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    Chhattisgarh : सरकार ने दिखाई बेरुखी तो आदिवासियों ने उफनते नाले पर बना दिया सस्पेंशन ब्रिज

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Sat, 12 Sep 2020 05:27 PM (IST)

    सरकार की बेरुखी से आजिज आकर अबूझमाड़ में आदिवासियों ने इंजीनियरिंग की बेजोड़ मिसाल पेश करते हुए उफनते नाले पर 70 फीट लंबा सस्पेंशन ब्रिज बना दिया है। ...और पढ़ें

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    Chhattisgarh : सरकार ने दिखाई बेरुखी तो आदिवासियों ने उफनते नाले पर बना दिया सस्पेंशन ब्रिज

    बप्पी राय, दंतेवाड़ा। अबूझमाड़ में आदिवासियों ने इंजीनियरिंग की बेजोड़ मिसाल पेश करते हुए उफनते नाले पर 70 फीट लंबा सस्पेंशन ब्रिज बना दिया है। दंतेवाड़ा जिले के बारसूर नगर से होकर इंद्रावती नदी के उस पार अबूझमाड़ इलाके के एक दर्जन गांव ऐसे हैं जो बरसात के मौसम में टापू बन जाते हैं। इस इलाके में संरक्षित अबूझमाड़िया जनजाति के दस हजार से ज्यादा लोग निवासरत हैं। इन्हें अपनी हर जरूरत के लिए 25-30 किमी पैदल चलकर बारसूर आना पड़ता है। दुर्गम जंगलों में नक्सलियों का साम्राज्य है और सरकार की पहुंच न के बराबर है।

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    चार खंबों पर टिका है ब्रिज

    ऐसे में जब सरकार ने बेरुखी दिखाई तो आदिवासियों ने जुगाड़ की तकनीक का इस्तेमाल किया और माडरी नाले पर सिर्फ चार खंबों पर टिका सस्पेंशन ब्रिज बना दिया। बाहरी दुनिया के लिए यह झूला पुल किसी अजूबे से कम नहीं है। इंद्रावती नदी को तो बोट से पार किया जा सकता है पर बरसात के दिनों में उफनते माडरी नाले को पार करना आसान नहीं है। नदी के उस पार बेड़मा गांव से अबूझमाड़ का इलाका शुरू हो जाता है। अबूझमाड़ के दुर्गम जंगल नारायणपुर जिले के ओरछा ब्लॉक में शामिल हैं।

    24 घंटे करते हैं रखवाली

    जाटलूर, लूंगा, थुलथुली, बेड़मा, इकुल, तोयनार, हिरकपाल और हांदावाड़ा आदि गांव नारायणपुर की बजाय दंतेवाड़ा जिले के ज्यादा करीब हैं। हाट-बाजार, अस्पताल आदि सभी जरूरतें बारसूर से पूरी होती हैं। ऐसे में ग्रामीणों ने बांस की खपच्चियों को तार और रस्सी से बांधकर झूला पुल बना दिया है। इस पुल से होकर रोजाना सैकड़ों लोग गुजरते हैं। पुल के पास गांव के लड़के शिफ्ट में 24 घंटे ड्यूटी करते हैं। नाले में तेज बहाव है। अगर पुल का कोई तार टूटा तो तो ये वालंटियर नाले में उतरकर तुरंत उसे ठीक कर देते हैं।

    सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज लेह में

    भारत का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज लेह में सिंधु नदी पर बना है। अप्रैल 2019 में शुरू हुए इस ब्रिज का निर्माण भारतीय सैनिकों ने 40 दिन के रिकार्ड समय में किया था। यह 260 फुट लंबा है और इसके निर्माण में पांच सौ टन सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। जल संसाधन विभाग रायपुर के कार्यपालन अभियंता ओपी चंदेल ने बताया कि सस्पेंशन ब्रिज ऐसी जगहों पर बनाया जाता है जहां पुल के बीच में पिलर खड़ा करने का कोई ठोस आधार न मिले। ऐसे ब्रिज में दोनों किनारे के पिलर्स पूरा भार अपने ऊपर ले लेते हैं। पिलर के सहारे बंधे तार पर बीच के हिस्से का पूरा भार टिका होता है।