Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Telangana News: निकाय चुनाव में 42 फीसदी आरक्षण लागू करेगी सरकार, कैबिनेट ने लगाई मुहर

    तेलंगाना सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़े वर्गों के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 2018 के कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया गया। मंत्री वकिति श्रीहरि ने इसे राहुल गांधी की सोच बताया और कहा कि जाति जनगणना होनी चाहिए ताकि लोगों को उनकी आबादी के अनुसार हिस्सा मिल सके।

    By Digital Desk Edited By: Piyush Kumar Updated: Fri, 11 Jul 2025 11:33 PM (IST)
    Hero Image
    तेलंगाना सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़े वर्गों के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दे दी।(फाइल फोटो)

    एएनआई, हैदराबाद। तेलंगाना सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़े वर्गों के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने स्थानीय निकायों में आरक्षण संबंधी 2018 के कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने का भी निर्णय लिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी की अध्यक्षता में 19वीं राज्य कैबिनेट बैठक गुरुवार, 10 जुलाई को डॉ. बीआर अंबेडकर तेलंगाना राज्य सचिवालय में आयोजित की गई। इस बैठक में यह फैसला लिया गया।

    2018 में पारित अधिनियम में होगा संशोधन

    बता दें कि तेलंगाना के स्थानीय निकाय चुनाव में 42 फीसदी आरक्षण लागू करने के लिए सरकार को 2018 में पारित अधिनियम में बदलाव करना होगा। इसके लिए विधानसभा में अध्यादेश लाया जाएगा। यहां से अध्यादेश पारित होने के बाद ही कानून में बदलाव होगा और 42 फीसदी आरक्षण का रास्ता साफ होगा।

    यह राहुल गांधी की सोच: वकिति श्रीहरि

    इस पर तेलंगाना के मंत्री वकिति श्रीहरि ने कहा, "42 प्रतिशत आरक्षण देना कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की सोच है। उन्होंने कन्याकुमारी से कश्मीर तक की पदयात्रा के दौरान इस बारे में बात की थी। कई लोगों के साथ चर्चा करने के बाद हमने निष्कर्ष निकाला कि हमारे देश में इतने पिछड़े जाति के लोग हैं।

    वकिति श्रीहरि ने कहा कि जाति जनगणना होनी चाहिए और लोगों को उनकी आबादी के अनुसार हिस्सा मिलना चाहिए। इसके बाद, हमारे मुख्यमंत्री, जो खुद पिछड़े वर्ग से नहीं हैं, उन्होंने विधानसभा में विधेयक पारित किया और इसे संसद में भेज दिया। अब, अगर यह 9वीं अनुसूची में पारित होता है या नहीं, यह उनकी पसंद है। यह पिछड़े वर्ग के प्रति उनकी सोच को उजागर करेगा। लेकिन हम इस विधेयक को हर हाल में लागू करेंगे।