आपका बच्चा हो गया है बालिग तो माता-पिता को जरूर उठाने चाहिए ये महत्वपूर्ण कदम
बच्चा जैसे ही 18 साल का हो जाता है तो जिंदगी के इस नए पड़ाव में माता-पिता को अपने बच्चे के लिए ये कदम उठाने चाहिए।
नई दिल्ली, जागरण डेस्क। अपने बच्चे के 18 साल का होने पर हम बड़ें ही धूमधाम से उसका जन्मदिन मनाते हैं। 18 साल का होने के लिए जितना बच्चे उत्सुक होते हैं उतने ही उसके माता-पिता भी रहते हैं। 18 वर्ष की उम्र पार करने पर कानूनी तौर पर बच्चा बालिग हो जाता है। इसी उम्र में वह उच्च शिक्षा के लिए घर से बाहर निकलता है। आत्मनिर्भर होने की दिशा में ये उम्र बच्चे की पहली सीढ़ी होती है। 18 साल को होने के साथ ही बच्चा मतदान, ड्राइविंग लाइसेंस, और वित्तीय लेनदेन का पात्र हो जाते हैं।
इस उम्र की सीढ़ी पर माता पिता अपने बच्चे को नई दुनिया में आने के लिए काफी मदद कर सकते हैं। वह उन्हें काफी चीजों की जिम्मेदारियों की पहचान करवा सकते हैं। हम ऐसे ही कुछ कदमों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो आपके बच्चे के लिए लाभदायक हो सकते हैं।
इंश्योरेंस
जो भी व्यक्ति 18 साल का हो जाता है वह व्हीकल, लाइफ, हेल्थ और बाकी किसी कोई भी इंश्योरेंस पॉलिसी अपने नाम पर खरीद सकता है। हालांकि, काफी लोगों को ये थोड़ा जल्दी भी लग सकता है क्योंकि, आय का कोई जरिया वहीं होता है। बात करें हेल्थ कवर की तो बच्चा यदि अपने माता पिता के फैमिली फ्लोटर प्लान में कवर नहीं है तो हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने में कोई बुराई नहीं है।
आधार, पासपोर्ट जैसे जरुरी दस्तावेज
बच्चों को किसी भी वित्तीय ट्रांजेक्शन के लिए बच्चे को पहचान के सबूत की जरूरत पड़ती है। इसलिए माता-पिता को उनका पैन, आधार, पासपोर्ट ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में बच्चों की मदद करनी चाहिए। दरअसल, आजकल बैंक अकाउंट, म्यूचुअल फंडों में निवेश और इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने जैसे महत्वपूर्ण कामों में इनकी जरूरत होती है।
बैंकिग अकाउंट
यदि बच्चों का अपने माता-पिता के साथ ज्वाइंट अकाउंट है तो इसे अपडेट कराना जरूरी है। हालांकि, नया अकाउंट भी खुलवाया जा सकता है। बैंक के नियमों पर ये बात निर्भर करेगी। इसके लिए आपको केवाईसी के दस्तावेजों और अपनी उम्र के प्रमाण जमा करना होगा। दरअसल, कभी-कभी पर्सनल वेरिफिकेशन के बाद इसकी जरूरत पड़ती है। ऐसे होने के बाद बच्चे अपने तरीके से ट्रांजेक्शन कर सकते हैं। फिक्स्ड डिपॉजिट जमा करने के साथ ही चैक भी जारी कर सकती हैं। इसी के साथ यदि किसी बच्चे का रेकरिंग या फिर फिक्स्ड डिपॉजिट या पीपीएफ अकाउंट है तो उन्हें स्वतंत्र अकाउंट में बदलवा सकते हैं।
निवेश को लेकर उठाएं ये कदम
यदि किसी ने अपने बच्चे के नाम पर शेयर खरीदें हैं तो उन्हें फिर बच्चे के लिए एक नया डीमैट अकाउंट खोलना होगा। इसके बाद इन सभी शेयरों को उसमें ट्रांसफर करना होगा। जानकारी के लिए बता दें कि कुछ ही संस्थान महज मौजूदा डीमैट खाते को अपग्रेड करते हैं। इसके बाद बच्चा इसे शुरु कर सकता है। हालांकि, इतना जल्दी निवेश करना सहीं नहीं है। लेकिन, म्यूचुअल फंडों के जरिये निवेश कर सकता है।