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    Tahawwur Rana: तहव्वुर राणा को हो सकती है फांसी की सजा? जानिए क्या कहता है कानून

    मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित कर लाया गया है। अब भारत में उस पर 26/11 हमले के लिए आतंकवाद के तहत मुकदमा चलेगा। कानून विशेषज्ञों के अनुसार राणा को फांसी की सजा दी जा सकती है क्योंकि भारत और अमेरिका दोनों में आतंकवाद के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है। न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार राणा से पूछताछ होगी।

    By Mala Dixit Edited By: Chandan Kumar Updated: Thu, 10 Apr 2025 10:00 PM (IST)
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    अमेरिका से भारत लाया गया 26/11 हमले का साजिशकर्ता तहव्वुर राणा, अब चलेगा मुकदमा।

    माला दीक्षित, नई दिल्ली। मुंबई हमले का मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर राणा अमेरिका से प्रत्यार्पित कर भारत लाया गया है। अब यहां उस पर 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर मुकदमा चलेगा। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे।

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    अगर भारत और अमेरिका का कानून देखा जाए तो तहव्वुर राणा को फांसी की सजा हो सकती है। तहव्वुर राणा को मृत्युदंड की सजा होगी कि नहीं इसके लिए यह देखना होगा कि जिस देश से वह प्रत्यार्पित कर लाया जा रहा है वहां का कानून क्या कहता है और जिस देश लाया जा रहा है वहां का कानून उस पर लगे आरोपित अपराध में किस दंड का प्रविधान करता है।

    जानकार क्या कहते हैं?

    तहव्वुर राणा को उसके अपराध के लिए मृत्युदंड की सजा होने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के वकील ज्ञानंत सिंह कहते हैं कि प्रत्यर्पण के मामले में अभियुक्त जिस देश से आ रहा है अगर वहां मृत्युदंड की सजा है तो उसे यहां भारत में भी मृत्युदंड दिया जा सकता है। राणा के कनाडा का नागरिक होने पर वह कहते हैं कि अभियुक्त किस देश का नागरिक है इसका कोई फर्क नहीं पड़ता अगर अपराध भारत में हुआ है तो उसे भारत के कानून से डील किया जाएगा। उस पर भारत का कानून लागू होगा।

    "प्रत्यार्पण के मामले में जिस देश से वह आरोपित लाया जाता है वह देश शर्त लगा सकता है लेकिन अगर उस देश में आरोपित पर लगे अपराध में मृत्युदंड की सजा है तो वह सामान्य तौर पर मृत्युदंड न देने की शर्त नहीं लगाता। वैसे भी प्रत्यार्पण न्यायिक प्रक्रिया है उसका आदेश कोर्ट से होता है और उसमें दोनों देशों के कानून और प्रत्यार्पण संधियों को देखा जाता है। अगर भारतीय कानून को देखा जाए तो आतंकवादी गतिविधियों में शामिल अपराधी के लिए उम्रकैद से लेकर मृत्युदंड तक की सजा है और मुंबई हमले के मामले में दोषी पाकिस्तानी नागरिक अजमल कसाब को फांसी हुई थी। लेकिन तहव्वुर राणा का मामला कसाब से थोड़ा अलग है। राणा को अमेरिका से प्रत्यार्पित करके भारत लाया जा रहा है। ऐसे में प्रत्यापर्ण की जो शर्तें होंगी उसी के मुताबिक उस पर मुकदमा चलेगा और सजा मिलेगी।" ज्ञानंत सिंह, वकील, सुप्रीम कोर्ट

    नियम क्या कहता है?

    नियम के मुताबिक प्रत्यार्पण पत्र में जिस मुकदमे और जिन आरोपों का जिक्र किया गया होगा उन्हीं मामलों में राणा पर मुकदमा चलेगा। अमेरिका और भारत के बीच 1997 में हुई प्रत्यार्पण संधि को देखा जाए तो उसका आर्टिकल 8 कहता है कि जिस अपराध में मुकदमा चलाने और सजा देने के लिए प्रत्यार्पण मांगा जा रहा, अगर वह अपराध प्रत्यार्पण का अनुरोध करने वाले देश में मृत्युदंड से दंडित किया जा सकता है लेकिन यदि प्रत्यार्पित करने वाले देश में उस अपराध में मृत्युदंड का प्रावधान नहीं है तो वह देश प्रत्यार्पण की मांग ठुकरा सकता है।

    ये क्लॉज तहव्वुर राणा के मामले में लागू नहीं होगा क्योंकि उस पर आतंकवाद का आरोप है। उस पर भारत पर हमला करने की साजिश के आरोप हैं और आतंकवाद के अपराध में अमेरिका में भी मृत्युदंड की सजा है।

    न्यायपालिका का क्या हो सकता है रुख?

    भारत की न्यायपालिका ने वैसे तो फांसी की सजा के लिए रेयरेस्ट आफ रेयर का सिद्धांत तय कर रखा है, लेकिन भारत की न्यायपालिका भी आंतकवादियों को फांसी देने में कोताही नहीं करती है और इसका उदाहरण मुंबई हमलों का दोषी अजमल कसाब, संसद हमलों का दोषी अफजल गुरू और मुंबई में सीरियल बम धमाकों के का दोषी याकूब मेमन हैं जिन्हें फांसी दी गई । वैसे राणा को क्या सजा होगी यह न्यायिक मामला है। भारत लाए जाने के बाद एनआइए और अन्य एजेंसियां उससे पूछताछ करेंगीं और उसके बाद उस पर अदालत में मुकदमा चलेगा फिर सजा होगी।

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