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    जस्टिस वर्मा के सामने महाभियोग से बचने का एकमात्र विकल्प है इस्तीफा, अगर संसद ने हटाया तो नहीं मिलेगी पेंशन

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Thu, 14 Aug 2025 06:48 AM (IST)

    लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की ओर से जस्टिस यशवंत वर्मा के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए समिति की घोषणा के बाद संसद में महाभियोग प्रस्ताव के जरिये हटाए जाने से बचने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश के पास इस्तीफा ही एकमात्र विकल्प बचा है। अगर संसद ने हटाया तो उनको सेवानिवृत्त न्यायाधीश के समान पेंशन एवं अन्य लाभ नहीं मिलेंगे।

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    जस्टिस वर्मा के सामने महाभियोग से बचने का एकमात्र विकल्प है इस्तीफा (फाइल फोटो)

     पीटीआई, नई दिल्ली। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की ओर से जस्टिस यशवंत वर्मा के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए समिति की घोषणा के बाद, संसद में महाभियोग प्रस्ताव के जरिये हटाए जाने से बचने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश के पास इस्तीफा ही एकमात्र विकल्प बचा है।

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    अगर संसद ने हटाया, तो नहीं मिलेगी पेंशन और अन्य लाभ

    सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति और हटाने की प्रक्रिया से अवगत अधिकारियों ने बताया कि किसी भी सदन में सांसदों के समक्ष पक्ष रखते हुए जस्टिस वर्मा पद छोड़ने की घोषणा कर सकते हैं और उनके मौखिक बयान को उनका इस्तीफा माना जाएगा।

    अगर वह इस्तीफा देने का फैसला करते हैं, तो उन्हें हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के समान पेंशन एवं अन्य लाभ मिलेंगे। अगर संसद ने हटाया, तो नहीं मिलेंगे।

    न्यायाधीश राष्ट्रपति को अपना लिखित इस्तीफा दे सकता है

    संविधान के अनुच्छेद-217 के अनुसार, हाई कोर्ट का न्यायाधीश राष्ट्रपति को अपना लिखित इस्तीफा दे सकता है। इस्तीफे के लिए किसी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती। न्यायाधीश पद छोड़ने की संभावित तिथि भी बता सकता है। ऐसे मामले में न्यायाधीश कार्यकाल के अंतिम दिन के रूप में उल्लिखित तिथि से पहले इस्तीफा वापस ले सकता है।

    इन्हें मिली जांच की जिम्मेवारी

    जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष द्वारा बनाई गई तीन सदस्यीय जांच समिति में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव एवं वरिष्ठ अधिवक्ता बीवी. आचार्य को शामिल किया गया है।

    पांच बार कर्नाटक के महाधिवक्ता रह चुके हैं बीवी आचार्य वरिष्ठ

    जस्टिस अरविंद कुमार ने 1987 में वकालत शुरू की थी। वह 2009 में कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायाधीश बने थे। 2021 में गुजरात हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एवं 2023 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए। जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव अभी मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं। इसके पहले वह राजस्थान के भी मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। उनका संबंध छत्तीसगढ़ से है। बीवी आचार्य वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। पांच बार कर्नाटक के महाधिवक्ता रह चुके हैं।