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एसवाई कुरैशी ने जनसंख्या नियंत्रण पर संघ प्रमुख के बयान को बताया संतुलित, कहा- किसी समुदाय पर नहीं उठाई उंगली

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने बुधवार को कहा कि जनसंख्या नियंत्रण नीति पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी बहुत ही संतुलित थी। इसे लेकर उन्होंने किसी समुदाय विशेष पर उंगली नहीं उठाई।

By AgencyEdited By: Amit SinghPublished: Thu, 06 Oct 2022 04:30 AM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 04:30 AM (IST)
एसवाई कुरैशी ने जनसंख्या नियंत्रण पर संघ प्रमुख के बयान को बताया संतुलित, कहा- किसी समुदाय पर नहीं उठाई उंगली
संघ प्रमुख भागवत का बयान बहुत ही संतुलित: एसवाई कुरैशी

नई दिल्ली, प्रेट्र: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने बुधवार को कहा कि जनसंख्या नियंत्रण नीति पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी बहुत ही संतुलित थी। इसे लेकर उन्होंने किसी समुदाय विशेष पर उंगली नहीं उठाई। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर होने वाली बहस के दोनों आयामों बोझ या परिसंपत्ति का उल्लेख किया।

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संघ प्रमुख के विचार सही

उन्होंने कहा कि भागवत का यह विचार सही है कि परिवार नियोजन को भारतीय समाज के सभी वर्गों द्वारा अपनाया जाना चाहिए। इसके लिए साक्षरता और आय जैसे कारक बेहद महत्वपूर्ण हैं। कुरैशी ने भागवत की इस टिप्पणी की ओर भी इशारा किया कि जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है। द पापुलेशन मिथ: इस्लाम, फैमिली प्लानिंग एंड पालिटिक्स इन इंडिया पुस्तक लिखने वाले कुरैशी ने कहा कि विजयदशमी के अवसर पर दिये गए उनके उद्बोधन का बहुत ही बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है। मीडिया भी इसका विश्लेषण कर रहा है। लोग मेरी किताब का जिक्र कर रहे हैं। इसे मुझे हाल ही में संघ प्रमुख के सामने पेश करने का मौका मिला था। इस दौरान मैंने बहुत ही संक्षेप में इसके कुछ बिंदुओं पर प्रकाश डाला था। उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख ने मेरी बात ध्यान से सुनी थी, यह मेरे लिए बड़ी बात थी।

जनसंख्या नियंत्रण की कोई आवश्यकता नहीं

एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि देश पहले ही प्रतिस्थापन दर हासिल कर चुका है। वह जनसंख्या नीति पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, हिंदुओं और मुसलमानों का यदि एक ही डीएनए है तो असंतुलन कहां है। जनसंख्या नियंत्रण की कोई आवश्यकता नहीं है। चिंता एक बूढ़ी होती आबादी और बेरोजगार युवाओं को लेकर है। मुसलमानों की प्रजनन दर में सबसे ज्यादा गिरावट आई है।


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