मोदी सरकार के राज में मोटे अनाज लौटे अच्छे दिन, आम से खास लोगों तक पहुंचने लगे Millets
आगामी 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित होने के साथ ही मोटे अनाज (Millets) वाली फसलों के दिन लौट आए हैं। पिछले कुछ वर्षों के भीतर इन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
सुरेंद्र प्रसाद सिह, नई दिल्ली। मोटे अनाज को खेती और उसके उपयोग को लेकर कई सारी सीमाएं उसकी राह की रोड़ा बनी हुई थीं, जिसे सरकार की पहल से दूर कर दिया गया है। आगामी 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित होने के साथ ही मोटे अनाज वाली फसलों के दिन लौट आए हैं। कई तरह की सीमाएं थीं, जिन्हें दूर कर दिया गया है। इससे इस वर्ग की फसलों की खेती को जहां बल मिलेगा वहीं उपभोक्ताओं तक इसे पहुंचाने में सहूलियत होगी। मिलेट्स फूड फेस्टिवल के माध्यम से इन अनाजों की पहुंच आम लोगों से खास लोगों तक पहुंचने लगी है। हैरानी इस बात की है कि पोषक तत्वों से भरपूर होने के बावजूद इन वर्ग के अनाजों की हैसियत खेतिहर मजदूरों की (बन्नी) मजदूरी तक सीमित थी।
मोटे अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य में हुई वृद्धि
सरकार की नजरों से भी इन फसलों को कोई बहुत तरजीह नहीं मिल पाती थी। सरकार की तरफ से न इन अनाजों को बेहतर एमएसपी मिल पाती थी और न ही सरकारी खरीद में प्राथमिकता। जहां तहां खरीद होती भी तो मात्र तीन महीने के भीतर इसे राशन प्रणाली के तहत बांटने की अनिवार्यता थी, जिससे स्थानीय स्तर पर राज्य खरीद करने से कतराते थे। सरकार की पहल से इन सारी कठिनाइयों को दूर कर दिया गया है। पिछले कुछ वर्षों के भीतर इन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसी तरह इन फसलों की सरकारी खरीद को भी प्रोत्साहित करने के लिए राज्यों को विशेष रियायतें दी गई हैं। इसमें तीन महीने के भीतर इन अनाजों के वितरण की अनिवार्यता को समाप्त कर इसे छह से 10 महीने कर दिया गया है।
नवंबर तक 3 लाख टन से ज्यादा मोटे अनाज की खरीद की गई
केंद्रीय पूल में इन अनाजों की खरीद का लक्ष्य पिछले साल 2021 के 6.5 लाख टन के मुकाबले वर्ष 2022 में दोगुना कर 13 लाख टन कर दिया गया है। यही वजह है कि इन फसलों की खेती का रकबा लगातार बढ़ रहा है। कम लागत में होने वाली इन फसलो की उपज को अब तो खुले बाजार में भी अच्छे मूल्य मिलने लगे हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने 'जागरण' से विशेष बातचीत में बताया 'चालू खरीफ सीजन में ही 30 नवंबर 2022 तक देश के सात राज्यों हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु में निर्धारित लक्ष्य 13 लाख टन से ज्यादा मोटे अनाज की खरीद कर ली गई है। जबकि यह लक्ष्य पूरे साल के लिए निर्धारित है। चालू फसल वर्ष के दौरान 2.88 करोड़ टन मोटे अनाज के उत्पादन का लक्ष्य है।'
तोमर ने बताया कि मोटे अनाज की खेती के लिए नेशनल फूड सेक्यूरिटी मिशन (एनएफएसएम) के तहत देश के 14 राज्यों के चिन्हित 212 जिलों में पोषक फूड उपमिशन लागू किया गया है। इन जिलों के किसानों को उन्नत प्रजाति के बीजों की आपूर्ति के हर संभव इनपुट उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके तहत पोस्टहार्वेस्टग की सुविधा और फूड प्रोसेसिंग तक की सहूलियत मुहैया कराई जा रही है।
अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित होने के साथ ही इस दिशा में पूरी दुनिया की नजर इन अनाजों की पौष्टिकता पर गई। प्राथमिक तौर पर इन फसलों की खेती एशिया और अफ्रीकी देशों होती थी जो धीरे धीरे पूरी दुनिया में पहुंच गई है। लेकिन अभी भी इन फसलों की 40 फीसद खेती भारत में होती है। दुनिया के दूसरे देशों में इसकी मांग होने का फायदा भारतीय किसानों को मिल सकता है। निर्यात मांग को देखते हुए सरकार की नजर घरेलू किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने पर है।
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