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आंध्र प्रदेश: अमरावती परियोजना को बड़ा झटका, वर्ल्ड बैंक ने प्रोजेक्ट से खींचे हाथ, फंड रोका

आंध्र प्रदेश सरकार को विश्व बैंक ने बड़ा झटका देते हुए अमरावती कैपिटल सिटी परियोजना के फंड के प्रस्ताव को रद कर दिया है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 08:56 AM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 09:01 AM (IST)
आंध्र प्रदेश: अमरावती परियोजना को बड़ा झटका, वर्ल्ड बैंक ने प्रोजेक्ट से खींचे हाथ, फंड रोका
आंध्र प्रदेश: अमरावती परियोजना को बड़ा झटका, वर्ल्ड बैंक ने प्रोजेक्ट से खींचे हाथ, फंड रोका

नई दिल्ली, रायटर। आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती कैपिटल सिटी परियोजना को बड़ा झटका लगा है। केंद्र सरकार द्वारा अनुरोध वापस लेने के बाद विश्व बैंक ने प्रोजेक्ट को दिए जाने वाले 300 मिलियन डॉलर (2064.15 करोड़ रुपये) फंड के प्रस्ताव को रद कर दिया है। यह जानकारी बैंक ने शुक्रवार को दी। उधर, बीजिंग के एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआइआइबी) ने भी परियोजना के लिए दिए जाने वाले 200 मिलियन डॉलर (1376 करोड़ रुपये) कर्ज की समीक्षा की बात कही है।

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राज्य की नई राजधानी की संकल्पना पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में इस परियोजना की आधारशिला रखी थी, लेकिन सत्तारूढ़ राजग गठबंधन से नायडू की पार्टी के अलग होने और इसी साल मई में विधानसभा चुनावों में नायडू की करारी शिकस्त के बाद इसके पूरा होने पर सवाल खड़े होने लगे थे। नई दिल्ली स्थित बैंक के प्रवक्ता सुदीप मजूमदार ने बताया कि भारत सरकार ने प्रस्तावित अमरावती सस्टेनेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के वित्तपोषण के लिए विश्व बैंक से अपना अनुरोध वापस ले लिया है। ऐसे में हमने अपने कार्यकारी निदेशकों को इस परियोजना पर आगे नहीं बढ़ने देने के बारे में सूचित कर दिया है। उधर, एआइआइबी की प्रवक्ता लॉरेल ओस्टफील्ड ने बताया कि हमें पता चला है कि विश्व बैंक ने परियोजना से हाथ खींच लिए हैं। ऐसे में अगले सप्ताह की शुरुआत में हमारी निवेश समिति प्रोजेक्ट में बने रहने के बारे में समीक्षा करेगी।

अमरावती शहर के निर्माण का कामकाज संभालने वाली आंध्र प्रदेश कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी के आयुक्त डॉ. पी लक्ष्मी नरसिम्हम ने इस पर टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया है। इस पूरी परियोजना की लागत 715 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग पांच हजार करोड़) है, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा दोनों बैंक देने वाले थे। विश्व बैंक द्वारा फंड नहीं देने की खबरें भारतीय मीडिया में गुरुवार को आई थीं, लेकिन फैसले के पीछे केंद्र सरकार की भूमिका जैसी बात कोई बात सामने नहीं आई थी।


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