'बिना उचित सुनवाई आरोपित को जेल में सड़ने नहीं दिया जा सकता', सुप्रीम कोर्ट ने जल्द मामला निपटारे का दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने यूएपीए के एक मामले में कहा कि किसी आरोपित को उचित और त्वरित सुनवाई के बिना जेल में सड़ने नहीं होने दिया जा सकता।जस्टिस विक्रम नाथ और केवी विश्वनाथन की पीठ ने एक सुनवाई अदालत को निर्देश दिया कि वह सुनवाई को तेजी से आगे बढ़ाए और इसे दो वर्षों के भीतर समाप्त करे क्योंकि अभियोजन पक्ष द्वारा 100 से अधिक गवाहों की जांच की जानी है।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने यूएपीए के एक मामले में कहा कि किसी आरोपित को उचित और त्वरित सुनवाई के बिना जेल में सड़ने नहीं होने दिया जा सकता।
100 से अधिक गवाहों की जांच होगी
जस्टिस विक्रम नाथ और केवी विश्वनाथन की पीठ ने एक सुनवाई अदालत को निर्देश दिया कि वह सुनवाई को तेजी से आगे बढ़ाए और इसे दो वर्षों के भीतर समाप्त करे क्योंकि अभियोजन पक्ष द्वारा 100 से अधिक गवाहों की जांच की जानी है।
शीर्ष अदालत ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के अप्रैल 2022 के आदेश के खिलाफ दो अपीलों पर अपना निर्णय सुनाया, जिसने एक आरोपित को जमानत दी थी लेकिन दूसरे सह-आरोपित को राहत देने से इनकार कर दिया था। जबकि केंद्र की अपील ने जमानत मंजूर करने को चुनौती दी।
17 आरोपितों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई थी
दूसरी अपील उस सह-आरोपित ने दायर की जिसे राहत से वंचित किया गया था। जनवरी, 2020 में बेंगलुरु में 17 आरोपितों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई थी, जिसमें अवैध गतिविधियों (निवारण) अधिनियम, 1967 (यूएपीए) के प्रविधानों के तहत आरोप शामिल थे।
यह मामला बाद में एनआइए को सौंपा गया और जुलाई 2020 में एक चार्जशीट दायर की गई। पीठ ने कहा, हालांकि, यह तथ्य बना हुआ है कि ट्रायल शुरू नहीं हुआ है, जबकि पांच साल और छह महीने का समय बीत चुका है। आरोपित को उचित और त्वरित सुनवाई के बिना जेल में सड़ने नहीं होने दिया जा सकता।
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