आयुष और एलोपैथिक डॉक्टरों के बीच समानता को लेकर मतभेद, SC ने बड़ी पीठ को क्यों भेजा सवाल?
सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी जैसे स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों के डॉक्टरों को एलोपैथिक डॉक्टरों के समान मानने के सवाल को बड़ी पीठ को भेजा है। कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर मतभेद है और एक आधिकारिक निर्णय की आवश्यकता है। बड़ी पीठ के फैसले तक आयुष चिकित्सकों को अस्थायी आधार पर काम करने का विकल्प दिया गया है, लेकिन उन्हें नियमित वेतन और भत्ते नहीं मिलेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी पीठ को भेजा सवाल। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इस सवाल को बड़ी पीठ को भेज दिया है कि क्या आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी जैसी स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों का अभ्यास करने वाले डॉक्टरों को सेवा शर्तों, सेवानिवृत्ति की आयु और वेतनमान निर्धारित करने के लिए ''एलोपैथिक'' डाक्टरों के समान माना जा सकता है।
13 मई को चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने उन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिनमें इस सवाल का जवाब मांगा गया था कि क्या सरकारी अस्पतालों तथा क्लीनिकों में सेवारत आयुष चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की आयु से आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अभ्यास करने वाले डाक्टरों की सेवानिवृत्ति की आयु अलग हो सकती है।
17 अक्टूबर के आदेश में पीठ ने क्या कहा?
बहरहाल, 17 अक्टूबर को दिए गए एक आदेश में पीठ ने कहा कि इस बात पर ''मतभेद'' है कि क्या दोनों चिकित्सा पद्धतियों के डाक्टरों के साथ सेवा लाभों के लिए समान व्यवहार किया जा सकता है और इसलिए, इस मुद्दे पर एक आधिकारिक निर्णय की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा कि पहले के फैसलों में इस बात पर अलग-अलग रुख अपनाया गया था कि क्या आयुष डाक्टर, एलोपैथिक डाक्टरों के समान सेवानिवृत्ति लाभ और वेतनमान का दावा कर सकते हैं।
आदेश में कहा गया है, ''हम राज्यों के इस तर्क को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि (एलोपैथिक डाक्टरों की) सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि केवल यह सुनिश्चित करने के लिए थी कि जनता का इलाज करने के लिए पर्याप्त अनुभवी चिकित्सक उपलब्ध हों। एलोपैथी में चिकित्सकों की जो कमी है, वह स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों में नहीं है। विशेषकर तब, जब स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों के चिकित्सकों द्वारा महत्वपूर्ण जीवन रक्षक उपचारात्मक, हस्तक्षेपात्मक और शल्य चिकित्सा देखभाल नहीं की जाती है। हमारा मानना है कि इस मुद्दे पर एक आधिकारिक फैसला होना चाहिए और इसलिए हम इस मामले को एक बड़ी पीठ को सौंपते हैं। रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि वह इस मामले को प्रशासनिक पक्ष से माननीय मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखे।''
क्या डॉक्टरों को मिलेगा वेतन और भत्ता?
बड़ी पीठ के निर्णय के लंबित रहने तक कोर्ट ने राज्यों और प्राधिकारियों को आयुष चिकित्सकों को उनकी वर्तमान सेवानिवृत्ति आयु के बाद, एलोपैथिक चिकित्सकों के लिए लागू सेवानिवृत्ति आयु तक, अस्थायी आधार पर, लेकिन नियमित वेतन और भत्ते के बिना जारी रखने का विकल्प दिया। कोर्ट ने कहा कि यदि बड़ी पीठ अंतत: आयुष डाक्टरों के पक्ष में फैसला देती है तो वे विस्तारित अवधि के लिए पूर्ण वेतन और भत्ते के हकदार होंगे।
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