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    सुप्रीम कोर्ट ने दो बर्खास्त सहायक शिक्षकों की बहाली का दिया आदेश, हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई थी रोक

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 07:50 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति के समय अनिवार्य न्यूनतम योग्यता टीईटी पास नहीं करने के आधार पर नौकरी से बर्खास्तकिये गए दो सहायक शिक्षकों की तत्काल बहाली का आदेश दिया है। अदालत ने शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के लिए बदले नियमों और बढ़ाए गए समय को आधार बनाते हुए नौकरी के दौरान टीईटी पास करने को पर्याप्त मानते हुए दोनों की बर्खास्तगी को गलत ठहराया है।  

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    सुप्रीम कोर्ट ने दो बर्खास्त सहायक शिक्षकों की बहाली का दिया आदेश (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कानपुर के दो सहायक शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति के समय अनिवार्य न्यूनतम योग्यता टीईटी पास नहीं करने के आधार पर नौकरी से बर्खास्त किये गए दो सहायक शिक्षकों की तत्काल बहाली का आदेश दिया है।

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    अदालत ने शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के लिए बदले नियमों और बढ़ाए गए समय को आधार बनाते हुए नौकरी के दौरान टीईटी पास करने को पर्याप्त मानते हुए दोनों की बर्खास्तगी को गलत ठहराया है।

    शीर्ष अदालत ने कहा कि बदले नियमों के मुताबिक टीईटी पास करने के लिए 31 मार्च, 2019 तक का समय था, जबकि दोनों याचिकाकर्ताओं ने 2011 और 2014 में ही टीईटी पास कर लिया था। बर्खास्तगी की तारीख 12 जुलाई, 2018 को वे दोनों टीईटी पास कर चुके थे। ऐसे में उन्हें बर्खास्तगी की तारीख पर अयोग्य मानना गलत है।

    यह फैसला प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और के विनोद चंद्रन की पीठ ने कानपुर में भौती के ज्वाला प्रसाद तिवारी जूनियर हाईस्कूल के शिक्षक उमाकांत और एक अन्य की याचिका स्वीकार करते हुए शुक्रवार को दिया।

    शीर्ष अदालत ने शिक्षकों की याचिका खारिज करने का इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ और एकल पीठ का आदेश रद कर दिया है। इसके साथ ही दोनों शिक्षकों की बर्खास्तगी का आदेश भी रद कर दिया है।

    नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) ने 23 अगस्त, 2010 को अधिसूचना जारी कर कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए टीईटी की न्यूनतम योग्यता तय कर दी। संबंधित राज्य सरकार को तय नियमों के तहत टीईटी करानी थी। इसके बाद 25 जून, 2011 को भौती के ज्वाला प्रसाद तिवारी जूनियर हाई स्कूल ने सहायक शिक्षकों के चार पदों की रिक्तियां निकालीं। दोनों याचिकाकर्ताओं ने आवेदन किया।

    उत्तर प्रदेश में पहली बार 13 नवंबर, 2011 को शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित हुई, जिसे एक याचिकाकर्ता ने 25 नवंबर, 2011 को पास कर लिया। 13 मार्च, 2012 को बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दोनों शिक्षकों का चयन मंजूर करते हुए उन्हें नियुक्ति पत्र जारी किया। दोनों शिक्षकों ने 17 मार्च, 2012 को सहायक शिक्षक पद पर नौकरी ज्वाइन कर ली।

    24 मई, 2014 को दूसरे याचिकाकर्ता ने भी टीईटी पास कर ली। इस बीच नौ अगस्त, 2017 को आरटीई एक्ट की धारा 23 में संशोधन हुआ। इसमें कहा गया कि 31 मार्च, 2015 तक नियुक्त शिक्षकों में जिसने टीईटी पास नहीं की है, वे चार साल के भीतर इसे पास कर न्यूनतम योग्यता हासिल करें।

    इसके मुताबिक टीईटी पास करने के लिए 31 मार्च, 2019 तक का समय दिया गया था। लेकिन 12 मार्च, 2018 को दोनों शिक्षकों को नियुक्ति के समय टीईटी पास नहीं होने के कारण नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।

    सुप्रीम कोर्ट में शिक्षकों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमित आनंद तिवारी ने कहा कि दोनों याचिकाकर्ताओं ने 2011 और 2014 में टीईटी पास कर ली है। जब टीईटी के लिए समय सीमा बढ़ा दी गई थी, तो ऐसे में उन्हें बर्खास्त किया जाना ठीक नहीं है।