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    Taliban 2.0: दुनिया के सामने अपनी नई छवि पेश करने की कवायद कर रहा है तालिबान, जानें- दुनिया का क्‍या है रुख

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Thu, 19 Aug 2021 08:52 AM (IST)

    अफगानिस्‍तान में तालिबान के कब्‍जे के बाद विश्‍व स्‍तर पर इस स्थिति को लेकर मंथन चल रहा है। वहीं तालिबान 2.0 के साथ अपना अपडेट वर्जन दुनिया के सामने पेश कर रहा है। अधिकतर देश तालिबान की सत्‍ता को मानने और उसको स्‍वीकृत करने से साफ मना कर रहे हैं।

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    काफी कुछ बदला हुआ दिखाई दे रहा है तालिबान 2.0 वर्जन

    नई दिल्‍ली (जेएनएन)। अफगानिस्‍तान में तालिबान के कब्‍जे के बाद उसकी एक दूसरी छवि सामने आ रही है। ये तालिबान का अपडेट वर्जन 2.0 (Taliban 2.0) कहा जा सकता है। तालिबान को काबुल पर कब्‍जा किए हुए चार दिन हो चुके हैं। इन चार दिनों में तालिबान का चेहरा पहले की अपेक्षा कुछ बदला हुआ भी दिखाई दे रहा है। हालांकि, इसमें कितनी सच्‍चाई है इस बारे में फिलहाल कुछ कहना कठिन है। जहां तक भारत, अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों की बात है तो इनका साफ कहना है कि उन्‍हें तालिबान की बदली छवि पर भरोसा नहीं है।   

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    तालिबान 2.0 की इस छवि की बात करें इस तालिबान ने महिलाओं को शिक्षा की आजादी देने का वादा किया है। इतना ही नहीं उन्‍होंने महिलाओं को बाहर काम करने  की भी छूट दी है। तालिबान ने अपनी भावी सरकार में शामिल होने के लिए भी महिलाओं को आमंत्रित किया है। तालिबान ने महिलाओं को इस बार बुर्का पहनने से भी छूट दे दी है। हालांकि, तालिबान ने ये भी साफ कर दिया है कि उन्‍हें हिजाब पहनना जरूरी होगा। 

    तालिबान 2.0 में इस बात की भी घोषणा की गई है कि वो किसी विदेशी को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। वो पहले की ही तरह अफगानिस्‍तान में काम कर सकते हैं। तालिबान का ये भी कहना है कि वो उन्‍हें भी नहीं रोकेगा जो देश छोड़कर जाना चाहते हैं। वहीं दूसरी तरफ तालिबान ने पूरी दुनिया को सीधेतौर पर धमकी भी दी है कि उनके खिलाफ सैन्‍य अभियान छेड़ने की कोई गलती न करे। ये अच्‍छा नहीं होगा।  

    तालिबान के कब्‍जे के साथ ही देश छोड़कर संयुक्‍त राष्‍ट्र अमीरात भागने वाले पूर्व राष्‍ट्रपति अशरफ गनी से भी तालिबान की बातचीत की खबरें सामने आ रही हैं। गनी के जाने के चार दिन बाद इस बात का खुलासा हुआ है कि वो कहां पर हैं। उन्‍होंने अपने एक वीडियो संदेश में अपने देश छोड़ने की वजह भी बताई है। इतना ही नहीं तालिबान ने बुधवार को अफगानिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति हामिद करजई और अब्‍दुल्‍ला अब्‍दुल्‍ला से भी बात की है। ये बातचीत तालिबान की सरकार के गठन को लेकर हुई थी। 

    इन चार दिनों में तालिबान ने न सिर्फ विश्‍व बिरादरी से बातचीत की पेशकश की है बल्कि इसकी कवायद भी शुरू कर दी है। दो दिन पहले ही चीन से तालिबान की बातचीत हुई है। इससे पहले भी चीन ने तालिबान से बात की थी, लेकिन, उस वक्‍त बातचीत का एजेंडा उनके प्रांत की स्थिरता को नुकसान न पहुंचाने का था। बहरहाल, इन दोनों की बातचीत से काफी कुछ ये स्‍पष्‍ट हो गया है कि दोनों आगे साथ चल सकते हैं। 

    तालिबान से बातचीत की बात करें तो यूरोपीय संघ भी अपने नागरिकों की सुरक्षा और उनकी सुरक्षित वापसी के लिए तालिबान से बातचीत करने की कवायद शुरू करने वाला है। इसकी जानकारी ईयू के विदेश मंत्री ने ही दी है। पाकिस्‍तान हमेशा से ही तालिबान के संपर्क में रहा है। इतना ही नहीं उसकी फंडिंग और आतंकियों की ट्रेनिंग में भी पाकिस्‍तान का पूरा योगदान रहा है। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि तालिबान ने काबुल जीत कर वर्षों पुरानी गुलामी की जंजीरें तोड़ दी है। 

    रूस भी तालिबान के साथ सीधेतौर पर संपर्क में है। रूस इस वक्‍त तालिबान के काफी करीब खड़ा होता हुआ दिखाई दे रहा है। रूस की तरफ से आया बयान इसी तरफ इशारा कर रहा है।