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    ब्राह्मण होने के बावजूद इस वजह से जयललिता का दाह संस्कार नहीं, दफनाया गया

    By Atul GuptaEdited By:
    Updated: Wed, 07 Dec 2016 09:54 AM (IST)

    आयंगर ब्राह्मणों में दाह संस्कार की प्रथा के बावजूद तमिलनाडु सरकार और अंत तक जयललिता की सहयोगी रहीं शशिकला नटराजन ने उन्हें दफनाने का फैसला लिया।

    चेन्नई, प्रेट्र। अन्नाद्रमुक प्रमुख जयराम जयललिता का मंगलवार शाम चेन्नई में मरीना बीच पर अंतिम संस्कार किया गया। हिंदू रीति से दाह संस्कार करने के बजाय उनके राजनीतिक गुरु एमजी रामचंद्रन की समाधि के पास ही चंदन के ताबूत में उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ दफनाया गया। जयललिता ने एमजीआर को जीवनभर अपना आदर्श माना।

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    अम्मा के नाम से मशहूर करिश्माई नेता को श्रद्धांजलि देने मरीना बीच पर लाखों लोग जमा हुए। अंतिम संस्कार की सभी रस्में उनकी करीबी सहयोगी रहीं शशिकला नटराजन ने पूरी कीं, जिन पर कभी जयललिता को जहर देकर मारने की साजिश रचने का आरोप भी लगा था।

    तस्वीरें : जयललिता ने नहीं लिखी कोई वसीयत, देखें कौन हो सकता है दावेदार

    राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई नेताओं ने चेन्नई जाकर जयललिता को श्रद्धांजलि दी। उनके निधन पर केंद्र सरकार ने मंगलवार को एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया। संसद के दोनों सदनों में श्रद्धांजलि के बाद कार्यवाही स्थगित कर दी गई। अम्मा के निधन से शोक में डूबे तमिलनाडु में मातमी माहौल है। सात दिन का राज्यव्यापी शोक है, तो स्कूल-कॉलेजों में तीन दिन का अवकाश। उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल ने भी एक दिन का शोक रखा।

    श्रद्धांजलि के साथ ही 'अम्मा' के लिए सिर भी मुंडवा रहे समर्थक

    अम्मा के रूप में तमिलनाडु की जनता के दिलों पर राज करने वाली 68 वर्षीय जयललिता का चेन्नई के अपोलो अस्पताल में सोमवार रात निधन हो गया था। वह ढाई माह से अस्पताल में भर्ती थीं। जयललिता के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए पहले राजाजी हॉल में रखा गया। जहां हजारों समर्थक अपनी 'पुराची थलैवी अम्मा' (क्रांतिकारी नेता अम्मा) को अंतिम विदाई देने कतार में खड़े रहे।

    पार्थिव शरीर को राजाजी हॉल की सीढि़यों पर शीशे के बक्से में राष्ट्रीय ध्वज में लपेटकर रखा गया था। तमिलनाडु के नवनियुक्त मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों, सांसदों, विधायकों आदि ने दिवंगत मुख्यमंत्री को सबसे पहले श्रद्धांजलि दी। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी पहुंचे। इनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान भी थे।

    जयललिता की अंतिम यात्रा राजाजी हॉल से शाम साढ़े चार बजे के बाद शुरू होकर मरीना बीच पहुंची। पार्थिव देह को फूलों से सजे सेना के ट्रक से ले जाया गया। जबकि सुबह पार्थिव शरीर को उनके आवास पोएस गार्डन से राजाजी हॉल लाते समय कई बार समर्थकों और पुलिस में झड़पें हुईं।

    ...जयललिता को इसलिए दफनाया

    आयंगर ब्राह्मणों में दाह संस्कार की प्रथा के बावजूद तमिलनाडु सरकार और अंत तक जयललिता की सहयोगी रहीं शशिकला नटराजन ने उन्हें दफनाने का फैसला लिया। लोग इसे द्रविड़ आंदोलन से जोड़ रहे हैं। पेरियार, अन्नादुरई और एमजी रामचंद्रन जैसे द्रविड़ आंदोलन के बड़े नेताओं को भी दफनाया गया था। हालांकि जयललिता इन बड़े नेताओं के विपरीत आस्तिक थीं। दफनाने की एक बड़ी वजह यह भी बताई जा रही है कि बड़े नेताओं को दफनाए जाने के बाद समाधि बनाने का चलन है।

    सदमे से तीन की मौत

    1. सिंगनाल्लूर में घर में टीवी पर अम्मा के निधन की खबर देख 65 साल के एक पेंटर की हार्ट अटैक से मौत हो गई।

    2. थुडियलुर में 62 साल के पलानिम्मल की भी इसी तरह मौत हुई।

    3. इरोड में 38 साल के हम्माल राजा की भी टीवी पर समाचार सुनते वक्त सदमे से मौत हो गई।

    मोबाइल टावर से कूदने का प्रयास

    कुनियामुथुर में एक व्यक्ति ने मोबाइल टावर से कूदने की कोशिश की। पुलिस ने उसे बचा लिया। वहीं, अन्नूर में अन्नाद्रमुक कार्यकर्ता ने खुद को आग लगा ली और 60 फीसद झुलस गया।

    लगे दो टन फूल :-

    शवयात्रा के लिए सेना के ट्रक और अंतिम संस्कार स्थल को सजाने में दो टन फूलों का इस्तेमाल किया गया। इसे राज्य के विभिन्न हिस्सों के अलावा बेंगलुरु से मंगाया गया। सजावटी फूलों के अलावा गुलाब और सफेद गेंदा का प्रयोग हुआ। इसकी जिम्मेदारी संभालने वाले वेलू ने बताया कि रात तीन बजे से ही 40 लोग इस काम में जुटे थे।

    हरी साड़ी में अंतिम यात्रा :-

    जयललिता ने जीवन की अंतिम यात्रा भी मनपसंद हरी साड़ी में ही पूरी की। बड़े मौकों पर वह अपने लिए लकी हरे रंग की ही साड़ी ही पहनती थीं। इस साल 23 मई को मुख्यमंत्री की शपथ भी उन्होंने इसी रंग की साड़ी में ली थी। निधन के बाद उनके शव को लाल रंग के बॉर्डर वाली हरी साड़ी में लपेटा गया।

    शशिकला के हाथ में कमान :-

    जयललिता के अंतिम क्षणों में भी परिजन दूर ही रहे। अस्पताल से लेकर जया की अंतिम यात्रा भी शशिकला नटराजन की देखरेख में हुई। इसमें जयललिता के भतीजे दीपक जयकुमार ने सहायता की। राजाजी हॉल में शशिकला के ही अधिकतर रिश्तेदार मौजूद रहे। जयललिता के भाई जयकुमार की मौत 1995 में एक दुर्घटना में हुई थी। उनकी बेटी दीपा को अपोलो में जया से मिलने नहीं दिया गया था। लेकिन उन्हें राजाजी हाल में दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि देने का मौका मिला।

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