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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अदालतों को बतानी होगी जमानत के फैसले की वजह, 'कर्तव्य के पालन' से नहीं मुकर सकते

पीठ ने कहा कि मौजूदा मुकदमे के फैसले पर हम हाई कोर्ट के इस विचार से इत्तेफाक नहीं रखते हैं कि दोनों पक्षों के वकीलों ने आगे बढ़ने की बात नहीं कही है इसलिए यह जमानत देने का कारण है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 07:52 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 07:52 PM (IST)
हत्या आरोपितों को जमानत का गुजरात हाई कोर्ट का फैसला पलटा

नई दिल्ली, एजेंसियां। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि जमानत पर फैसला देते हुए अदालत कारणों के उल्लेख पर अपने 'कर्तव्य के पालन' से नहीं मुकर सकती है, क्योंकि यह मुद्दा आरोपी की स्वतंत्रता, राज्य के हित और पीड़ित को उचित आपराधिक न्याय प्रशासन से जुड़ा हुआ है। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की शीर्ष कोर्ट की पीठ ने मंगलवार को हत्या के मामले में कथितरूप से शामिल छह लोगों को जमानत देने के गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को पलटते हुए उक्त टिप्पणी की।

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शीर्ष कोर्ट ने कहा कि पक्षों की सहमति हाई कोर्ट द्वारा जमानत देने या नहीं देने का कारण बताने के कर्तव्य से विमुख होने की वजह नहीं हो सकती, क्योंकि इस फैसले का एक ओर जहां आरोपी की स्वतंत्रता पर असर पड़ता है, वहीं अपराधियों के खिलाफ न्याय के जनहित पर भी इसका असर होता है। पीठ ने कहा कि मौजूदा मुकदमे के फैसले पर हम हाई कोर्ट के इस विचार से इत्तेफाक नहीं रखते हैं कि दोनों पक्षों के वकीलों ने आगे बढ़ने की बात नहीं कही है, इसलिए यह जमानत देने का कारण है। जमानत देने का मुद्दा आरोपी की आजादी, राज्य के हित और पीड़ित को उचित आपराधिक न्याय प्रशासन से जुड़ा हुआ है।

पीठ ने कहा कि यह सर्वमान्य सिद्धांत है कि जमानत देने या नहीं देने का फैसला लेते हुए हाई कोर्ट या सत्र अदालतें सीआरपीसी के प्रावधान 439 के तहत आवेदन पर फैसला करते हुए तथ्यों के गुण-दोष की विस्तृत समीक्षा नहीं करेंगी, क्योंकि मामले पर आपराधिक सुनवाई अभी होनी बाकी है। दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 439 जमानत के संबंध में हाई कोर्ट या सत्र अदालतों को प्राप्त विशेष अधिकार से संबंधित है। पीठ ने कहा कि इसलिए हम इस मामले में हाई कोर्ट की टिप्पणी को अस्वीकार कर रहे हैं और सभी आरोपितों को आत्मसमर्पण का निर्देश दिया।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट हत्या के एक मामले में छह आरोपियों को जमानत देने के हाई कोर्ट के आदेशों को चुनौती देने वाली अपीलों की सुनवाई कर रहा था जिसमें पांच लोग मारे गए थे। मामले में प्राथमिकी पिछले साल मई माह में दर्ज की गई थी। कोर्ट ने इस बात का भी उल्लेख किय कि प्राथमिकी दर्ज होने के चार दिन बाद एक आरोपित द्वारा क्रास एफआइआर भी दर्ज कराई गई थी। 


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