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    'पांच दिसंबर को हाजिर हो, वरना...', IAS रंगनाथ को तेलंगाना हाईकोर्ट का अल्टीमेटम

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 10:50 AM (IST)

    तेलंगाना हाईकोर्ट ने IAS अधिकारी रंगनाथ को गैर-जमानती वारंट की चेतावनी दी है। न्यायालय ने रंगनाथ को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है, अन्यथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह मामला बथुकम्मा कुंटा झील के जीर्णोद्धार के जमीन से जुड़ा हुआ है।

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    IAS रंगनाथ को तेलंगाना हाईकोर्ट का अल्टीमेटम

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तेलंगाना हाईकोर्ट ने HYDRAA कमिश्नर और वरिष्ठ IAS अधिकारी एवी रंगनाथ को गैर-जमानती वारंट की चेतवानी दी है। बथुकम्मा कुंटा झील के जीर्णोद्धार कार्य से संबंधित जून आदेश की कथित अवमानना करने के मामले में कोर्ट ने कहा कि 5 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से हाजिर हों, वरना गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया जाएगा।

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    दरअसल, हैदराबाद आपदा प्रतिक्रिया और संपत्ति संरक्षण एजेंसी (HYDRAA) के आयुक्त एवी रंगनाथ पर बथुकम्मा कुंटा झील जीर्णोद्धार के नाम पर याचिकाकर्ता की निजी संपत्ति में भारी बदलाव का आरोप है। कोर्ट ने विवादित संपत्ति के संबंध में आयुक्त द्वारा पूर्व में दिए गए न्यायिक आदेशों का कथित रूप से पालन न करने पर गहरा असंतोष व्यक्त किया था।

    कोर्ट ने दी चेतावनी

    तेलंगाना हाईकोर्ट ने गुरुवार को चेतावनी दी कि यदि वह हैदराबाद में बथुकम्मा कुंटा झील के जीर्णोद्धार कार्य से संबंधित अदालत की अवमानना मामले में 5 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जाएगा।

    कैसे शुरू हुआ विवाद

    बता दें कि IAS अधिकारी एवी रंगनाथ पर अवमानना की कार्यवाही बथुकम्मा कुंटा झील के पास एक विवादित जमीन के टुकड़े को लेकर शुरू हुई। जिसका मालिकाना हक याचिकाकर्ता ए सुधाकर रेड्डी के पास है। हालाँकि, HYDRAA ने कहा कि यह इलाका झील के पूर्ण टैंक स्तर (FTL) के अंतर्गत आता है और इसके जीर्णोद्धार की आवश्यकता है।

    अवमानना की कार्यवाही बथुकम्मा कुंटा झील के पास एक ज़मीन के टुकड़े को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद से उपजी है, जिसका मालिकाना हक याचिकाकर्ता ए सुधाकर रेड्डी के पास है। हालांकि, HYDRAA ने कहा कि यह इलाका झील के पूर्ण टैंक स्तर (FTL) के अंतर्गत आता है और इसके जीर्णोद्धार की आवश्यकता है।

    कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन

    हाइड्रा पर जून में उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश का उल्लंघन करने का आरोप है। इस आदेश में कोर्ट ने एजेंसी को मानसून से पहले सिर्फ सीमित मानसून-पूर्व बाढ़ रोकथाम कार्य करने की अनुमति दी थी। जिसमें विवादित जमीन पर अतिक्रमण न करने का निर्देश दिया गया था।

    जिस पर याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि एजेंसी ने झील के पुनरुद्धार की आड़ में संपत्ति में "काफी परिवर्तन और संशोधन" किए हैं, जो अदालत के आदेश का उल्लंघन है। न्यायालय ने अक्टूबर में साइट पर प्रमुख निर्माण गतिविधि को दिखाने वाली तस्वीरों का उल्लेख करते हुए शुरू में इसे अवमानना का मामला माना था।