आखिर कहां जाएंगे बेजुबान, आवारा कुत्तों के लिए दिल्ली-झारखंड समेत ज्यादातर राज्यों में नहीं कोई आश्रय स्थल
आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट भले चिंतित दिख रहा है, लेकिन ज्यादातर राज्य इसको लेकर उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। हालत यह है कि देश की राजधानी दिल्ली में एक भी आश्रय स्थल नहीं है। यही स्थिति झारखंड, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की भी है। मध्य प्रदेश में तो आवारा कुत्तों का आंकड़ा तक नहीं है।

आवारा कुत्तों के लिए दिल्ली-झारखंड समेत ज्यादातर राज्यों में नहीं कोई आश्रय स्थल (फोटो- एक्स)
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट भले चिंतित दिख रहा है, लेकिन ज्यादातर राज्य इसको लेकर उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। हालत यह है कि देश की राजधानी दिल्ली में एक भी आश्रय स्थल नहीं है। यही स्थिति झारखंड, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की भी है। मध्य प्रदेश में तो आवारा कुत्तों का आंकड़ा तक नहीं है।
दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या आठ लाख से अधिक
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया है कि उचित नसबंदी और टीकाकरण के बाद तुरंत आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में भेजा जाए, लेकिन धरातल पर स्थिति बिल्कुल उलट है। दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या आठ लाख से अधिक है, जबकि आश्रय स्थल एक भी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद द्वारका के सेक्टर 29 में एक आश्रय स्थल बनाने का निगम ने प्रस्ताव पास किया है। इस मामले में हरियाणा का प्रदर्शन अच्छा है। राज्य में लगभग पौने तीन लाख आवारा कुत्ते हैं, जिनके लिए वर्तमान में 90 आश्रय स्थल हैं। सरकार ने सभी स्थानीय निकायों को और आश्रय स्थल बनाने के निर्देश दिए हैं।
उत्तराखंड में कुत्तों के लिए किसी भी जिले में आश्रय स्थल नहीं
पिछले डेढ़ साल में प्रदेश में कुत्तों के काटने के 2.14 लाख मामले सामने आए हैं। हिमाचल प्रदेश में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 76,000 है, लेकिन यहां भी कोई शेल्टर होम नहीं है। उत्तराखंड में कुत्तों के लिए किसी भी जिले में आश्रय स्थल नहीं हैं।
देहरादून, हरिद्वार, अल्मोड़ा, हल्द्वानी और ऊधम सिंह नगर में एनीमल बर्थ कंट्रोल सेंटर हैं, जहां आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी की जाती है। झारखंड में अक्टूबर 2024 में कराए गए सर्वे के अनुसार, राज्य में कुत्तों की कुल संख्या 56,126 है, लेकिन कोई आश्रय स्थल नहीं है। यहां अभी तक स्थान तक चिन्हित नहीं किया गया है।
मप्र में शासन के पास आवारा कुत्तों का कोई आंकड़ा नहीं
मप्र में शासन के पास आवारा कुत्तों का कोई आंकड़ा नहीं है। नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त संकेत भोडवे ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद सभी नगर निगमों व निकायों से कुत्तों का डाटा मांगा गया है। देखा जाए तो भोपाल में कुत्तों की संख्या एक लाख 20 हजार हैं।
अनुमान है कि यही संख्या कमोबेश इंदौर, ग्वालियर जबलपुर सहित अन्य शहरों में भी होगी। चिंता की बात यह है कि राज्य के छह बड़े शहरों इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और रतलाम में वर्ष 2024 में कुत्तों के काटने 1,48,427 मामले सामने आए थे, लेकिन कोई चिंता नहीं की गई।
मुंबई में 90,000 से ज्यादा आवारा कुत्ते, लेकिन सिर्फ़ 8 आश्रय गृहृ
महाराष्ट्र में बृहन्मुंबई नगर निगम द्वारा 11 वर्ष पहले की गई जनगणना के अनुसार, मुंबई में कम से कम 95,752 आवारा कुत्ते थे, लेकिन 2014 से नगर निकाय द्वारा चलाए गए अभियान के कारण इस पर अंकुश लगा और वर्तमान में यह संख्या 90,600 है। उनके लिए आश्रय स्थल सिर्फ आठ हैं।

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