ऐसे होती है World Health Organization की फंडिंग, ये देश सबसे ज्यादा देते हैं धन
WHO Funding वर्तमान में अमेरिका डब्ल्यूएचओ का सबसे बड़ा योगदानकर्ता है जिसने 553.1 मिलियन डॉलर (42 अरब 52 करोड़ रुपये) प्रदान किए हैं जो कुल धन का 14.67 ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जेएनएन। WHO Funding: माहामारी कोविड-19 से दुनिया जूझ रही है। विभिन्न देश अपने तरीके से इससे लड़ रहे हैं और इस बीमारी से लड़ने के लिए देशों को ज्यादा धनराशि की जरूरत है। ऐसे वक्त में उम्मीद की किरण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) नजर आता है। हालांकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को डब्ल्यूएचओ की फंडिंग को रोक दिया है।
डब्ल्यूएचओ को धनराशि मुहैया कराने वालों में सबसे बड़ा योगदान अमेरिका का रहता है। योगदान कुल फंडिंग का 14.67 फीसद था। इसके बाद डब्ल्यूएचओ के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो सकता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि कैसे डब्ल्यूएचओ की फंडिंग कितने तरह से और कैसे की जाती है?

इस तरह फंड जुटाता है डब्ल्यूएचओ, चार तरह होती है फंडिंग : डब्ल्यूएचओ के लिए चार तरह की फंडिंग की जाती है, जिसमें मूल्यांकन योगदान, निर्दिष्ट स्वैच्छिक योगदान, कोर स्वैच्छिक योगदान और पीआईपी योगदान शामिल है। डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट के अनुसार, मूल्यांकन योगदान में संगठन के सदस्य बकाया राशि का भुगतान करते हैं। प्रत्येक सदस्य देश द्वारा किए जाने वाले भुगतान की गणना देश के धन और जनसंख्या के सापेक्ष की जाती है। स्वैच्छिक योगदान सदस्य देशों (उनके निर्धारित योगदान के अतिरिक्त) या अन्य भागीदारों से आते हैं।
वहीं कोर स्वैच्छिक योगदान के तहत कम वित्त पोषित गतिविधियों को संसाधनों के बेहतर प्रवाह से लाभान्वित करने और तत्काल बाधा के समय फंडिंग की जाती है। जबकि पेनडेमिक इंफ्लूएंजा प्रिपेयर्डनेस (पीपीपी) योगदान को 2011 में शुरू किया गया। यह संभावित महामारी में सुधार और विकासशील देशों की वैक्सीन और अन्य महामारी की आपूर्ति में वृद्धि को बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था। हाल के वर्षों में, डब्ल्यूएचओ के मूल्यांकन योगदान में गिरावट आई है, और अब इसकी निधि का यह एक-चौथाई से भी कम है।

डब्ल्यूएचओ का वर्तमान फंडिंग पैटर्न : 2019 की चौथी तिमाही के अनुसार, डब्ल्यूएचओ की फंडिंग में कुल योगदान 5.62 बिलियन डॉलर (करीब 432 अरब 17 करोड़ रुपये)के आसपास था, जिसमें मूल्यांकन योगदान 956 मिलियन डॉलर (73 अरब 50 करोड़ रुपये) का था, स्वैच्छिक योगदान 4.38 बिलियन डॉलर(336 अरब 76 करोड़ रुपये), कोर स्वैच्छिक योगदान 160 मिलियन डॉलर (12 अरब 30 करोड़ रुपये) औरा पीआईपी योगदान 178 मिलियन डॉलर (13 अरब 68 करोड़ रुपये) था।
अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी योगदानकर्ता : अगले चार सबसे बड़े दानदाता अंतरराष्ट्रीय संस्थाए हैं। इनमें संयुक्त राष्ट्र कार्यालय मानवीय मामलों के समन्वय के लिए (5.09%), विश्व बैंक (3.42%), रोटरी इंटरनेशनल (3.3%) और यूरोपीय आयोग (3.3%) का योगदान शामिल है। वहीं भारत का कुल योगदान में 0.48 फीसद और चीन का 0.21% योगदान है।
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इस तरह खर्च होता है धन : कुल धन में से, अफ्रीका क्षेत्र के लिए 1.2 बिलियन डॉलर, पूर्वी भूमध्य क्षेत्र के लिए 1.02 बिलियन डॉलर, डब्ल्यूएचओ मुख्यालय के लिए 963.9 मिलियन डॉलर, इसके बाद दक्षिण पूर्व एशिया (198.7 मिलियन डॉलर), यूरोप ( 200.4 मिलियन डॉलर), पश्चिमी प्रशांत (152.1 मिलियन डॉलर) के लिए आवंटित किया गया है। इसके अतिरिक्त अमेरिका (39.2 मिलियन) क्षेत्र को दिया जाता है। भारत दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र का हिस्सा है।
पोलियो पर सबसे बड़ा कार्यक्रम : सबसे बड़ा कार्यक्रम क्षेत्र जहां धन आवंटित किया जाता है, वह पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम है। जहां पर 26.51 फीसद धनराशि खर्च की जाती है। इसके बाद आवश्यक स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं पर 12.04 फीसद और बीमारियों को रोकने के लिए टीकों पर 8.89 फीसद राशि खर्च की जाती है।
अमेरिका का सबसे बड़ा योगदान : वर्तमान में अमेरिका डब्ल्यूएचओ का सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, जिसने 553.1 मिलियन डॉलर (42 अरब 52 करोड़ रुपये) प्रदान किए हैं, जो कुल धन का 14.67 फीसद है। इसके बाद बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने 9.76 फीसद का योगदान दिया है। यह राशि 367.7 मिलियन डॉलर (28 अरब 26 करोड़) है। तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता जीएवीआइ वैक्सीन अलायंस है, जिसने 8.39 फीसद का योगदान किया है। वहीं ब्रिटेन यूके (7.79 फीसद) और जर्मनी (5.68 फीसद) के योगदान के साथ क्रमश: चौथे और पांचवें स्थान पर हैं।

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