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    जानें क्या हैं गर्भाशय कैंसर के लक्षण, इन महिलाओं को होता है ज्यादा खतरा रहें सावधान !

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Wed, 01 May 2019 12:16 PM (IST)

    गर्भाशय की अंदरूनी परत को एंडोमेट्रियम कहते हैं। इसी एंडोमेट्रियम की कोशिकाएं जब असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं तो ये एंडोमेट्रियल कैंसर का कारण बनती हैं।

    जानें क्या हैं गर्भाशय कैंसर के लक्षण, इन महिलाओं को होता है ज्यादा खतरा रहें सावधान !

    नई दिल्‍ली [जागरण स्पेशल]। गर्भाशय के कैंसर की जांच की दिशा में बड़ी सफलता मिली है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मूत्र जांच के जरिये भी इस कैंसर का पता लग सकता है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के शोधकर्ताओं ने कहा कि समय पर जांच महिलाओं को इसके खतरे से बचा सकती है। कई विकासशील देशों में गर्भाशय कैंसर के होने की आशंका 15 गुना तक ज्यादा है, लेकिन वहां इसकी पारंपरिक स्मियर जांच उपलब्ध नहीं है। ऐसे में यदि वहां मूत्र जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके, तो कई महिलाओं की जिंदगी बचाई जा सकती है।

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    30 से 35 साल की उम्र की महिलाओं में यह सर्वाधिक होने वाला कैंसर है। इसकी जांच में प्री-कैंसर स्टेज का भी पता चलता है। यानी कैंसर होने के 5-10 साल पहले ही जांच से इसका पता लगाया जा सकता है। इसलिए जांच की बेहतर सुविधा कई जिंदगियां बचा सकती है। आंकड़े यह बताते हैं कि 70 में से एक महिला को गर्भाशय का कैंसर होता है। इसका मुख्य कारण समय पर बीमारी का पता न चलना है।

    गर्भाशय की अंदरूनी परत को एंडोमेट्रियम कहते हैं। इसी एंडोमेट्रियम की कोशिकाएं जब असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, तो ये एंडोमेट्रियल कैंसर का कारण बनती हैं। एंडोमेट्रियल कैंसर खतरनाक है क्योंकि इसके कारण महिलाओं में मां बनने की क्षमता हमेशा के लिए खत्म हो सकती है। इसके अलावा ये कई अन्य परेशानियों का भी कारण बन सकता है। एंडोमेट्रियल कैंसर को ही गर्भाशय का कैंसर या बच्चेदानी का कैंसर भी कहा जाता है।

    किन्हें है एंडोमेट्रियल कैंसर का ज्यादा खतरा

    कैंसर कोई भी हो, इंसान के लिए खतरनाक और जानलेवा होता ही ही। कुछ महिलाओं को एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा सामान्य से ज्यादा होता है, जैसे-

    • ऐसी महिलाएं जो कभी प्रेगनेंट न हुई हों
    • ऐसी महिलाएं जिनका 55 वर्ष की आयु के बाद मेनोपॉज होता है
    • ब्रेस्ट कैंसर के कारण कई बार गर्भाशय का कैंसर भी हो सकता है
    • ऐसी महिलाएं जिनके पीरियड्स 12 वर्ष की उम्र से पहले शुरू हो गए थे
    • इसके अलावा पीसीओएस और डायबिटीज के कारण भी इस कैंसर का खतरा बढ़ जाता है

    क्या हैं एंडोमेट्रियल कैंसर के लक्षण

    एंडोमेट्रियल कैंसर के कई लक्षण आपको सामान्य लग सकते हैं। मगर यदि आपको ये लक्षण जल्दी-जल्दी दिखाई देते हैं, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

    असामान्य वेजाइनल डिसचार्ज

    अगर आपको पीरियड्स के अलावा भी अचानक से ब्लीडिंग होती है या खून के अलावा आपकी योनि से किसी भी तरह का लिक्विड डिस्चार्ज हो रहा है, तो ये एंडोमेट्रियल कैंसर का लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में आपको जांच करवाना जरूर है। इसके अलावा आपके पीरियड का चक्र लगातार बदल जाना, मेनोपॉज के बाद भी ब्लीडिंग होना भी एंडोमेट्रियल कैंसर के शुरुवाती लक्षण हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत गायनकोलॉजिस्ट के पास जायें।

    पेल्विक यानी पेड़ू में होता है दर्द

    कई महिलाओं को गर्भाशय का कैंसर होने पर अनियमित ब्लीडिंग और डिस्चार्ज के साथ पेड़ू या पेल्विक (जननांग से ऊपर का हिस्सा) में दर्द भी हो सकता है। कैंसर के कारण अगर गर्भाशय बढ़ जाता है तो इस हिस्से में दर्द और ऐंठन हो सकती है। अगर आपको ब्लीडिंग के साथ ऐसा दर्द महसूस होता है, जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से जांच करवाएं।

    अचानक बिना प्रयास वजन कम होना

    वजन का अचानक कम होना कई कारणों से हो सकता है मगर यदि ऊपर बताये गए लक्षणों के साथ-साथ अचानक वजन घटने की भी समस्या है, तो इसे बिल्कुल भी अनदेखा न करें। ये एंडोमेट्रियल कैंसर का लक्षण हो सकता है। इसका खतरा मेनोपॉज के बाद महिलाओं में बढ़ जाता है इसलिए इसकी जांच जरूर करवा लें।

    बार-बार पेशाब जाना

    एंडोमेट्रियल कैंसर के कारण आपकी पेशाब जाने की आदतों में भी बदलाव आ सकता है। आपका ब्लैडर गर्भाशय से जुड़ी समस्याओं को निर्देशित करता है। एंडोमेट्रियल कैंसर के दौरान आपको बार-बार पेशाब आना, पेशाब करने में परेशानी, पेशाब करते वक्त दर्द आदि संकेत दिखते हैं।