Rajasthan: झालावाड़ स्कूल हादसे में बड़ा खुलासा, शिक्षकों ने कहा था- दो-दो सौ रुपये इकट्ठा करो तो डलवा देंगे नई छत
राजस्थान के झालावाड़ के पिपलोदी गांव में सरकारी स्कूल के भवन की छत गिरने के मामले में अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है। भवन की जर्रर हालत से चिंतित ग्रामीणों ने अधिकारियों के साथ स्कूल से शिक्षकों से भी मरम्मत कराने की गुहार लगाई थी। स्कूल भवन का बड़ा हिस्सा पिछले चार साल से जर्जर है। हर साल बारिश में इन कमरों की छत से पानी गिरता रहता है।

जागरण संवाददाता, जयपुर। झालावाड़ के पिपलोदी गांव में सरकारी स्कूल के भवन की छत गिरने के मामले में अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है। भवन की जर्रर हालत से चिंतित ग्रामीणों ने अधिकारियों के साथ स्कूल से शिक्षकों से भी मरम्मत कराने की गुहार लगाई थी, लेकिन उन्होंने चिंता नहीं की।
हादसे से गुस्साए स्थानीय लोग
अधिकारियों ने उन्हें अपने स्तर पर मरम्मत कराने के लिए कह दिया तो शिक्षकों ने कहा था कि प्रति परिवार दो-दो सौ रुपये इकट्ठा कर लो तो नई छत डलवा दी जाएगी। हादसे से गुस्साए स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्होंने स्कूल भवन की स्थिति के बारे में तहसीलदार और सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट को सूचित किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
ग्रामीणों ने कई बार स्कूल मरम्मत को कहा था
बताया कि स्कूल भवन का बड़ा हिस्सा पिछले चार साल से जर्जर है। हर साल बारिश में इन कमरों की छत से पानी गिरता रहता है। ग्रामीण बाबूलाल ने कहा कि हम लोगों ने कई बार स्कूल प्रशासन और सरकारी अधिकारियों को मरम्मत करवाने का आग्रह किया। वहीं, ग्राम विकास अधिकारी दौलत गुर्जर ने कहा कि चार साल पहले ही मरम्मत करवाई थी। चार साल से छत क्षतिग्रस्त होने की बात सही नहीं है।
तेज आवाज के साथ ढही छत, चीखने लगे बच्चे
शुक्रवार को हुए हादसे के बारे में ग्रामीण बालकिशन ने बताया कि वह स्कूल के पास सड़क किनारे बैठे थे, तभी उन्होंने तेज आवाज सुनी। मुड़कर देखा, तो इमारत का एक हिस्सा धूल और मलबे के गुबार में ढह गया था। बच्चों के चीखने-चिल्लाने की आवाजें गूंज रही थीं।
बालकिशन ने बताया, 'मैं वहां मौजूद अन्य लोगों के साथ तुरंत स्कूल की ओर दौड़ा और बच्चों को बचाने के लिए स्लैब और पत्थर हटाने शुरू कर दिए। वहां बच्चे रो रहे थे और हर कोई उन्हें बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था। हममें से कई लोग घायल छात्रों को स्वास्थ्य केंद्र ले गए। एक अन्य स्थानीय निवासी ने दावा किया कि प्रशासन की मदद पहुंचने से पहले ही उन्होंने बच्चों को बचा लिया और निजी वाहनों से उन्हें स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया।
गांव में नहीं जला चूल्हा
हादसे के बाद गांव में माहौल गमगीन है। शुक्रवार को गांव के किसी घर में चूल्हा नहीं जला। ग्रामीणों ने खाना नहीं खाया, केवल बच्चों के लिए स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों ने भोजन का प्रबंध किया।
देर शाम गांव पहुंचीं पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि यदि स्कूल को चिह्नित किया गया होता तो हादसे को टाला जा सकता था। उनके साथ झालावाड़ से उनके सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह भी थे।
45 मिनट बाद पहुंची एंबुलेंस
गांव के सरपंच रामप्रसाद लोढ़ा ने बताया कि इमारत ढहने के बाद पूरे गांव में अफरा-तफरी मच गई। लोग स्कूल की ओर दौड़ पड़े। वह अपनी जेसीबी मशीन लेकर इमारत की ओर दौड़े और तुरंत बचाव कार्य शुरू किया जो लगभग 20 मिनट तक चला। इमारत से कम से कम 13 छात्रों को बचाया गया।
सरपंच ने दावा किया कि घायलों को दोपहिया वाहनों से अस्पताल ले जाया गया। एंबुलेंस 45 मिनट बाद घटनास्थल पर पहुंची।
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