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    बच्चे की कस्टडी रखने वाला अकेला पेरेंट भी नाबालिग के पासपोर्ट के लिए कर सकता आवेदन, HC का अहम फैसला

    By Agency Edited By: Mahen Khanna
    Updated: Sun, 29 Dec 2024 02:21 PM (IST)

    Telangana HC तेलंगाना हाईकोर्ट ने चार साल की बच्ची की मां द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए ये अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने हैदराबाद क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी के उस पत्र को खारिज कर दिया जिसमें महिला को अपनी नाबालिग बेटी के लिए पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए बच्चे के पिता की सहमति या अदालत से अनुमति लेने की आवश्यकता थी।

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    Telangana HC तेलंगाना हाई कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला। (फाइल फोटो)

    एजेंसी, हैदराबाद। तेलंगाना हाईकोर्ट ने हाल ही में नाबालिग बच्चे के पासपोर्ट से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि नाबालिग बच्चे की कस्टडी रखने वाला अकेला अभिभावक दूसरे अभिभावक के हस्ताक्षर के बिना भी बच्चे के लिए पासपोर्ट के लिए आवेदन कर सकता है। 

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    चार साल की बच्ची की मां ने दायर की याचिका

    बता दें कि न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य ने चार साल की बच्ची की मां द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए ये अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने हैदराबाद क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी के उस पत्र को खारिज कर दिया, जिसमें महिला को अपनी नाबालिग बेटी के लिए पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए बच्चे के पिता की सहमति या अदालत से अनुमति लेने की आवश्यकता थी। 

    ये है मामला

    न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने कहा कि मां पर इस तरह का बोझ डालना सही नहीं है। याचिका में आरपीओ के पत्र की वैधता को चुनौती दी गई थी। नाबालिग लड़की के वकील जीशान अदनान महमूद के अनुसार, महिला के पति ने उसे छोड़ दिया और अपनी भारतीय नागरिकता त्याग कर अमेरिका चले गए। 

    उन्होंने मां की याचिका का विरोध नहीं किया। महिला की तलाक की याचिका हैदराबाद की एक अदालत में लंबित है और पिता ने बच्चे की कस्टडी नहीं मांगी है। 

    पासपोर्ट अधिनियम में आवेदन के लिए नहीं कोई रोक

    न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने स्पष्ट किया कि 1967 का पासपोर्ट अधिनियम और 1980 के पासपोर्ट नियम स्पष्ट हैं। अधिनियम एकल अभिभावक को नाबालिग बच्चे के लिए पासपोर्ट के लिए आवेदन करने से नहीं रोकता है। 1980 के नियम बच्चे की कस्टडी रखने वाले पेरंट को दूसरे अभिभावक की सहमति के बिना पासपोर्ट के लिए आवेदन करने की अनुमति देते हैं। 

    यह तब भी लागू होता है जब माता-पिता अलग हो गए हों, लेकिन औपचारिक रूप से तलाक नहीं हुआ हो। एकमात्र आवश्यकता यह है कि कस्टडी रखने वाले अभिभावक को इसकी जानकारी देनी होगी।