अति प्रदूषित पानी को भी निर्मल कर देता है यह पत्थर
शोध : सीसा, आर्सेनिक, पारा युक्त पानी को भी बना देता है शुद्ध
मंडी (हंसराज सैनी)। प्राचीन कथाओं में पारस पत्थर का जिक्र होता आया है। जिसके स्पर्श मात्र से लोहा भी सोना बन जाता। लेकिन यह महज कथाओं का हिस्सा बन कर रह गया। भारतीय वैज्ञानिकों ने जिस पत्थर को ढूंढ निकाला है, वह पारस से भी अनमोल है। जिसके स्पर्श से विषैला जल भी निर्मल पेयजल बन जाता है। चूंकि जल ही जीवन है। और जीवन से अनमोल कुछ नहीं। लिहाजा गहराते जल संकट से जूझ रही दुनिया के लिए यह पत्थर संजीवनी का काम कर सकता है। नाम है स्कोलेसाइट। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के वैज्ञानिकों ने स्कोलेसाइट पत्थर की इस अद्भुत विशेषता पर शोध किया है। जिसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने यह प्रोजेक्ट सौंपा था। स्कोलेसाइट के पाउडर से जल शोधनकी युक्ति पर पेटेंट का दावा आइआइटी ने कर दिया है।
महाराष्ट्र में पाया जाता है स्कोलेसाइट
स्कोलेसाइट नाम का यह पत्थर महाराष्ट्र के अहमदनगर व पुणे के पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि यह पानी में मिली छोटी-मोटी गंदगी ही साफ नहीं करता है बल्कि उसे आर्सेनिक, सीसे और पारे जैसी विषैली धातुओं से भी पूर्णत: मुक्त करने का विशेष गुण रखता है। भारत में लोग इसकी इन खूबियों से अनजान थे। आमतौर पर इस पत्थर का उपयोग सड़क निर्माण में होता रहा है। कुछ लोग इसका उपयोग आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनाने के लिए भी करते हैं।
ऐसे हुई शुरुआत
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आइआइटी मंडी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग को दो साल पहले एक प्रोजेक्ट सौंपा था। जिसके तहत उन्हें कोयला आधारित उद्योगों के कारण पानी में बढ़ रही आर्सेनिक, सीसे व पारे की मात्रा का पता लगाने के लिए शोध करना था। विशेषज्ञों ने यह काम उत्तर प्रदेश के सिंगरौली क्षेत्र में शुरू किया। यहां एनटीपीसी का करीब 2000 मेगावाट क्षमता का कोयला आधारित बिजली प्लांट है। यहां कई अन्य बड़े उद्योग भी हैं। सिंगरौली क्षेत्र के तालाबों एवं पानी के अन्य स्नोतों में आर्सेनिक, शीशे व पारे की मात्रा में लगातार वृद्धि एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।
जागरण विशेष
सबसे कारगर और बेहद सस्ता जल शोधन विकल्प
-महाराष्ट्र के पहाड़ों में पाया जाता है स्कोलेसाइट नामक पत्थर
-आइआइटी मंडी ने विशेष गुणों पर किया शोध, पेटेंट के लिए दिया आवेदन
मिल गया समाधान
कोयले की राख के कारण पानी में आर्सेनिक, सीसे व पारे की मात्रा बढ़ने का पता चलने पर विशेषज्ञों ने इसे शुद्ध करने के उपाय ढूंढ़े। करीब एक साल के शोध के बाद स्कोलेसाइट पत्थर के इस्तेमाल से आर्सेनिक, सीसे व पारे को पानी से समाप्त कर उसे पीने योग्य बनाने का तोड़ खोज निकाला गया।
एक ग्राम पाउडर से 100 मिली पानी साफ
वैज्ञानिकों के मुताबिक एक ग्राम स्कोलेसाइट पाउडर से 100 मिलीलीटर पानी को आर्सेनिक, सीसे व पारे से मुक्त किया जा सकता है। स्कोलेसाइट पत्थर पर्वतीय चट्टानों के तापमान में परिर्वतन के कारण पैदा होता है। यह प्राकृतिक रूप से उपलब्ध है। लिहाजा शतप्रतिशत जलशोधन के लिए यह अब तक का सबसे सस्ता और बेहद कारगर उपाय साबित होगा। आर्सेनिक युक्त पानी पीने से विभिन्न गंभीर रोगों का खतरा रहता है।
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