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एफएटीएफ की सूची से पाकिस्तान के निकलने के बाद कश्मीर में आतंकी हमले की बढ़ी आशंका

2020 में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ। लेकिन 2021 में पाकिस्तान के निगरानी सूची से आने की चर्चा शुरू होने के बाद से ही निहत्थे कश्मीरी पंडितों और मजदूरों को आसान निशाना बनाकर आतंकी हमले शुरू हो गए जिसमें 2022 में और बढ़ोतरी हुई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 28 Oct 2022 08:17 PM (IST)Updated: Fri, 28 Oct 2022 11:49 PM (IST)
एफएटीएफ की सूची से पाकिस्तान के निकलने के बाद कश्मीर में आतंकी हमले की बढ़ी आशंका
पाकिस्तान के निगरानी सूची से बाहर आने के बाद बड़े आतंकी हमलों की आशंका बढ़ गई है।

 नीलू रंजन, नई दिल्ली। एफएटीएफ (फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स) की निगरानी सूची से पाकिस्तान के बाहर निकलने के बाद कश्मीर में बड़े आतंकी हमले की आशंका गहरा गई है। मुंबई में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आतंकवाद के मुद्दे पर विशेष बैठक में भारत ने इसके प्रति आगाह किया है। गृहमंत्रालय के अतिरिक्त सचिव सफी रिजवी ने अपनी प्रस्तुति में विस्तार से बताया कि किस तरह के 2018 में पाकिस्तान के एफएटीएफ की निगरानी सूची में जाने के बाद आतंकी घटनाओं में कमी आई और सूची से बाहर निकलने के संकेत मिलने के बाद से इसमें बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।

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निगरानी सूची में पाकिस्तान में आने के पहले और बाद के आतंकी हमलों के आंकड़ों का दिया हवाला

सफी रिजवी ने आंकड़ों के साथ बताया कि 2014 में कश्मीर में पांच बड़े आतंकी हमले हुए थे, जिनकी संख्या बढ़कर 2015 में आठ और 2016 में 15 हो गई। लेकिन 2017 में पाकिस्तान के एफएटीएफ की निगरानी सूची में आने की चर्चा शुरू होने के बाद इनकी संख्या घटकर आठ रह गई और 2018 में निगरानी सूची में जाने के बाद महज तीन बड़े आतंकी हमले हुए। 2019 में बालाकोट में सिर्फ एक बड़ा हमला हुआ, जिसका जवाब भारत में एयर स्ट्राइक से दिया। 2020 में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ। लेकिन 2021 में पाकिस्तान के निगरानी सूची से आने की चर्चा शुरू होने के बाद से ही निहत्थे कश्मीरी पंडितों और मजदूरों को आसान निशाना बनाकर आतंकी हमले शुरू हो गए, जिसमें 2022 में और बढ़ोतरी हुई है।

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आतंकवाद पर यूएनएससी की विशेष बैठक में भारत ने जताई चिंता

जाहिर है इसी महीने पाकिस्तान के निगरानी सूची से पूरी तरह से बाहर आने के बाद बड़े आतंकी हमलों की आशंका बढ़ गई है। सफी रिजवी ने बताया कि सीमा पार से आतंकी गतिविधियों के तेज होने के सबूत भी मिलने लगे हैं। उनके अनुसार पाकिस्तान के निगरानी सूची में जाने के समय सीमा पार लगभग 600 आतंकी ट्रेनिंग कैंप चल रहे थे, 2020 तक इनमें 75 फीसद कैंप बंद हो गए। लेकिन 2021 में निगरानी सूची से बाहर निकलने की उम्मीद के बाद आतंकी ट्रेनिंग कैंपों की संख्या में 50 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। यही नहीं, सीमा पार से प्रशिक्षित आतंकियों के घुसपैठ में तेजी देखने को मिल रही है।

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घाटी में सक्रिय आतंकियों में 60 से 70 फीसद विदेशी मूल के

उन्होंने कहा कि इस समय कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकियों में 60 से 70 फीसद विदेशी मूल के हैं। यही नहीं, इन आतंकियों को ड्रोन के माध्यम से आइईडी और छोटे हथियारों के साथ-साथ आतंकी फंडिंग के लिए हेरोइन की खेप भेजने की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं। एफएटीएफ की निगरानी सूची में जाने के बाद पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियां कम होने का उदाहरण देते हुए सफी रिजवी ने कहा कि इसके पहले लश्करे तैयबा प्रमुख हाफिज सईद खुलेआम बड़ी रैलियां करता था, जो 2017 के बाद बिलकुल बंद हो गया।

पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए विशेष व्यवस्था करने की जरूरत

इसी तरह से संयुक्त राष्ट्र से घोषित आतंकियों को खुलेआम पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने की घटनाएं नजर नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि 2017 के पहले आतंकी संगठन खुलेआम आम लोगों से चंदा लेते थे, जो बाद में बिलकुल बंद गया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और एफएटीएफ को मिलकर पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए विशेष व्यवस्था करने की जरूरत पर बल दिया।


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