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    थारू जनजाति के लिए वरदान से कम नहीं है यह शक्तिपीठ

    By Srishti VermaEdited By:
    Updated: Mon, 11 Sep 2017 10:13 AM (IST)

    विषम भौगोलिक परिस्थितियों में बसे थारू जनजाति के बच्चों को शिक्षित करने के लिए कोई साधन मौजूद नहीं था। करीब 35 गांवों के बच्चे गरीबी के चलते शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे थे।

    थारू जनजाति के लिए वरदान से कम नहीं है यह शक्तिपीठ

    बलरामपुर (रमन मिश्र)। घने जंगल में बसने वाले थारू जनजाति के बच्चों के लिए देवीपाटन शक्ति पीठ किसी वरदान से कम नहीं है। बीते 23 वर्ष से देवीपाटन मंदिर सामाजिक दायित्वों का निर्वहन कर रहा है। अनुसूचित जनजाति के बच्चों को निशुल्क शिक्षा, भोजन व आवास की सुविधा दी जा रही है। अब तक 21 मेधावी छात्र उच्च पदों पर पदासीन हो चुके हैं।

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    विषम भौगोलिक परिस्थितियों में बसे थारू जनजाति के बच्चों को शिक्षित करने के लिए कोई साधन मौजूद नहीं था। करीब 35 गांवों के बच्चे गरीबी के चलते शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे थे। जंगल के बीचोबीच इन गांवों में सरकारी योजनाएं भी नहीं संचालित हो पा रही थीं। ब्रह्मलीन महंत महेंद्र नाथ योगी ने एक जुलाई, 1994 को आदिशक्ति मां पाटेश्वरी वनवासी छात्रावास की नींव रखी। निशुल्क आवास, खाना व कपड़ा की व्यवस्था की। थारू जनजाति के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रेरित किया। समय के साथ बच्चों की संख्या में इजाफा होने लगा। वर्तमान में नेपाल सीमा और सोहेलवा जंगल के इर्द-गिर्द बसे नेवलगढ़, मुतेहरा, भुसहर ऊंचवा, चंदनपुर, भगवानपुर, सोनपुर, फोंगही, भौरीशाल, कोहड़गड्डी, कन्हईडीह, कुदरगोड़वा, विशुनपुर विश्राम गांवों के करीब 64 बच्चे यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उन्हें अनुशासन की सीख देने के साथ बोलचाल की भाषा भी सिखाई जा रही है।

    आदिशक्ति मां पाटेश्वरी वनवासी छात्रावास में बच्चे ले रहे शिक्षा
    4 अब तक 21 मेधावी छात्र उच्च पदों पर हो चुके हैं पदासीन

    ये है छात्रों की दिनचर्या
    सुबह चार बजे उठना, पांच बजे आरती, छह-सात बजे तक पढ़ाई करना, सात से साढ़े सात के बीच नाश्ता, आठ बजे अपने-अपने विद्यालयों को रवाना हो जाते हैं। अपराह्न 12 बजे भोग लगता है। सायं चार बजे खेलकूद, छह बजे स्नान, साफ-सफाई, सात बजे मंदिर में आरती-पूजन, रात्रि आठ बजे भोजन व इसके बाद पढ़ाई।

    अनुसूचित जाति के बच्चे अनुशासित होने के साथ ही पूरे मनोयोग से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई का पूरा ध्यान रखा जाता है। उच्च शिक्षा ग्रहण तक का पूरा खर्च मंदिर प्रबंधन वहन करता है। -मिथलेश नाथ योगी, महंत, देवीपाटन शक्तिपीठ

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