पलायन की पीड़ा: सागर के शुक्रवारी-शनिचरी क्षेत्र को पुलिस मानती है अतिसंवेदनशील, तैनात रहता है अतिरिक्त बल
मध्य प्रदेश के सागर जिले में मुस्लिम बहुल शुक्रवारी-शनिचरी क्षेत्र को पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से अतिसंवेदनशील की श्रेणी में रखा है। यहां सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस सहायता केंद्र भी स्थापित किया गया है। तीज, त्योहार या विशेष अवसरों में होने वाले आयोजन आदि में यहां पर पुलिस प्रशासन मार्च पास्ट के साथ ही अतिरिक्त बल की तैनाती की जाती है।

सागर के शुक्रवारी-शनिचरी क्षेत्र को पुलिस मानती है अतिसंवेदनशील (सांकेतिक तस्वीर)
जेएनएन, सागर। मध्य प्रदेश के सागर जिले में मुस्लिम बहुल शुक्रवारी-शनिचरी क्षेत्र को पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से अतिसंवेदनशील की श्रेणी में रखा है। यहां सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस सहायता केंद्र भी स्थापित किया गया है।
तीज, त्योहार या विशेष अवसरों में होने वाले आयोजन आदि में यहां पर पुलिस प्रशासन मार्च पास्ट के साथ ही अतिरिक्त बल की तैनाती की जाती है। फिर भी पिछले पांच साल में यहां 250 से अधिक अपराध दर्ज हुए हैं।
हर साल औसतन 50 से अधिक अपराध दर्ज होते हैं, जिसमें दोनों समुदाय के आपसी विवाद भी शामिल हैं। हालांकि ये आंकड़े तो महज रिकॉर्ड में हैं, लेकिन इनसे कहीं ज्यादा विवाद के मामले तो पुलिस तक या तो पहुंच ही नहीं पाते या फिर दबाव डालकर निपटा दिए जाते हैं। दबंगई और विवाद की स्थिति से ही यहां के अधिकांश हिंदू परिवार अपने मकान बेचकर दूसरी जगह जाने को मजबूर हुए हैं।
शनिचरी-शुक्रवारी क्षेत्र में ही लाजपतपुरा वार्ड, परकोटा वार्ड का कुछ हिस्सा, कृष्णगंज वार्ड और तिलकगंज वार्ड का कुछ हिस्सा आता है। शुक्रवारी-शनिचरी वार्ड की कुल आबादी करीब 83 हजार है। यहां जनसंख्या के हिसाब से मुस्लिम आबादी हिंदुओं से ज्यादा है। ऐसे में, हिंदू परिवार असहज और सहमे हैं। किराये से मकान देने वाले एक ¨हदू परिवार ने बताया कि शनिचरी-शुक्रवारी के माहौल के कारण ही उन्हें किरायेदार तक नहीं मिलते।
डॉ. हरिसिंह गौर भी यहीं के थे
इतिहास की जानकारी रखने वाले सागर के डॉ. रजनीश जैन ने बताया कि शनिचरी और शुक्रवारी मूलत: उर्दू की शब्दावली से आए हैं। 1700 ईस्वी के समय मराठाकाल में परकोटा के आसपास मुस्लिमों को बसाया गया था। इसी इलाके में बजरिया, मदार छल्ला इलाका भी है।
हालांकि यहां पर हिंदू आबादी भी तभी से निवास कर रही है। मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शिक्षाविद, समाज सुधारक, कवि और उपन्यासकार डा. हरीसिंह गौर का परिवार भी यही रहता था। यहां पर लंबरदार परिवार सहित कई नामचीन हस्तियों के मकान भी थे।

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