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अमेरिका और रूस की खींचतान के बीच कब्रगाह बनता सीरिया, लाखों हुए बेघर

सीरिया के मुद्दे पर अमेरिका और रूस पहले से ही आमने सामने हैं। लेकिन अमेरिका द्वारा यहां किए गए ताजा मिसाइल हमलों के बाद यह खाई और बढ़ जाएगी, जिसका असर भविष्‍य में दिखाई देगा।

By Kamal VermaEdited By: Fri, 07 Apr 2017 04:12 PM (IST)
अमेरिका और रूस की खींचतान के बीच कब्रगाह बनता सीरिया, लाखों हुए बेघर
अमेरिका और रूस की खींचतान के बीच कब्रगाह बनता सीरिया, लाखों हुए बेघर

नई दिल्ली (कमल कान्त वर्मा)। सीरिया में वर्षों से मची तबाही अब एक नया मोड़ ले चुकी है। मंगलवार को सीरिया के इदलिब में हुए रासायनिक हमले के बाद अमेरिका ने जो कड़ी कार्रवाई की है, इसका असर कु‍छ समय के बाद व्यापक तौर पर दिखाई देगा। सीरिया के मुद्दे पर अमेरिका और रूस पहले से ही आमने-सामने हैं। यहां पर एक बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर इन दोनों देशों की खींचतान के बीच सीरिया का भविष्य क्या होगा।

हालांकि यह काफी हद तक साफ है कि अमेरिका द्वारा सीरिया में किए गए ताजा मिसाइल हमलों के बाद रूस और अमेरिका के बीच की खाई और बढ़ेगी, जिसका असर कुछ समय के बाद दिखाई देगा। सीरिया में एक दशक से भी ज्यादा समय से जारी गृहयुद्ध में अब तक करीब चार लाख लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें काफी संख्या में बच्चे शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां पर छिड़े गृहयुद्ध के चलते पिछले तीन वर्षों में करीब पचास लाख लोग देश छोड़कर जा चुके हैं। वहीं करीब साठ लाख लोग बेघर हो चुके हैं।

यूएन ने माना है सबसे बड़ी मानवीय आपदा

संयुक्त राष्ट्र के रिपोर्ट के मुताबिक सीरिया में चल रहा गृहयुद्ध पिछले कुछ दशकों के दौरान सामने आने वाली सबसे बड़ी मानवीय आपदा है, जिसमें लाखों की संख्या में बच्चे अनाथ हुए हैं और इतनी की संख्या में बच्चों की मौत हुई है। यूनीसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां के हर तीन में से एक स्कूल हमलों में नष्ट हो चुका है और करीब 17 लाख बच्चे पिछले एक वर्ष के दौरान स्कूल छोड़ चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र की ही एक एजेंसी ने वर्ष 2016 को यहां के बच्चों के लिए सबसे बुरा वर्ष करार दिया है। इस दौरान यहां पर सबसे अधिक बच्चों की मौत हुई हैं।

सीरिया से रूस के रिश्‍तों का सच

सीरिया में रूस जहां असद सरकार के समर्थन में वहां के विद्रोही गुटों पर ताबड़तोड़ हमले कर रहा है, वहीं अमेरिका असद के खिलाफ बड़े हमलों को अंजाम दे रहा है। लेकिन इन सभी के बीच यहां की आम जनता लगातार इन हमलों के निशाने पर है। यहां पर इसके पीछे ही वजह को समझना बेहद जरूरी हो जाता है। दरअसल, सोवियत संघ के जमाने से रूस का सीरिया के साथ एक रणनीतिक रिश्ता रहा है। लंबे समय से सीरिया के तट पर रूस का एक छोटा सा नौसैनिक अड्डा रहा है और सीरिया की फौज के साथ रूस का मजबूत संबंध रहा है। रूस सीरिया की फौज को हथियार मुहैया कराने वाला मुख्य आपूर्तिकर्ता देश है। वहीं सीरिया रूस के लिए मध्य पूर्व के इलाके में अपना प्रभाव जमाए रखने का एक माध्‍यम भी रहा है।

पुतिन जता चुके हैं विश्‍व युद्ध की आशंका

सीरिया में जिस तरह के हालात बन रहे हैं उसको लेकर रूसी राष्‍ट्रपति ने पिछले वर्ष इसके चलते विश्‍व युद्ध के खतरे की आशंका तक जाहिर कर दी थी। रूस की स्‍थानीय मीडिया ने इस तरह की रिपोर्ट पेश करते हुए दावा किया था कि इस आशंका के मद्देनजर रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने अपने कुछ विदेश दौरों को रद भी कर दिया था। सीरिया के लोगों को चौतरफा मार झेलनी पड़ रही है। वर्षों से ही यहां के लोग सीरिया राष्‍ट्रपति बशर अल असद के समर्थन वाली सेना, असद के विद्रोही गुट, अमेरिका के नेतृत्‍व वाली गठबंधन सेना, रूसी फौज, तुर्की सेना और आईएस के आतंकी हमलों की मार झेलने को मजबूर हैं। यहां पर छिड़े गृहयुद्ध के बाद संयुक्‍त राष्‍ट्र में एक प्रस्‍ताव पास किया गया था जिसके बाद वर्ष 2012 में यहां पर ने यहां पर संयुक्‍त राष्‍ट्र शांति मिशन की स्‍थापना की गई थी।

असद को हटाने के लिए यूएस की मुहिम

सीरिया के मुद्दे पर पूरे विश्‍व समुदाय की लगभग एक ही सोच है। दुनिया के अधिकतर देश इस मुद्दे पर राष्‍ट्रपति बशर अल असद को गलत ठहराते हुए उनका सत्‍ता से हटने की अपील भी कर चुके हैं। हालांकि कुछ देशों ने अब तक इस मामले में अपना रुख स्‍पष्‍ट नहीं किया है। अमेरिका में राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के आदेश के बाद सीरिया में किए गए मिसाइल हमले के बाद उन्‍होंने यह भी साफ कर दिया है कि सीरिया से असद सरकार को हटने या हटाने की जरूरत है। सीरिया पर अमेरिका के ताजा मिसाइल हमलों में वहां के मिलिट्री एयरबेस और फ्यूल डिपो को निशाना बनाया गया है।

सीरिया के खिलाफ प्रस्‍ताव पर रूस का वीटो

अमेरिका शुरू से ही सीरिया की सरकार के विरुद्ध रहा है तो रूस हमेशा सही वहां की सरकार का पक्षकार या हिमायती रहा है। यही वजह है कि जब इ‍दलिब में हुए रासायनिक हमले के खिलाफ यूएन में प्रस्‍ताव लाया गया तो रूस ने यहां पर सीरिया की असद सरकार का बचाव किया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। सीरिया पर रूस पहले भी एक तरफा खड़ा दिखाई दिया है। सीरिया के खिलाफ लाए गए प्रस्‍तावों पर वह अपने वीटो पावर का इस्‍तेमाल पहले भी करता रहा है।

सीरिया में रासायनिक हमले

ऐसा भी पहली बार नहीें है कि यहां पर रासायनिक हमला पहली बार किया गया हो। अब तक सीरिया में तीन बार रासायनिक हमला किया जा चुका है। एक आंकड़े के मुताबिक सीरिया में वर्ष 2013 तक करीब दस हजार टन रासायनिक हथियारों का जखीरा था। इसमें से बाद में कुछ नष्‍ट भी कर दिए गए थे। गृहयुद्ध की मार झेल रहे सीरिया में शांति स्‍थापना के मद्देनजर जिनेवा में पिछले वर्ष तीन और तुकी के अंकारा में एक बैठक आयोजित की गई। यह बैठकें फरवरी, मार्च, अप्रेल और दिसंबर में बुलाई गई थीं। अंकारा में हुई बैठक में पहली बार रूस तुर्की और ईरान यहां पर सीजफायर करने की बात पर सहमति हुए थे। इसके अलावा सीरिया में सीजफायर को लेकर अमेरिका और रूस में अलग से भी सहमति हुई थी, लेकिन यह कुछ समय के लिए ही रही।

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