निवेश आ रहा है। पुनर्गठन कानून के बाद पुलिसिंग अब केंद्र सरकार के पास है, तो पर्यटन शुरू हुआ। जम्मू-कश्मीर में पारंपरिक उद्योग थे। कुटीर उद्योग और छोटे उद्योग आदि थे। लेकिन, आय का मुख्य स्त्रोत पर्यटन था। 370 हटने के बाद अब वहां फिर पर्यटन शुरू हुआ है। 63 लाख पर्यटक गए। नए होटल बने, जिनसे रोजगार सृजित हुआ।
35-ए ने नागरिकों से तीन मौलिक अधिकार छीन लिए
तुषार मेहता जब पक्ष रख रहे थे, तभी संविधान पीठ की अगुआई कर रहे प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 35-ए लागू होने से भारत के नागरिकों पर प्रतिबंध लग गया। इस अनुच्छेद के शामिल होने से वस्तुत: मौलिक अधिकार छिन गए। सीजेआइ ने कहा कि अनुच्छेद 35-ए ने नागरिकों से तीन मौलिक अधिकार छीन लिए। इनमें अनुच्छेद 16-1, अनुच्छेद 19-1एफ और अनुच्छेद 31 के तहत दिए गए अधिकार शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट आजकल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35-ए हटाए जाने को चुनौती देने के मामले पर सुनवाई कर रहा है।
11वें दिन की सुनवाई में केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखा। कहा, सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 370 के मामले को जम्मू-कश्मीर के लोगों के नजरिये से देखे। जो किया गया है और जिस पर कोर्ट विचार कर रहा है, वह संवैधानिक शक्ति का इस्तेमाल है। इससे लोगों को मौलिक अधिकार मिले। वहां पूरा संविधान लागू हुआ। जम्मू-कश्मीर के लोग भी देश के अन्य भाई-बहनों के बराबर आ गए। वहां अब सारे कल्याणकारी कानून लागू हुए हैं। हमारे पास उन कानूनों की सूची है, जो पहले वहां लागू नहीं थे।
अनुच्छेद 370 एक अस्थाई प्रविधान था
मेहता ने कोर्ट को सारी संवैधानिक प्रक्रिया बताई और कहा कि संसद को ऐसा करने का अधिकार है। अनुच्छेद 370 एक अस्थाई प्रविधान था। उन्होंने 1964 में भी 370 हटाने के लिए लाए गए प्राइवेट बिल पर लोकसभा में हुई चर्चा का कोर्ट में जिक्र किया। केंद्र सरकार ने सोमवार को कोर्ट को स्वतंत्रता के बाद भारत में शामिल हुई रियासतों के विलय पत्र की तारीखवार सूची भी सौंपी। शुक्रवार को कोर्ट ने केंद्र सरकार से सूची देने को कहा था। सुनवाई की शुरुआत में मामले में बहस करने वाले लेक्चरर जहूर अहमद भट के निलंबन का भी मुद्दा उठा। इस पर कोर्ट ने अटार्नी जनरल से मामला देखने को कहा। अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दलील देने पर उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
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