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    Google Maps: अब गूगल मैप्स बताएगा, आपके आसपास गली चौराहों की हवा सांस लेने लायक या नहीं

    Updated: Thu, 21 Nov 2024 12:00 AM (IST)

    टेक दिग्गज गूगल ने बुधवार को एआइ-संचालित एयर व्यू प्लस फीचर लांच किया है। इसका लाभ गूगल मैप्स के माध्यम से देशभर के यूजर्स उठा सकेंगे। इसपर गली चौराहों की हवा में प्रदूषण की मात्रा का पता चल सकेगा। यह नितांत स्थानीय (हाइपरलोकल) स्तर पर वायु गुणवत्ता की रियल टाइम जानकारी देगा। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है।

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    गूगल मैप्स बताएगा आपके आसपास हवा सांस लेने लायक या नहीं (फोटो- सोशल मीडिया)

    पीटीआई, नई दिल्ली। टेक दिग्गज गूगल ने बुधवार को एआइ-संचालित एयर व्यू प्लस फीचर लांच किया है। इसका लाभ गूगल मैप्स के माध्यम से देशभर के यूजर्स उठा सकेंगे। इसपर गली चौराहों की हवा में प्रदूषण की मात्रा का पता चल सकेगा। यह नितांत स्थानीय (हाइपरलोकल) स्तर पर वायु गुणवत्ता की रियल टाइम जानकारी देगा। यह नई सुविधा ऐसे समय सामने आई है, जब दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है।

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    वायु प्रदूषण महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक

    वायु प्रदूषण महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौतियों का कारण बन रहा है। हाइपरलोकल स्तर पर वायु गुणवत्ता के बारे में अपूर्ण डाटा के कारण लक्षित कार्रवाई करने की क्षमता सीमित हो जाती है। यह सुविधा सरकारी अधिकारियों और लोगों के लिए सशक्त समाधान है। यूजर्स गूगल मैप्स में रियल टाइम हाइपरलोकल वायु गुणवत्ता की जानकारी ले सकेंगे।

    क्लाइमेट टेक फर्म आराश्योर और रेस्पायरर लिविंग साइंसेज ने उन शहरों में वायु गुणवत्ता सेंसर नेटवर्क स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहां पहले वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी थी। ये सेंसर हर मिनट तापमान और आ‌र्द्रता के साथ-साथ विभिन्न वायु गुणवत्ता मापदंडों, पीएम2.5, पीएम10, सीओ2, एनओ2, ओजोन और वीओसी को मापते हैं। 150 से अधिक शहरों में लगाए गए ये सेंसर लगातार वायु गुणवत्ता की निगरानी करते हैं।

    सेंसरों के डाटा को सत्यापित किया जाता है

    आइआइटी दिल्ली, आइआइटी हैदराबाद, राज्य प्रदूषण बोर्ड और सीएसटीईपी जैसे जलवायु कार्रवाई समूहों के स्थानीय शोधकर्ताओं के सहयोग से इन सेंसरों के डाटा को सत्यापित किया जाता है। डेटा का विश्लेषण गूगल एआइ का उपयोग कर शोधकर्ताओं द्वारा किया जाता है, जिससे यह जानकारी नागरिकों और शहर योजनाकारों दोनों के लिए उपयोगी हो जाती है।

    गूगल मैप्स रियल-टाइम AQI फीचर: कैसे करेगा काम

    गूगल मैप पर पॉल्यूशन की स्थिति बताने के लिए कलर-कोड सिस्टम का यूज किया गया है। इसमें हरे रंग का मतलब सामान्य और सबसे ज्यादा प्रदूषण की स्थिति के लिए गहरे लाल रंग का यूज किया गया है। रियल टाइम पॉल्यूशन ट्रैक करने का यह फीचर गूगल मैप की ऐप के साथ-साथ वेबसाइट दोनों पर उपलब्ध है।

    गूगल मैप्स का AQI लेवल को कलर कोड के साथ-साथ 0 से 500 अंक के स्केल पर भी बताया जा रहा है। इन नंबर का मतलब है जिस जगर पर जितना अधिक पॉल्यूशन होगा वहां का AQI नंबर उतना ही ज्यादा होगा। यहां हम आपके साथ AQI कैटगरी शेयर कर रहे हैं।

    0-50: अच्छा

    51-100: संतोषजनक

    101-200: मीडियम

    201-300: खराब

    301-400: बहुत खराब

    401-500: गंभीर