'राज्यपाल कर रहे पद का दुरुपयोग', कुलपतियों की नियुक्ति मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची तमिलनाडु सरकार
तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल पर मद्रास विश्वविद्यालय में कुलपतियों की नियुक्ति के लिए खोज समितियों के गठन मामलों में कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। तमिलनाडु सरकार ने याचिका में कहा कि विधानसभा में पारित 12 विधेयक राज्यपाल आरएन रवि के कार्यालय में लंबित हैं। सरकार ने आगे कहाराज्यपाल रोजमर्रा की फाइलों नियुक्तियों के आदेशों पर राज्यपाल सहमति जाहिर नहीं कर रहे हैं।

एएनआई, नई दिल्ली। तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल आरएन रवि के बीच टकराव का मामला अब सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच चुका है। तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल पर भारथिअर विश्वविद्यालय, तमिलनाडु शिक्षक शिक्षा विश्वविद्यालय और मद्रास विश्वविद्यालय में कुलपतियों की नियुक्ति के लिए खोज समितियों के गठन और पुनर्गठन के मामले में कानूनों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
तमिलनाडु सरकार ने कहा कि इस मामले में कुलाधिपति/राज्यपाल की कार्रवाई लागू राज्य कानूनों के प्रावधानों के विपरीत है।
'सरकार द्वारा पारित विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे राज्यपाल'
भारत के संविधान ने राज्यपाल को दोहरी जिम्मेदारी दी है। पहली जिम्मेदारी राज्य के संवैधानिक प्रमुख की है जो मंत्रिपरिषद की सलाह से बंधा हुआ है। दूसरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच राज्यपाल के बीच संवैधानिक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं।
याचिका में कहा गया कि राज्यपाल द्वारा संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है। तमिलनाडु सरकार द्वारा पारित विधेयक पर राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं।
नियुक्तियों के आदेशों को मंजूरी नहीं दे रहे राज्यपाल: राज्य सरकार
तमिलनाडु सरकार ने याचिका में कहा कि विधानसभा में पारित 12 विधेयक राज्यपाल आरएन रवि के कार्यालय में लंबित हैं।
सरकार ने आगे कहा,"राज्यपाल रोजमर्रा की फाइलों, नियुक्तियों के आदेशों, मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई, भ्रष्ट विधायकों के मामलों और सीबीआइ जांच के हस्तांतरण के संबंध में मंजूरी नहीं दे रहे हैं।"
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