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पीएचडी थीसिस की चोरी पर ऐसे लगेगा अंकुश, सभी विश्वविद्यालयों में होगी जांच

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (विवि अनुदान आयोग) ने पीएचडी थीसिस की चोरी रोकने के लिए (प्लेगरिज्म) उरकुंड साफ्टवेयर तैयार किया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 10:35 PM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 08:58 PM (IST)
पीएचडी थीसिस की चोरी पर ऐसे लगेगा अंकुश, सभी विश्वविद्यालयों में होगी जांच
पीएचडी थीसिस की चोरी पर ऐसे लगेगा अंकुश, सभी विश्वविद्यालयों में होगी जांच

भोपाल, राज्‍य ब्‍यूरो। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (विवि अनुदान आयोग) ने पीएचडी थीसिस की चोरी रोकने के लिए (प्लेगरिज्म) उरकुंड साफ्टवेयर तैयार किया है। इससे अब सभी विश्वविद्यालयों में थीसिस जमा होने के पहले जांच की जाएगी। इसके जरिए छात्र से लेकर गाइड तक थीसिस की जांच मुफ्त में कर सकेंगे। यदि रिसर्च स्कॉलर ने थीसिस की कहीं से चोरी की होगी तो यह सॉफ्टवेयर चोरी को पकड़ लेगा। इस संबंध में सांची बौद्घ भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के छात्रों को सॉफ्टवेयर की कार्यप्रणाली के बारे में बताया गया। यह प्रशिक्षण विवि की केंद्रीय लाइब्रेरी द्वारा छात्रों और उनके गाइड को दी गई।

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सॉफ्टवेयर उरकुंड से होगी जांच

शुक्रवार को विवि के ऑडिटोरियम में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहायक लाइब्रेरियन डॉ. अमित ताम्रकार ने बताया कि कैसे रिसर्च स्कॉलर अपनी थीसिस को जमा करने से पहले यूजीसी के इस सॉफ्टवेयर उरकुंड के जरिए प्लेगरिज्म को जांच सकते हैं वो भी बगैर किसी शुल्क चुकाए। डॉ. ताम्रकार ने छात्रों को बताया कि वो प्रयास करें कि उनके शोध में 10 प्रतिशत से कम प्लेगरिज्म आए। उनका कहना था कि प्लेगरिज्म साबित होने पर साहित्यिक चोरी करने वाले को 6 माह से 3 साल की जेल, 50 हजार से 3 लाख रुपए तक जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।

साहित्यिक चोरी है अपराध

उन्होंने बताया कि अगर किसी ने साहित्यिक चोरी के माध्यम से शोध कर नौकरी पा ली है तो ऐसी स्थिति में उसके इंक्रीमेंट्स रोके जा सकते हैं और नौकरी से निकाला भी जा सकता है। ये कहलाता है साहित्य चोरी पूर्व में की गई किसी अन्य शोध से टेक्स्ट, फोटो, डेटा, पैराग्राफ, शोध के मूल विचार (आइडिया) इत्यादि को हू- ब- हू कॉपी कर अपनी रिसर्च में शामिल कर देना प्लेगरिज्म या साहित्य चोरी कहलाता है। रिसर्च स्कॉलर पूर्व में की गई रिसर्च के किसी हिस्से का हवाला देकर अपनी रिसर्च में शामिल कर सकता है। लेकिन अगर वह इसे बगैर किसी रिफरेंस (हवाले) के अपनी शोध में शामिल कर लेता है तो इसे साहित्य चोरी की श्रेणी में माना जाता है।

हर साल जांचे जा सकेंगे 212 डॉक्यूमेंट्स

यूजीसी इनफ्लिबनेट का उरकुंड सॉफ्टवेयर सांची विवि को प्रत्येक वषर्ष 212 डॉक्यूमेंट्स जांचने की निशुल्क सुविधा प्रदान कर रहा है। इस प्रकार से एक यूजर 4 डॉक्यूमेंट्स जांच सकता है जबकि प्रत्येक डॉक्यूमेंट में 20 पेज तक जांचने की सुविधा है। उरकुंड सॉफ्टवेयर इंटरनेट के माध्यम से रिसर्च स्कॉलर के थीसिस के टेक्स्ट को पीला कर बता देता है कि उसके द्वारा इस हिस्से को कहां से लिया गया है और उसमें सुधार की आवश्यकता है।


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